चलो चलें राजस्थान

राजस्थान का जैसे ही नाम सामने आता है, उसके ऐतिहासिक, सांस्कृतिक महत्व सामने आते हैं। राजस्थान की माटी में इतना कुछ है कि यहां पर्यटन के लिए आने वाले लोग इसकी प्रशंसा करते नहीं थकते। राजस्थान के माउंट आबू, उदयपुर, एकलिंगजी, ऋषभदेवजी, नाथद्वार, जयसभंद, रणकपुर, कांकरोली, कुम्भलगढ़, हल्दीघाटी, अलवर, सिलिगढ़, सिप्सकर, नीलकंठ, भरतपुर, रणथम्भौर, बूंदी, जयपुर, आमेर, नाहरगढ़, कोटा, बाडौली, जैसलमेर, पुष्कर, अजमेर, चित्तौड़गढ़, जोधपुर, मेवाड़, बीकानेर ऐसे स्थल हैं जहां हर पर्यटक आना चाहता है।

– आबू पर्वत

समुद्र तल से 1220 मीटर ऊंचाई पर स्थित माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र पहाड़ी नगर है। सिरोही जिले में स्थित नीलगिरी की पहाड़ियों की सबसे ऊंची चोटी पर बने माउंट आबू की भौगोलिक स्थिति और वातावरण पर्यटकों को बहुत प्रभावित करता है। आबू पर्वत का मुख्य आकर्षण यहां के मेले हैं। दिलवाड़ा मन्दिर माउंट आबू से 15 किलोमीटर दूर गुरु शिखर पर स्थित है। इस मन्दिर का निर्माण 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच हुआ था। दिलवाड़ा मन्दिरों से 8 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में अचलगढ़ किला तथा मन्दिर स्थित है, जबकि 15 किलोमीटर दूर आरावली पर्वत शृंखला की सबसे ऊंची चोटी गुरु शिखर है। इसके अतिरिक्त माउंट आबू में नक्की झील, गोमुख मन्दिर, वन्य जीव अभ्यारण्य आदि की भरमार है।

आबू रोड रेलवे स्टेशन से आबू पर्वत क्षेत्र की दूरी 28 किलोमीटर है, जबकि निकटस्थ हवाई अड्डा उदयपुर है। उदयपुर से माउंट आबू पहुंचने के लिए बस या टैक्सी की सेवा भी ली जा सकती है।

उदयपुर

झीलों की नगरी के नाम से ख्यात उदयपुर भी राजस्थान के प्रमुख शहरों में शामिल है। इस जिले के संस्थापक सिशोदिया राजवंश के राजा बप्पा रावल माने जाते हैं। यहां के दर्शनीय स्थलों में निछोला झील, जगनिवास द्वीप, जग मन्दिर, सिटी पैलेस, शिल्प ग्राम, सज्जनगढ़, मोती नगर, सहेलियों की बाड़ी का समावेश है।

उदयपुर से करीब पर्यटन स्थलों में नाथद्वार (उदयपुर से 48 किलोमीटर दूरी पर स्थित), कुंभलगढ़ (उदयपुर से 80 किलोमीटर दूर), कांकरोली ( 70 किलोमीटर दूर), कृणभदेव (केसरिया के नाम से प्रसिद्ध), सज्जनगढ़ का समावेश है।

नाथद्वार

राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित श्रीनाथ (नाथद्वार) पुष्टिमार्गीय वैष्णव सम्प्रदाय की प्रमुख पीठ है। श्रीनाथ जी का मन्दिर तकरीबन 337 वर्ष पुराना है। रोडवेज बस स्टैण्ड से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मन्दिर में अगर ऑटो से पहुंचना हो तो प्रति सवारी 5 रुपए खर्च करने पड़ते हैं।

रणकपुर

रणकपुर जैन धर्म के पांच प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यहां अनेक जैन मन्दिर हैं, जो 15वीं शताब्दी में बनाये गए हैं। देयूरी, मुच्छ महावीर यहां के प्रमुख अन्य मन्दिर हैं। यहां से सबसे करीबी हवाई अड्डा उदयपुर है, जबकि उदयपुर से यहां के लिए सीधी रेल सेवा भी उपलब्ध है। सड़क मार्ग से अगर रणकपुर पहुंचना हो तो सीधी बस सेवा भी उपलब्ध है। उदयपुर से रणकपुर की सड़क मार्ग से दूरी 98 किलोमीटर है।

हल्दीघाटी

हल्दीघाटी इतिहास में महाराणा प्रताप तथा अकबर के बीच हुए युद्ध के लिए ख्यात है। यह राजस्थान में एकलिंग जी से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह आरावली पर्वत शृंखला में से एक दर्रा है। यह राजसमंद तथा पाली जिलों को जोड़ता है तथा उदयपुर से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून, 1576 को हुआ था, इस युद्ध में महाराणा प्रताप की हार हुई थी। यहां एक संग्रहालय बनाया गया है, जिसमें हल्दीघाटी युद्ध के मैदान का मॉडल तैयार किया गया है।

अलवर

यह नगर राजस्थान के मेवाड़ अंचल में आता है। यह राजधानी जयपुर से 170 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अलवर आरावली की पहाड़ियों के मध्य बसा है। अलवर का प्राचीन नाम शल्वपुरा था। सन 1775 में इसे अल्वर रजवाड़े की राजधानी बनाया गया था। अलवर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में फतहगंज का मकबरा, पुर्जर विहार, कम्पनी बाग, सिटी पैलेस, विजय मन्दिर, मील महल, बाल किला, जयसमंद झील, सिलीसेड झील, कंडुला आदि प्रमुख हैं।

अलवर जयपुर से 148 तथा दिल्ली से 156 किलोमीटर की दूरी पर है। जयपुर से तीन तथा दिल्ली से साढ़े तीन घंटे की यात्रा करने के बाद अलवर पहुंचा जा सकता है। जयपुर से शहापुर होते हुए अजमेर मार्ग से भी अलवर पहुंचा जा सकता है। दिल्ली-जयपुर अजमेर शताब्दी एक्सप्रेस तथा जम्मू-दिल्ली और दिल्ली जयपुर एक्सप्रेस से अलवर पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से सोहना, फिरोजपुर, सिरसा, नौगांव होकर भी अलवर जाया जा सकता है।

जैसलमेर

थार के मरुस्थल के रूप में जैसलमेर की पहचान भारतीय इतिहास के मध्य काल के आरम्भ में (1176 ई. के आसपास यदुवंशी भाटी के वंशज रावल जैसल द्वारा की गयी थी। जैसलमेर जिले का भू-भाग प्राचीन काल में मानधरा अथवा वल्लभ मंगल के नाम से प्रसिद्ध था। महाभारत के युद्ध में बड़ी संख्या में यादव इस ओर अग्रसर हुए। यहां सुन्दर हवेलियां और जैन मन्दिरों का समूह है। ये 12वीं से 15वीं शताब्दी के बीच बनाये गए हैं। साहित्य, संगीत, मन्दिर के लिए यह प्रसिद्ध है।

पुष्कर

यहां का मेला विश्व प्रसिद्ध है। यह राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित है। यहां ब्रह्मा का मन्दिर है। पुष्कर को तीर्थों का मुख्य माना जाता है। जिस प्रकार प्रयाग को तीर्थराज कहा जाता है, उसी तरह इस तीर्थ स्थल को पुष्पकराज कहा जाता है। पुष्कर की गणना पंचतीर्थों व पंचसरोवरों में की जाती है।

अजमेर

यह राजस्थान का हृदय कहा जाता है। पर्वतीय क्षेत्र में बसा अजमेर आरावली पर्वतमाला का एक हिस्सा है। मुगल शासकों की बेगम और शहजादियां यहां आकर अपना समय बिताया करती थीं। अजमेर के दर्शनीय स्थलों में मकबरा हजरत ख्वाजा हुसैन चिश्ती, सूफी सन्त हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह का समावेश है। अकबर का किला, हजरत अलाउद्दीन चिश्ती की दरगाह भी यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।

चित्तौड़गढ़

यह राजस्थान का प्रमुख पर्यटन स्थल है। चित्तौड़गढ़ का दुर्ग, बीका खोह, भाम्सी, घोड़े दौड़ाने का चौगान, पद्मिनी का महल, खातन रानी का महल, गोरा-बादल की घुमटे, रायरणमल की हवेली, कालिका माता का मन्दिर, पन्ना और जयमल की हवेलियां, गोमुख केंद्र, महासती ( जौहर स्थल) नवलख भण्डार, पातालेश्वर महादेव मन्दिर पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बनते हैं।
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जयपुर

राजस्थान की राजधानी जयपुर गुलाबी शहर के रूप में प्रसिद्ध है। इस शहर की स्थापना 1728 में सांवेर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने की थी। इस शहर की पहचान यहां लगे धौैलपुरी पत्थरों से होती है। 1876 में महाराज सवाई मानसिंह ने इंग्लैण्ड की महारानी एलिजावेथ और प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्वर्ट के स्वागत के समय पूरे शहर को गुलाबी रंग से आच्छादित कर दिया था। जयपुर को आधुनिक योजनाकारों द्वारा सबसे नियोजित और व्यवस्थित शहर बताया गया है। ब्रिटिश काल में कछवाह तथा राजपूत शासकों का यहां शासन था।यहां के प्रमुख उद्योगों में धातु, संगमरमर, वस्त्र-छपाई, हस्त-कला, रत्न तथा आभूषण का आयात-निर्यात का व्यवसाय मुख्य तौर पर किया जाता है। जयपुर को भारत का पेरिस कहा जाता है। राजा सवाई जयसिंह- द्वितीय ने यह शहर बनने से पहले इसकी सुरक्षा की काफी चिन्ता की थी। यहां आने वाले पर्यटक नाहरगढ़ का किला, राजमहल, जन्तर-मन्तर, गोविन्द देव जी का मन्दिर, एशिया की सबसे बड़ी आवासीय बस्ती मानसरोवर, राज्य का सबसे बड़ा सवाई मानसिंह चिकित्सालय, विधानसभा भवन, अमर जवान ज्योति, तारा मंडल तथा आमेर का किला देखने के प्रति बहुत उत्साही रहते हैं।
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