हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
आदि शक्ति के अनेक रूप

आदि शक्ति के अनेक रूप

by pallavi anwekar
in अक्टूबर-२०१३, संस्कृति, सामाजिक
0

मा देवी सर्वभूतेषु शक्तिरुपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ॥

नवरात्रोत्सव के नौ दिनों में हम आदिशक्ति मां दुर्गा की नौ रूपों में उपासना करते हैं। देवी के ये नौ रुप हैं – 1) शैलपुत्री 2) ब्रह्मचारिणी 3) चंद्रघंटा 4) कूष्मांडा 5) स्कंदमाता 6) कात्यायनी 7) कालरात्रि 8) महागौरी 9) सिद्धिदात्री। देवी के प्रत्येक रूप की अपनी विशिष्टता है। साधक अपनी श्रध्दा अनुसार इन रूपों की आराधना करते हैं। ब्रह्मचारिणी रूप को छोडकर सभी रूपों में मां ने अपने हाथों में अस्त्र-शस्त्र भी धारण किये हैं और साथ ही वह अपने भक्तों को आशीर्वाद एवं अभय देती हुई भी प्रतीत होती हैं। इसका अर्थ है वे दुष्टों का संहार करनेवाली और सज्जनों की रक्षा करनेवाली हैं। सृजन और संहार दोनों ही इस मां के गर्भ में हैं। मां दुर्गा के दर्शन भारत के विभिन्न मदिरों में किये जाते हैं। पूरे देश में इक्यावन शक्तिपीठों के रूप में मां दुर्गा की पूजा की जाती है। इन शक्तिपीठों का पौराणिक संदर्भ यह है कि दक्ष प्रजापति ने ‘बृहस्पति सर्व’ नामक एक यज्ञ का आयोजन किया था। इस अनुष्ठान में उन्होंने सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया था। परंतु अपनी पुत्री सती और जामाता भगवान शंकर को आमंत्रित नहीं किया। फिर भी सती उस यज्ञ में पहुंची और अपने पति शंकर को न बुलाने का कारण पूछा। उत्तर में सती के पिता ने भगवान शंकर के लिये अपशब्द कहे। यह सुनकर सती अत्यंत क्रोधित हुई और उन्होंने अग्निकुंड में कूद कर प्राणाहिूत दे दी। भगवान शंकर को इस घटना का ज्ञान होते ही उनका तीसरा नेत्र खुल गया और वे यज्ञस्थल पर पहुंचे। उन्होंने क्रोध और शोक में सती का पार्थिव शरीर यज्ञकुंड से निकाला और उसे लेकर जाने लगे। कहा जाता है कि सती के शरीर का अंग या आभूषण जिन-जिन स्थानों पर गिरे वही आज इक्यावन शक्तिपीठों के रूप में विख्यात हैं।

इन शक्तिपीठों के अलावा भारत में विभिन्न स्थानों पर मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है।
वैष्णो देवी- भारत के उत्तर में स्थित वैष्णो देवी का मंदिर विश्वप्रसिद्ध है। हर वर्ष लाखों की संख्या में भक्तगण वैष्णो देवी के दर्शन करने आते हैं। जम्मू के कटरा से लगभग 12 किमी की दूरी पर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने का मार्ग बहुत कठिन है। माता रानी तीन अलग-अलग गुफाओं में काली, सरस्वती और लक्ष्मी पिंडी नामक तीन रूपों में विराजमान हैं। इन तीन रूपों को ही सम्मिलित रूप से वैष्णो देवी कहा जाता है। ‘जय माता दी’ का जयघोष करते हुए भक्त इस कठिन यात्रा की शुरूआत करते हैं और भक्तों की इच्छाएं पूरी करनेवाली माता रानी की कृपा से उसके दरबार तक पहुंचते हैं।

कामाख्या देवी- असम में गुवाहाटी से लगभग 8 किमी की दूरी पर कामाख्या स्थित है। यहां से 10 किमी की दूरी पर नीलांचल पर्वत पर देवी का मंदिर स्थित है। इस मंदिर का तांत्रिक महत्व है। देवी के इक्यावन पीठों में से यह एक महत्वपूर्ण पीठ है। इस शक्तिपीठ में कौमारी पूजा का विशेष महत्व है। जात-पात के भेदभाव किये बिना यहां माता के रूप में कौमारी का पूजन किया जाता है। कहा जाता है कि अगर साधक ने इस समय भेदभाव किया तो उसकी सारी शक्तियां नष्ट हो जाती हैं।

कालीघाट मंदिर- कोलकाता में आदि गंगा नदी के किनारे बसे घाट पर मां काली का मंदिर स्थित है। ‘जय काली कलकत्ते वाली’ का नाम लेकर भक्तगण बड़ी मात्रा में मां के दर्शन करने आते हैं। कोलकाता के उत्तर में दक्षिणेश्वर काली मंदिर भी है। सन 1847 में जानबाजार की महारानी रासमणि ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। इस मंदिर के भीतर चांदी के कमल पर मां काली की विशाल मूर्ति है। मां काली अपने हाथ में शस्त्र धारण किये हुए भगवान शंकर पर खड़ी हैं। महान दार्शनिक तथा विचारक रामकृष्ण परमहंस को यहीं सिद्धि प्राप्त हुए थी।
मीनाक्षी मंदिर- तमिलनाडु के मदुरई में स्थित यह मंदिर भगवान शिव और उनकी पत्नी माता पार्वती को समर्पित है। इस मंदिर में स्थित माता पार्वती की आंखें को मछली के आकार की हैं इसलिये उन्हें मीनाक्षी कहा गया है। यह मंदिर अपनी स्थापत्य कला के लिये भी बहुत प्रसिद्ध है। नवरात्रि और शिवरात्रि को यहां मेला लगता है। इस मंदिर के बारे में कथा प्रसिद्ध है कि यहां देवी पार्वती और भगवान शंकर का पाणिग्रहण भगवान विष्णु द्वारा कराया गया।

आशापुरा मां – गुजरात के विभिन्न स्थानों में मां आशापुरा की भक्तिभाव से आराधना की जाती है। यह मुख्यत: कच्छी समुदाय की कुलदेवी के रूप में भी प्रसिद्ध है। इसका मुख्य मंदिर कच्छ में ही स्थित है जिसे ‘माता नो मठ’ कहा जाता है।

विन्ध्यवासिनी- उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर के पास विंध्याचल पर्वत शृंखला पर देवी का यह मंदिर है। मां दुर्गा इस पर्वत पर वास करने के कारण ही विंध्यवासिनी कहलाई। कहा जाता है कि कंस द्वारा देवकी आठवें पुत्र को मारने के प्रयत्न के पूर्व देवी योगमाया ने कंस को चेतावनी दी थी कि उसे मारनेवाला जन्म ले चुका है। इस चेतावनी के बाद देवी अदृश्य हो गयी और उसने विंध्याचल को अपना निवास स्थान बनाया। इसी निवास स्थान को आज विंध्यवासिनी मंदिर के रूप में जाना जाता है।

तुलजा भवानी– 51 शक्तिपीठों में से एक तुलजा भवानी का मंदिर महाराष्ट्र के सोलापुर से 45 किमी दूर तुलजापुर में स्थित है। ग्रेनाइट पत्थर की बनी तुलजा भवानी की यह प्रतिमा स्वयंभू और अष्टभुजा है। कहा जाता है कि वीर शिवाजी महाराज को इसी देवी ने मुगलों का संहार करके हिंदवी स्वराज की स्थापना करने के लिये अपनी तलवार दी थी।

उपरोक्त सभी मंदिर देवी के विभिन्न स्वरूपों का दर्शन करानेवाले हैं। इनके अलावा भी कुलदेवी और ग्राम देवी के रूप में आदि शक्ति मां दुर्गा अपने भक्तों की रक्षा और दुष्टों के मर्दन के लिये अन्यान्य स्थानों पर विराजमान है।
————

 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: cultureheritagehindi vivekhindi vivek magazinehindu culturehindu traditiontraditiontraditionaltraditional art

pallavi anwekar

Next Post
अनकही कहानी का इतिहास

अनकही कहानी का इतिहास

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0