हिंदू धर्म : पारम्परिक आर्थिक सुरक्षा का सबसे सशक्त आधार

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एक 'अखबार' में एक खबर पढ़ी जिसके अनुसार आज मेरे शहर में अनुमानित रूप से ढ़ाई लाख झाङू बिकेंगे। अब आप सोचिए कि इसे बनाने के व्यवसाय में जो भी लोग संलग्न होते हैं वो आर्थिक और सामाजिक संरचना की दृष्टि से किस पायदान पर खड़े होते हैं। इसी 'दीवाली'…

दशहरा: क्षात्रतेज जागृत करने का पर्व

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दशहरे के दिन शस्त्र पूजन का एक और उद्देश्य है जनमानस में क्षात्रतेज को जागृत करना। यह क्षात्रतेज ही संकट की घडी में व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक और राष्ट्रीय अस्मिता को बचाने का कार्य करता है।

पद्मनाभस्वामी मंदिर फैसले के दूरगामी परिणाम

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केरल के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का स्वामित्व पूर्ववर्ती शाही परिवार को सौंपने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के दूरगामी परिणाम होंगे। इससे विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा हिन्दू मंदिरों और उनके मठों पर नियंत्रण को जो साजिश हो रही थी, उस पर अंकुश लगेगा।

उमंग भरा त्यौहार मकर संक्रांति

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मकर संक्रांति पर्व को भारत के ही समान नेपाल में भी सुख, शान्ति और उन्नति का प्रतीक और शुभ कार्यों का वाहक माना जाता है। अच्छी फसल देने के लिए किसान इस दिन ईश्वर का धन्यवाद करते हैं। यही कारण है कि इस त्यौहार को किसानों का त्यौहार भी कहा जाता है।

समृद्धि की लोकमाता हैं लक्ष्मी

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लक्ष्मी की पूजा में उस अनजानी स्त्री की महिमा और समन्वय का गुणगाण है, जो एक अज्ञात घर में आकर उसे अपने संस्कार और समर्पण से संवारती है। हम सब जानते हैं कि लक्ष्मी का प्रादुर्भाव समुद्र-मंथन से हुआ है। क्षीर-सागर के इस मंथन से जब समुद्र में पड़े अनेक तत्वों का आलोड़न और इस रस का संचार नाना रूपों में

दुनिया भर में दीपावली की धूम

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असत्य पर सत्य की जीत का पर्व दीपावली इस वर्ष कई मायनों में विशेष रहने वाला है। सनातन भारतीय परंपरा के पावन प्रतीक अयोध्या के श्रीराम मंदिर को लेकर लंबी सुनवाई के बाद माननीय उच्चतम न्यायालय का फैसला कुछ समय में आने ही वाला है। न्याय और अन्याय के बीच लंबे अरसे तक चले इस संघर्ष के बाद अब बहुत जल्द ’न्यायिक दीप’ जलने की प्रबल आशा दिखाई पड़ रही है। इसी बीच राम की नगरी अयोध्या में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी समूची सरकार के साथ

दुनिया के पहले चिकित्सा विज्ञानी धन्वन्तरि

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समुद्र-मंथन के अंत में आयुर्वेदाचार्य धन्वन्तरि देव और दानवों को हाथों में अमृत-कलश लिए मिले थे। दरअसल समुद्र-मंथन की इस वैश्विक घटना की जानकारी विश्व के उन सभी दूरांचलों में फैल गई थी, जिनकी अपनी सत्ता थी। उस समय धन्वन्तरि चिकित्सा क्षेत्र के बड़े अनुसंधित्सु और वैद्य के रूप में विख्यात हो चुके थे।

“कृष्ण जैसी महान विभूति हमारे लिये जन्म नही लेती।”

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कृष्ण जैसी  महान विभूति  हमारे लिए जन्म लेती है, यह हमारी धारणा है। कृष्ण जैसे महान विभूति के जन्म के लिए कोई समय, काल, परिस्थिति निर्भर हो सकता है ?  कोई काल,कोई  परिस्थिति या कोई समय कृष्णा जैसी विभूति के जन्म का कारण कभी नहीं हो सकती।

संस्कृति – सभ्यता की विरासत भारतीय नववर्ष शोभायात्रा

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मुंबई के निकट डोंबिवली से आबासाहेब पटवारी द्वारा आरंभ ‘भारतीय नव वर्ष यात्रा’, पूरे भारत वर्ष में, हर शहर, हर गांव में आयोजित की जानी चाहिए। जाति, धर्म, भाषा, भेदभाव से ऊपर उठकर वर्तमान और भविष्य के साथ साथ आधुनिकता से परंपरा और अतीत को जोड़ने वाली यह यात्रा नए भारत का निर्माण करेगी।

हमारे त्यौहारों में छिपा गहन विज्ञान

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त्यौहारों को मनाने के पीछे गहन विज्ञान है। इसका उद्देश्य मौसम बदलने पर स्वास्थ्य की देखभाल, पर्यावरण को स्वच्छ रखना, लोगों के जीवन में खुशियां लाकर, मिलजुलकर भाईचारा बनाए रखना है। इनके वैज्ञानिक कारणों पर हमें गौर करना चाहिए।

बदलती परंपराओं और त्यौहारों का नया स्वाद

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आज की युवा पीढ़ी, परंपराओं के साथ भले ही हाथों में हाथ डाल कर ना चल रही हो परंतु उन्हें जिंदा रखने की हसरत उनमें है। बस उनका देखने का नजरिया बदल गया है। बदलाव और नयापन हमेशा अच्छा होता है। इससे समाज उन्नति की ओर बढ़ता है। ट्रिंग... ट्रिंग... ट्रिंग... कॉलबेल बजी। उत्साह से नेहा ने दरवाजा खोला। अपनी चारों सहेलियों को देख नेहा का चेहरा खिल उठा। ‘‘कौन आया है बेटी?’’ मां भी कमरे से बाहर आ गई। नेहा ने गांव से आई अपनी मां का सभी सहेलियों से परिचय कराया। बातचीत चल निकली तो त्यौहारों पर आ

इस्लाम में स्वर्ग और नरक

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मुहम्मद पैगंबर की तरह प्रत्येक धर्म संस्थापकों ने मनुष्य के पारलौकिक जीवन और स्वर्ग-नरक की संकल्पनाओं को रचा है। शायद उसका लक्ष्य केवल इतना ही था कि जनसाधारण सन्मार्ग पर चलें और दुष्कृत्यों से दूर रहें। आज की कसौटी तो यही है कि मानवता, आपस में भाईचारा और सहिष्णुता कायम करने से पृथ्वी पर ही स्वर्ग आ जाएगा। हजारो वर्षों पूर्व से ही प्रत्येक धर्म में मानव के मरणोत्तर अस्तित्व एवं उसके पारलौकिक जीवन के विषय में विविध मत रहे हैं एवं आज भी हैं। इसके अनुसार जीवितावस्था में जिसका जैसा व्यवहार हो उसे उसी के अनु

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