गुजरात में लव जिहाद कानून पास, अब कन्वर्जन कराने वालों की खैर नहीं

पिछले कुछ समय से लव जिहाद की बढ़ती घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए कई राज्य सरकारों ने इसके खिलाफ कानून बना दिया और बाकी राज्य अभी इस पर काम कर रहे है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बाद अब गुजरात सरकार ने भी लव जिहाद के खिलाफ कानून बना दिया है जिसे राज्यपाल ने स्वीकृति भी दे दी। अब गुजरात भी उन राज्यों में शामिल हो गया जहां शादी के नाम पर अगर कन्वर्जन कराया जाता है तो दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने “गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता संशोधन विधेयक 2021” को स्वीकृति दे दी। इस नये कानून के तहत राज्य में जबरन विवाह और कन्वर्जन कराने पर 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान होगा।

गुजरात सरकार की तरफ से फरवरी महीने में लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने की बात कही गयी थी जिसके बाद से गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी लगातार इसको लेकर बैठक कर रहे थे। फरवरी में रुपाणी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए भी यह कहा था कि राज्य में लव जिहाद के मामले लगातार बढ़ रहे है इसलिए अब लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाना आवश्यक हो गया है। अप्रैल महीने में गुजरात विधानसभा ने यह कानून में संशोधन के लिए इसे गुजरात के राज्यपाल के पास भेजा था जिसे अब राज्यपाल ने स्वीकृति दे दी और यह कानून लागू हो गया।

लव जिहाद कानून बनाने के पीछे मकसद यह है कि गरीब और मासूमों को बचाया जा सके। गुजरात सहित पूरे देश में हिन्दू बच्चियों को प्यार के नाम पर बहकाया जाता है और फिर विवाह के नाम पर उनका कन्वर्जन कराया जाता है और कुछ सालों बाद उन्हे बेच दिया जाता है या फिर उन्हे प्रताड़ित कर रखा जाता है। लव जिहाद की शुरुआत केरल से हुई थी जो धीरे धीरे पूरे देश में फैल चुकी है। देश के तमाम बुद्धिजीवी इस पर अपनी अलग अलग राय दे चुके है उनका कहना है कि इसके पीछे बहुत बड़ी साजिश है और उसी के तहत कुछ लोगों को कन्वर्जन के काम में लगाया गया है। कन्वर्जन कराने के लिए उन्हे पैसे भी दिये जाते है और बाद में उन लड़कियों को विदेशों या फिर अपने ही देश में बेच दिया जाता है।

“गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलीजन अमेंडमेंट बिल 2021” के तहत धोखेबाजी के निकाह करने पर 5 साल तक की सजा और 2 लाख तक का जुर्माना भरना पड़ेगा। अगर निकाह करने वाली लड़की नाबालिग, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की होती है तो दोषी को चार की सजा और 3 लाख तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। अगर किसी संस्था द्वारा कन्वर्जन का काम किया जाता है तो उस संस्था के प्रभारी को 3 साल से लेकर 10 साल तक की सजा हो सकती है।

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