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महिला सशक्तिकरण पर टिका देश का भविष्य

महिला सशक्तिकरण पर टिका देश का भविष्य

by पूर्णिमा ढिल्लन
in महिला, विशेष, सामाजिक
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जब हमारा देश आजाद हो चुका है, तो नारी आजाद क्यों नहीं है, ? यह सवाल मेरी अंतरात्मा को बहुत कचोटता है l मजदूर तबके से लेकर शिक्षित परिवारों तक की महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होती रहती है ।नारी के बढ़ते हुए कदमों को पुरुषों की सत्ता स्वीकार नहीं कर पाती ।हर क्षेत्र में नारी का वर्चस्व उसके हौसलों की उड़ान, पुरुष के अहंकार को गहरी चोट पहुंचाते है। उसे हर तरह से कमजोर करने की कोशिश में उसके अपने ही घर में उसके साथ हिंसात्मक व्यवहार किया जाता है।

समय की मांग है कि नारी को सहयोग और सम्मान देना सीखे । नारी को सम्मान देने से उनका भी सम्मान बढ़ेगा। तब वह परिवार समाज और देश के लिए बहुत बड़ी ताकत बनकर उभरेगी ।जिन परिवारों में मां बहन बेटी और पत्नी का सम्मान होता है। वह बहुत तरक्की करते हैं। अतः उसे मानसिक रूप से मजबूत करना पुरुषों का कर्तव्य है ,उसकी मानसिक मजबूती पर ही देश का भविष्य टिका है ।

इतिहास गवाह है वैदिक व्यवस्था में विवाहित और अविवाहित दोनों ही स्त्रियों को आदर की दृष्टि से देखा जाता था ,उन्हें हर तरह के अधिकार प्राप्त थे उनके निर्णय को मान्यता दी जाती थी। धार्मिक और सामाजिक कार्य में उन्हें समान रूप से शामिल होने के अवसर प्राप्त थे ऋग्वेद ग्रंथ में कहा गया है कि   “स्त्री हिं ब्रह्मा विभूवियां”अर्थात स्त्री को स्वयं ब्रह्मा  स्थान दिया गया है ।स्त्री जननी है, निर्माता है उसने ऐसी-ऐसी विभूतियों को जन्म दिया ।जिनके नाम आज भी इतिहास में दर्ज है। जहां एक तरफ स्वामी विवेकानंद जी ने आध्यात्म की ज्योत जलाई वही रविंद्र नाथ टैगोर और अनगिनत साहित्यकारों ने साहित्य और कला को मजबूती दी। साथ ही  नारीशक्ति ने ही वीर सावरकर , छत्रपति शिवाजी लाला लाजपत राय गंगाधर तिलक शहीद भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद काकोरी कांड के सभी नायक व तमाम क्रांतिकारियों को जन्म देकर उनके व्यक्तित्व को गढ़ने उन्हें शारीरिक और मानसिक मजबूती देने उनमें असाधारण योग्यता और क्षमता देने का जटिल कार्य किया ।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने तो रानी झांसी रेजिमेंट की स्थापना ही इसलिए की थी ,उनका मानना था कि दासता से मुक्ति के लिए पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं का सशक्त योगदान बहुत जरूरी है ।यह नेता जी  का स्त्रियों के प्रति सम्मान ही था जिसने स्त्रियों को “आजाद हिंद फौज “में शामिल होकर आजादी की लड़ाई में योगदान देने का जज्बा पैदा किया ।

आज युवाओं को इनसे सीख लेने की जरूरत है। आज की युवा पीढ़ी पथभ्रष्ट होती जा रही है ।एकल परिवारों के चलते माता-पिता के प्रति भी अनादर की भावना बढ़ती जा रही है ।यहां तक कि उन्हें वृद्धाश्रम का रास्ता दिखा दिया जाता है ।छोटी-छोटी बातों को लेकर पति पत्नी तलाक की दहलीज तक पहुंच जाते हैं जिसका बहुत गहरा असर बच्चों की मानसिकता पर पड़ता है  आज इस बात की बहुत जरूरत है कि नारी को एक मजबूत जमीन दी जाए ताकि वह मजबूत पीढ़ियों का निर्माण कर सके तभी देश भी मजबूत हो सकेगा ।

जिस दिन स्त्रियों को समान अधिकार मिलेंगे ।उसके पास विचारों की स्वतंत्रता होगी और अपनी बात को दृढ़ता के साथ रखने की ताकत होगी , उस दिन हम आजादी का एक नया जश्न मनाएंगे ।

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