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बाबुल सुप्रियो ने TMC के साथ शुरु की नई पारी, लेकिन क्यों छोड़ी BJP?

बाबुल सुप्रियो ने TMC के साथ शुरु की नई पारी, लेकिन क्यों छोड़ी BJP?

by हिंदी विवेक
in ट्रेंडींग, राजनीति, सामाजिक
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राजनीति में एक कहावत है कि यहां कोई ना दोस्त होता है और ना ही कोई दुश्मन, समय सभी को दोस्त और दुश्मन बदलने का मौका देता रहता है। वह एक अलग दौर था जब लोग देश या पार्टी के लिए काम करते थे लेकिन वह उन लोगों के साथ ही खत्म हो गया अब लोग सिर्फ खुद के लिए काम करते है और खुद का पेट भरते  है। ऊपर लिखी यह सभी लाइनें बीजेपी के पूर्व नेता बाबुल सुप्रियो के बदलाव को दर्शाती हैं जो अब तृणमूल कांग्रेस का हिस्सा हो चुके है। सुप्रियो ने बीजेपी छोड़ टीएमसी का हाथ पकड़ लिया और एक नई राह पर निकल चले है। 
 
दरअसल राजनीति में कोई खाली नहीं बैठना चाहता है वह कम समय में बहुत ऊपर जाना चाहता है उसके लिए चाहे किसी भी पार्टी का सहारा लेना पड़े उससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। बाबुल सुप्रियो ने भी बीजेपी के साथ लम्बी पारी खेली लेकिन वह जैसे ही चुनाव हारे और उन्हें कैबिनेट से इस्तीफा देने के लिए कहा गया वह तुरंत नाराज हो गए और पार्टी व पद छोड़ दूसरी राजनीतिक रास्ते पर निकल पड़े। अब सवाल यह है कि इस तरह अगर हर कोई सिर्फ पद के लिए पार्टी में शामिल होगा तो फिर देश का विकास कैसे होगा? पार्टी के पास लाखो चेहरे होते हैं और उन्हें समय समय पर बदला जाता है जिससे पार्टी में बैलेंस बना रहे और यह भी पता चले कि आखिर कौन किस पद के लिए सही उपयुक्त है। 
 
सिंगर से राजनेता बने बाबुल सुप्रियो ने जब अपने पद से इस्तीफा दिया तभी उन्होंने फेसबुक पर यह लिखा कि उनसे इस्तीफा मांगा गया और उन्होंने दे दिया लेकिन इस इस्तीफे के साथ ही उन्होंने मन ही मन पार्टी छोड़ने का भी निश्चय ले लिया जिसके बाद शायद उनकी बाकी पार्टियों से मुलाकात का दौर चला होगा और जब टीएमसी में कुछ बात बन गयी तो सुप्रियो ने एक और फेसबुक पोस्ट लिखा कि वह राजनीति से संन्यास ले रहे है जबकि यहां कुछ और ही नजर आया। बाबुल सुप्रियो ने अभिषेक बनर्जी की मौजूदगी में टीएमसी की सदस्यता ग्रहण की। 
बाबुल सुप्रियो आसनसोल से दो बार बीजेपी के टिकट पर सांसद बन चुके है जबकि तीसरी बार वह जनता का विश्वास नहीं जीत पाए और उन्हें हार का सामना करना पड़ा इसके बाद जुलाई में हुए मंत्रिमंडल के फेरबदल में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा और शायद यही बात वह सहन नहीं कर सके और पार्टी से दूरी बना ली। राजनीतिक चश्मे से देखें तो यह सब कुछ सही लगता है लेकिन इंसानियत, राष्ट्र और विकास के नजर से देखें तो इस तरह का फेरबदल बिल्कुल गलत है और इससे राजनीति का स्तर लगातार गिरता जायेगा। अगर देश का हर राजनेता सिर्फ खुद के फायदे के लिए राजनीति करेगा तो फिर देश का क्या होगा ?   

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Tags: babool supriyoBJPhindi vivek magazinehindivivekindian politicsparty changepeoplepolitical newspoliticssocialtmcwest bengal

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