हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
ऑपरेशन ‘देवी शक्ति’

ऑपरेशन ‘देवी शक्ति’

by प्रमोद जोशी
in अक्टूबर-२०२१, देश-विदेश, विशेष, सामाजिक
0

यह नाम ‘ऑपरेशन देवी शक्ति’ इसलिए रखा गया क्योंकि जैसे ‘मां दुर्गा’ राक्षसों से बेगुनाहों की रक्षा करती हैं, उसी प्रकार इस मिशन का लक्ष्य बेकसूर नागरिकों को तालिबान के आतंकियों की हिंसा से रक्षा करना है। यह ऑपरेशन वायुसेना की भूमिका और तालिबानियों की निर्ममता पर एक साथ टिप्पणी है।

अब अफगानिस्तान में तालिबान का शासन स्थापित हो गया है मगर अनेक कारणों से वहां स्थितियां अब भी अनिश्चित हैं। जन-जीवन अब भी अशांत है और स्त्रियों तथा मानवाधिकार-समर्थकों के आंदोलन जारी है। अफगानिस्तान के कई लाख योग्य नागरिक देश छोड़कर बाहर चले गए हैं। बड़ी संख्या में अब भी ऐसे हैं, जो देश छोड़कर जाना चाहते हैं। अमेरिका और यूरोप के नागरिकों के अलावा भारतीय नागरिकों के सामने संकट पैदा हो गया। 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान का कब्जा होते ही भारत सरकार ने दूतावास के अपने कर्मचारियों को निकालने का फैसला किया। इसके पहले भारत कंधार, जलालाबाद और मज़ारे शरीफ में अपने वाणिज्य दूतावासों को बंद कर चुका था।

जब तक नागरिक उड्डयन सेवाएं संचालित हो रही थीं, लोगों का आवागमन विमान सेवाओं के माध्यम से हो रहा था मगर 15 अगस्त के बाद नागरिक विमान सेवाएं अचानक बंद कर दी गईं। एयर इंडिया की एक उड़ान हो पाई थी कि सेवाएं बंद हो गईं। केवल सैनिक विमान सेवाएं ही संचालित हो पाती थीं क्योंकि हवाई अड्डे पर उस समय भी अमेरिकी सेना का कब्जा था। काबुल हवाई अड्डे के आसपास पर लाखों की भीड़ जमा हो गई। लोग उड़ान भरने वाले विमानों पर बाहर लटक कर जाने लगे। ऐसे में बहुत से लोगों की आसमान से नीचे गिरने पर मौत हो गई और अत्यंत कारुणिक दृश्य पैदा हो गया।

कुछ महत्वपूर्ण भारतीय नागरिकों और अफगानिस्तान के सिख और हिन्दू नागरिकों को तत्काल बाहर निकालने की जरूरत थी। खासतौर से तीन गुरुद्वारों से पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब को भारत लाना था क्योंकि पता नहीं था कि तालिबानी आक्रांताओं का बरताव कैसा होगा? ऐसे में भारतीय वायुसेना की मदद ली गई। वहां फंसे भारतीयों को वहां से सुरक्षित निकालने के विशेष मिशन को संचालित किया गया, जिसमें 800 से ज्यादा लोगों को निकाला गया। इनमें भारत के अलावा दूसरे देशों के नागरिक भी हैं। भारतीय वायुसेना ने यह कार्य ‘वसुधैव कुटुम्बकम’की भावना से किया है, जो भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र है।

ऑपरेशन देवी शक्ति

इस मिशन को भारत ने ‘ऑपरेशन देवी शक्ति’ का नाम दिया है। यह नाम स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिया है। पीएम मोदी खुद मां दुर्गा के बड़े उपासक हैं और नवरात्र के दौरान वे हर साल व्रत रखते हैं। इस मुश्किल मिशन को ऐसा नाम क्यों दिया गया? सूत्रों के अनुसार यह नाम ‘ऑपरेशन देवी शक्ति’ इसलिए रखा गया क्योंकि जैसे ’मां दुर्गा’ राक्षसों से बेगुनाहों की रक्षा करती हैं, उसी प्रकार इस मिशन का लक्ष्य बेकसूर नागरिकों को तालिबान के आतंकियों की हिंसा से रक्षा करना है। यह ऑपरेशन वायुसेना की भूमिका और तालिबानियों की निर्ममता पर एक साथ टिप्पणी है। स्थिति कितनी खराब थी, इसका अंदाजा 26 अगस्त के उस आत्मघाती हमले से लगाया जा सकता है, जिसमें 170 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें अमेरिकी सैनिक भी शामिल थे। इससे पूरे इलाके में दहशत का माहौल पैदा हो गया था।

इस मिशन की जानकारी 24 अगस्त को विदेशमंत्री एस जयशंकर के एक ट्वीट से लगी, जिसमें 78 लोगों के एक जत्थे के दिल्ली आगमन की जानकारी दी। इसमें उन्होंने ’ऑपरेशन देवी शक्ति’ का नाम लिया। इससे पहले 17 अगस्त को सुरक्षा से सम्बद्ध कैबिनेट की कमेटी (सीसीएस) की बैठक में प्रधानमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को बाहर निकालें। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जो सिख और हिन्दू अफगान नागरिक भारत आना चाहे, उन्हें भी लेकर आएं। खासतौर से दूतावास के कर्मियों को निकालने की जरूरत थी। 78 लोगों के साथ पहली उड़ान दुशान्बे के रास्ते से होती हुई दिल्ली पहुंची। बाहर से देखने पर ये काम आसान लगते हैं, पर इनके संचालन के लिए केंद्रीय-स्तर पर जबर्दस्त समन्वय और टीम भावना की जरूरत होती है। भारतीय सेनाओं तथा नागरिक उड्डयन सेवाओं ने और देश के विदेश मंत्रालय ने समय-समय पर आपदा-राहत के समय कर्तव्य निर्वाह किया है लेकिन सन 2014 में नरेन्द्र मोदी की सरकार आने के बाद के कुछ अभियानों का उल्लेख खासतौर से किया जाना चाहिए। इनमें कुछ का विवरण इस प्रकार है-

ऑपरेशन संकटमोचन

साल 2016 के जून-जुलाई में इराक में इस्लामिक स्टेट ने भयंकर खून-खराबा शुरू कर दिया था। उस मौके पर टिक्रीत के एक अस्पताल में 46 भारतीय नर्सें घिर गईं थीं। उन्हें बाहर निकालने की जबर्दस्त चुनौती थी। उन्हें सफलतापूर्वक सुरक्षित बाहर निकाला गया।

ऑपरेशन राहत

अप्रैल 2015 में यमन के गृहयुद्ध और सऊदी अरब की सैनिक कार्रवाई के कारण खतरनाक स्थिति पैदा हो गई थी। उस मौके पर भारतीय नौसेना, वायुसेना और एयर इंडिया ने मिलकर ‘ऑपरेशन राहत’ का संचालन किया। इसमें 4,600 से ज्यादा भारतीयों और 41 देशों के 950 से ज्यादा नागरिकों को बचाकर बाहर निकाला गया। इसी तरह मार्च 2016 में जब बेल्जियम के ब्रसेल्स हवाई अड्डे पर विस्फोट हुए थे, तब भारत ने करीब 250 अपने नागरिकों को बचाकर निकाला था।

वंदे भारत मिशन

कोरोना संकट से निपटने के लिए नरेंद्र मोदी ने जो सम्पर्क-संवाद कायम किया, वह दक्षिण एशिया के साथ-साथ शेष विश्व के लिए भी प्रेरक-पहल है। पिछले साल कोरोना वायरस के कारण चीन में फंसे भारतीयों को निकालने के साथ-साथ भारत ने मित्र देशों के नागरिकों को भी निकालने की पेशकश की थी। भारत ने ‘वंदे भारत मिशन’ चलाया और दुनिया के करीब 100 देशों में फंसे  70 लाख से ज्यादा भारतीयों को स्वदेश पहुंचाया। इस मिशन में भारतीय विमानों ने 88,000 से ज्यादा उड़ानें भरीं। और श्रीलंका जैसे देश शामिल हैं।

दिसंबर 2014 में मालदीव का वाटर प्लांट जल गया और पूरे देश में पीने के पानी की किल्लत हो गई। आपातकाल की घोषणा कर दी गई, तब भारत ने पड़ोसी का फर्ज अदा किया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने त्वरित फैसला लिया। मालदीव को पानी भेजने का निर्णय कर लिया गया और इंडियन एयर फोर्स के 5 विमान और नेवी शिप के जरिए पानी पहुंचाया जाने लगा।

सुनामी ने दिए सबक

दिसम्बर 2004 में आई दक्षिण पूर्व एशिया की सुनामी के दौरान हमारी नौसेना संकल्प के साथ राहत कार्य में शामिल हुई। इस आपदा में तटवर्ती देशों के हजारों लोगों की मौत हुई। इस आपदा में भारत ने हिस्सा तो लिया ही साथ ही उससे कुछ सबक भी सीखे। इसके बाद साल 2005 में भारतीय संसद ने आपदा प्रबंधन अधिनियम पास किया, जिसके तहत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की स्थापना की गई। 27 अप्रैल, 2015 को नेपाल में आए भूकंप में आठ हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई। वह भयानक आपदा थी, जिसमें भारत ने आगे बढ़कर मदद की। भारत के राष्ट्रीय आपदा सहायता बल (एनडीआरएफ) ने जितनी तेजी से मदद पहुंचाई गई वह अपने आप में अलग कहानी है। नवम्बर 2017 में श्रीलंका में पेट्रोल और डीजल का संकट पैदा हो गया। राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना के साथ प्रधानमंत्री मोदी की टेलीफोन पर हुई बातचीत के बाद मदद भेजी गई।

ऑपरेशन समुद्र-सेतु और मिशन सागर

कोविड-19 महामारी के दौरान भारतीय नागरिकों को विदेश से वापस लाने के प्रयासों के तहत 5 मई, 2020 को शुरू किए ‘ऑपरेशन समुद्र-सेतु’ के तहत समुद्र मार्ग से 3,992 भारतीय नागरिकों को अपने देश लाया गया। यह सूची बहुत लम्बी है। इससे इतना जरूर समझ में आना चाहिए कि जब कहीं संकट आता है, तब भारत सबसे पहले सहायता करने पहुंचता है और हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: afghanistanbreaking newshindi vivekhindi vivek magazinepoliticsselectivetalibantaliban kya haitalibanitalibani mindsettalibaniterrorist

प्रमोद जोशी

Next Post
क्या मुख्य मंत्री चन्नी सिद्धू का मोहरा बनेंगे?

क्या मुख्य मंत्री चन्नी सिद्धू का मोहरा बनेंगे?

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0