उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले है जिसे लेकर सभी पार्टियों ने अपनी अपनी कमर कस ली है। सभी नेता अपने कार्यों और बयानों के माध्यम से जनता को लुभाने की कोशिश में लगे हुए हैं लेकिन इस बीच सवाल यह है कि आखिर जनता किसे अपना मुख्यमंत्री देखना चाहती है? राजनीतिक दल कितनी भी कोशिश कर लें लेकिन जनता अब जागरूक हो चुकी है और खुद के विकास के आधार पर ही वोट करना चाहती है हालांकि इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि अभी भी उत्तर प्रदेश में जातिवाद के नाम पर बड़ी संख्या में वोट पड़ते हैं। एक सर्वे के माध्यम से यह पता चला है कि अभी भी राज्य में योगी आदित्यनाथ को लोग बतौर मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं जबकि सपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को दूसरे नंबर पर लोग पसंद कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश की 43 प्रतिशत जनता योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है जबकि 31 प्रतिशत लोग अखिलेश यादव को सीएम बनाना चाहते हैं। मायावती को 15 प्रतिशत और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी को मात्र 5 फीसदी लोग राज्य का मुखिया बनाना चाहते हैं। सर्वे से तो यह साफ पता चलता है कि योगी ही राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे लेकिन अखिलेश यादव के जीत का अंतर भी बहुत कम नहीं है चुनावी समय तक इसमें परिवर्तन हो सकते हैं और पाला पलट सकता है। योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल में जितने भी कार्य किए वह सभी तारीफ के काबिल थे। कोरोना महामारी के बाद भी योगी सरकार की तरफ से तेजी से विकास कार्यों को अंजाम दिया गया और गरीब व दलित की पूरी मदद की गयी।
हाल ही में हुआ पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का उद्घाटन भी बीजेपी के लिए फायदे का सौदा साबित होगा। यह दावा भी एक निजी सर्वे में किया गया है। राज्य के करीब 52 फीसदी लोगों का कहना है कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे से राज्य का एक बड़ा भाग लाभान्वित हो रहा है जिससे जनता बीजेपी के पक्ष में वोट कर सकती है। योगी सरकार के कार्यकाल में कोरोना के बाद भी हर तरफ सुधार देखने को मिल रहा है। सरकारी अफसरों में सबसे अधिक सुधार देखने को मिल रहा है और आम जनता के कामकाज समय पर हो रहे हैं। हालांकि पुलिस के कामकाज को लेकर सरकार पर सवाल उठते रहे हैं जिसमें कुछ एनकाउंटर विशेष निशाने पर रहें है। उत्तर प्रदेश पुलिस के हाथों को सरकार की तरफ से थोड़ी छूट जरूर मिली है जिससे अपराध कम हुए हैं लेकिन एनकाउंटर की वजह से सरकार को विपक्षी दलों ने निशाने पर लिया है। सर्वे में उत्तर प्रदेश की करीब 61 फीसदी जनता ने यह माना है कि पुलिस के कामकाज से सरकार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
*नोट- सभी आंकड़े सी वोटर सर्वे पर आधारित हैं।