शिक्षण संस्थाओं के खुलने व इन शिक्षण संस्थाओं की आवश्यकता पूर्ति हेतु बजार आदि निर्माण करना पड़ता है तो रोजगार के कई अवसर पैदा होते हैं। छात्रों के अभिभावक व रिश्तेदार भी कई बार उनके साथ पर्यटन करते हैं अतएव कई तरह के पर्यटन उत्पाद तैयार करने पड़ते हैं।
जब कोई विशेष शिक्षण प्रशिक्षण हेतु अपना घर छोड़ता है तो उस यात्रा को शिक्षण पर्यटन कहा जाता है। शिक्षण पर्यटन की परिभाषा जटिल भी है और बहु क्षेत्रीय भी है क्योंकि विद्यार्थी बहुत सी बातें सीखने भी घर छोड़ता है जैसे स्कूली छात्र किसी विशेष ज्ञान हेतु भी यात्रा करते हैं। किन्तु यहां पर पारम्परिक शिक्षा या नव शिक्षा केन्द्रों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा जो उत्तराखंड या किसी भी क्षेत्र विशेष के बाहर के छात्रों को आकर्षित करे।
उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति में कृषि से वृद्धि नहीं हो सकती है और ना ही उत्तराखंड में पारम्परिक उद्यम विकसित किये जा सकते हैं जो कि आम मैदानों में विकसित होते हैं। अतः उत्तराखंड में सेवा या सर्विस उद्यम ही आर्थिक स्थिति विकसित करने के विकल्प हैं।
पर्यटन विकास वास्तव में उत्तराखंड का सबसे मजबूत पक्ष है जिसमें शिक्षण पर्यटन एक खंड है जो विकसित होना आवश्यक है।
शिक्षण पर्यटन से लाभ
वास्तव में शिक्षण पर्यटन एकतरफा पर्यटन नहीं है। शिक्षा या ज्ञान हेतु विद्यालयों में छात्रों द्वारा पढ़ाई हेतु आब्रजन और किसी विशेष ज्ञान की प्राप्ति हेतु पर्यटन दोनों शिक्षण पर्यटन में आते हैं। हम इस श्रृंखला में विद्यालयों में छात्रों द्वारा पढ़ाई हेतु घर से बाहर यात्रा को ही लेंगे।
छात्रों द्वारा घर से बाहर यात्रा करने से ठहरने के क्षेत्र को कई लाभ मिलते हैं –
निवेश – शिक्षण पर्यटन से क्षेत्र को कई नए निवेश मिलते हैं। शिक्षण पर्यटन विकास हेतु कई आवश्यकताओं की पूर्ति आवश्यक है और यह आवश्यकतापूर्ति निवेश लाता है जैसे क्षेत्र में छात्रों हेतु भोजनालय, होटल, पुस्तक विक्रेता/दुकान की आवश्यकता पड़ती है और इन आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु निवेशकर्ता निवेश करते हैं।
संसाधन- छात्रों हेतु कई प्रकार के संसाधन जोड़ने पड़ते हैं जैसे विद्यालय, परिवहन, मनोरंजन, खेल के मैदान आदि। ये इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रीय जनता को भी लाभ पहुंचाते हैं।
छात्रों के अभिभावक व रिश्तेदार भी कई बार उनके साथ पर्यटन करते हैं अतएव कई तरह के पर्यटन उत्पाद तैयार करने पड़ते हैं- जैसे देहरादून में आईएमए के कैडिट्स व परिजनों हेतु कई तरह के पर्यटक उत्पाद नर्माण हुए हैं।
शिक्षण संस्थाओं के खुलने व इन शिक्षण संस्थाओं की आवश्यकता पूर्ति हेतु बाजार आदि निर्माण करना पड़ता है तो रोजगार के कई अवसर पैदा होते हैं। देहरादून का जो भी विकास हुआ वह शिक्षण पर्यटन के कारण हुआ। मल्ला ढांगू में सिलोगी एक सिल्ल पहाड़ी जंगल था किन्तु सन 1923 में स्कूल खुलने व फिर हाई स्कूल व अब इंटर कॉलेज होने से सिलोगी में एक बाजार पैदा हो गया है और रोजगार के कई अवसर सिलोगी में निर्मित हो गए हैं। जहरीखाल व दुग्गडा अन्य उदाहरण हैं।
शिक्षण पर्यटन से अन्य उद्यम फलते हैं, जिन्हें चलाने हेतु ‘स्किल्ड मैनपावर’ की आवश्यकता होती है। पहले ‘स्किल्ड मैनपावर’ बाहर से आयात करना पड़ता था किन्तु अब क्षेत्र में ही ‘स्किल्ड मैनपावर’ तैयार किये जाने लगे हैं। उदाहरणार्थ शिक्षण पर्यटन के कारण देहरादून में गोयल फोटो कम्पनी चली और गोयल फोटो कम्पनी के लिए देहरादून में पहले फोटग्राफर आयात हुए किन्तु बाद में गोयल फोटो कम्पनी के कारण कई फोटोग्राफर देहरादून में ही तैयार होते गए।
शिक्षण पर्यटन से कई नए प्रकार के पर्यटक स्थल विकसित हुए जो अन्य प्रकार के पर्यटक स्थल में परिवर्तित हो गए जैसे देहरादून में टपकेश्वर मंदिर, नाला पानी का विकास आदि।
* शिक्षण पर्यटन से सामजिक विकास को नई दिशा मिलती है जिसका उदाहरण देहरादून व नैनीताल है।
* शिक्षण पर्यटन से संस्कृति के आदान-प्रदान को गति मिलती है।
* शिक्षण पर्यटन राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय सहयोगियों को आकर्षित करता है। दून स्कूल का इतिहास इसका उदाहरण है।
* शिक्षण पर्यटन क्षेत्र को वैश्विक नक्शे पर स्थापित करने में सफल होता है। श्रीनगर गढ़वाल इसके उम्दा उदाहरण हैं।
*शिक्षण पर्यटन विकास से क्षेत्र विशेष की विशेष छवि निर्मित होती है जैसे कोटा राजस्थान की आईएएस तैयार करने की छवि निर्मित हो गयी है। दून स्कूल, वेल्हम स्कूलों से देहरादून को अंतर्राष्ट्रीय छवि प्राप्त हुई।
शिक्षण पर्यटन का वर्गीकरण
शिक्षण पर्यटन की व्याख्या जटिल होने के कारण शिक्षण पर्यटन का वर्गीकरण भी जटिल है और कई प्रकार से विपणन आचार्यों ने इसका अलग-अलग प्रकार से वर्गीकरण किया है।
मुख्यत: दो प्रकार से शिक्षण पर्यटन का वर्गीकरण किया जा सकता है।
लघु समायिक शिक्षण पर्यटन
दीर्घ कालीन शिक्षण पर्यटन या पलायन
शिक्षण पर्यटन का एक और प्रकार से वर्गीकरण भी हुआ है –
युवा पर्यटन– जब युवा कुछ विशेष ज्ञान हेतु पर्यटन पर निकलते हैं यह पर्यटन लघु कालीन शिक्षा पर्यटन का हिस्सा होता है।
प्राइमरी या हाई स्कूल तक शिक्षा पर्यटन- इस प्रकार में बच्चे मुख्यत: हॉस्टल में निवास करते हैं जैसे वेल्हम ब्वाइज या गर्ल्स स्कूल देहरादून या दून स्कूल देहरादून जहां बच्चे हॉस्टल में निवास करते हैं।
उच्च शिक्षा हेतु पलायन- टेक्निकल या उच्च शिक्षा हेतु जब विद्यार्थी घर से बाहर दूसरे देश या दूसरे शहरों में निवास करता है तो उसे उच्च शिक्षण पर्यटन कहा जाता है।
अन्वेषण शिक्षा हेतु पर्यटन– पीएचडी, मास्टर डिग्री आदि हेतु शिक्षण पर्यटन इस प्रकार में आते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा हेतु पर्यटन – इस प्रकार के पर्यटन में छात्र विशेष देश या स्थल में पर्यटन करता है जैसे छात्रों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हॉस्पिलिटी मैनेजमेंट की शिक्षा हेतु स्विटजरलैंड जाना।
विद्यार्थियों के आदान-प्रदान हेतु शिक्षण पर्यटन- दो देशों के मध्य करार के नाते छात्र दूसरे देश में शिक्षा प्राप्ति हेतु पर्यटन करते हैं।
सेमीनार पर्यटन– सेमिनारों हेतु अन्वेषक पर्यटन करते हैं और ऐसा पर्यटन लघु कालीन शिक्षण पर्यटन का हिस्सा होता है।
भाषा पर्यटन- आज ग्लोबलाइज़ेशन के चलते दूसरे देश की भाषा सीखनी आवश्यक हो गयी है अतः विदेशी भाषा सीखने हेतु भी शिक्षण पर्यटन आवश्यक है।
भूगोल जानने हेतु पर्यटन- किसी विशेष स्थल के भूगोल, भूगर्भ, संस्कृति या वनस्पति, जीव-जंतु के ज्ञान हेतु भी पर्यटन किया जाता है और यह पर्यटन लघु कालीन अथवा दीर्घ कालीन पर्यटन हो सकता है।
उपरोक्त तथ्य सिद्ध करते हैं कि उत्तराखंड में शिक्षण पर्यटन की बहुत बड़ी संभावनाएं हैं और शिक्षण पर्यटन को महत्व मिलना आवश्यक है।
उत्तराखंड में शिक्षण पर्यटन की आवश्यकता
उत्तराखंड में चूंकि पारम्परिक उद्यम नहीं लग सकते अतः शिक्षा उद्यम ही ऐसा उद्यम है जो पर्यटन को विकसित कर सकता है। उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति स्वास्थ्यकारी है अतः उत्तराखंड में शिक्षण पर्यटन भली-भांति फल-फूल सकता है। ग्रामीण आर्थिक विकास हेतु शिक्षण पर्यटन सर्वोत्तम उद्यम है जो पलायन रोकने में भी सक्षम है।
शिक्षण पर्यटन विकास से स्थानीय शिक्षा स्तर भी विकसित होता है जो क्षेत्र हेतु अति लाभकारी है।
शिक्षण पर्यटन से कई प्रकार के इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने पड़ते हैं जो अन्य उद्यमों को भी आकर्षित करते हैं।
शिक्षण पर्यटन विकास से स्थानीय लोगों को कई प्रकार के रोजगार मिलते हैं।
शिक्षण पर्यटन से व्यापर बढ़ता है व स्थानीय व्यापरी पैदा होते हैं।
शिक्षण पर्यटन से स्त्री रोजगार को अधिक लाभ मिलता है।
शिक्षण पर्यटन याने अंतरास्ट्रीय स्तर की शिक्षा हेतु इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना जिससे स्थानीय छात्रों की प्रतियोगिता शक्ति भी विकसित होता है।