श्री मनोहरलाल जुयाल की जीवन यात्रा सचमुच में बहुत अद्भुत है। देहरादून में आकर व्यापार की तरफ रुख किया। अपनी मेहनत और लगन से धीरे-धीरे उन्होंने तरक्की करनी शुरू की और आज वे देहरादून के नामचीन होटलों के मालिक हैं। उन्होंने मायादेवी एज्युकेशन फाउंडेशन के माध्यम से उच्च विद्या का प्रसार करने में अपना योगदान दिया हैं। साथ में गौ भक्त मनोहरलाल यह उनकी विशेष पहचान हैं।
श्री मनोहरलाल जुयाल उत्तराखंड राज्य में एक जाना पहचाना नाम है। जुयाल ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज ने उत्तराखंड ही नहीं बल्कि भारत के कई शहरों में अपना नाम रोशन किया है। श्री मनोहरलाल जुयाल का जन्म 11 नवंबर सन 1949 को पौड़ी गढ़वाल के यम्केश्वर ब्लॉक में कैंडुल ग्राम में हुआ था। एक साधारण परिवार में जन्म लेकर ऊंचाई के उस शिखर पर पहुंचने की श्री मनोहरलाल जुयाल की जीवन यात्रा सचमुच में बहुत अद्भुत है। देहरादून में आकर श्री मनोहरलाल जुयाल ने अपनी बीएसई तक की पढ़ाई पूरी की और व्यापार की तरफ रुख किया। अपनी मेहनत और लगन से धीरे-धीरे उन्होंने तरक्की करनी शुरू की और आज वे देहरादून के नामचीन होटलों में शुमार, होटल सौरभ, होटल गौरव, होटल तृप्ति पैलेस, होटल कंपिटेंट पैलेस और हिल क्वीन रेस्ट्रो बार एंड कैफे के मालिक हैं।
श्री मनोहरलाल जुयाल का शिक्षा में योगदान
हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में शौहरत कमाने के बाद श्री मनोहरलाल जुयाल ने शिक्षा की तरफ अपना योगदान देना शुरू किया। अपनी माता मायादेवी के नाम पर श्री मनोहरलाल जुयाल ने मायादेवी एजुकेशन फाउंडेशन का निर्माण किया।
आज माया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट में कई प्रकार के कोर्स कराए जाते हैं, जैसे इंजीनियरिंग, एग्रीकल्चर, मैनेजमेंट, साइंस एंड टेक्नोलॉजी, फॉरेन लैंग्वेज डिजास्टर एंड कनफ्लिक्ट मैनेजमेंट। माया ग्रुप ऑफ एजुकेशन के द्वारा बी.कॉम, बीबीए, बी ऐड और कई क्षेत्रों में छात्रों को शिक्षा प्रदान की जाती है। इन संस्थाओं में शिक्षा प्राप्त करके कई हजार छात्र देश विदेश में जाकर अपना योगदान दे रहे हैं। योग्यता के आधार पर आर्थिक रूप से तंगपहाड़ी विद्यार्थियों (गढ़वाली और कुमाऊंनी) को कई बार श्री मनोहरलाल जुयाल स्पॉन्सरशिप देते आए हैं। उनका यह मानना है कि सिर्फ पैसों की तंगी के कारण एक उज्जवल विद्यार्थी को शिक्षा से वंचित रखना उचित नहीं है।
 गौ रक्षा मेरा धर्म
गौ रक्षा मेरा धर्म
एम एल जुयाल साधारण जीवन बिताना पसंद करते हैं और धर्म से उनका काफी गहरा लगाव है। गौ रक्षा अभियान में श्री मनोहरलाल जुयाल विशेष रुचि रखते हैं और उन्होंने कई गाएं स्वयं पाली हुई हैं। उनकी तीन गौ शालाएं हैं। जिनमें लगभग 200 से अधिक विभिन्न नस्लों की गाएं हैं। दो गौशालाओं में स्वस्थ गाये हैं, तीसरी गौशाला देहरादून के भंडारी बाग में करीब-करीब 45 से 50 वृद्ध गाएं रहती हैं जो अपनी आयु पूरी कर चुकी हैं और जिन्होंने दूध देना बंद कर दिया है। उनकी देखभाल बहुत ही अच्छी तरीके से की जाती है। अंत समय आने पर उन्हें विधिवत तरीके से विदा किया जाता है। गायों के प्रति एम. एल. जुयाल का अपार स्नेह है।
गाय को वे अपनी माता मानते हैं और उनके लालन पालन में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। गाय अगर दूध देना बंद भी कर दे तब भी उनकी देखभाल उसी तरह की जाती है जैसे एक दूध देने वाली गाय की जाती है। गायों के प्रति उनका स्नेह इसी बात से पता चलता है कि उन्होंने गायों के लिए विशेष रुप से पंखे लगाए हैं जिससे गायों को गर्मी से राहत मिल सके।
 श्री मनोहरलाल जुयाल कभी भी अपनी गाय, बैल और बछड़ों को नहीं बेचते।
श्री मनोहरलाल जुयाल कभी भी अपनी गाय, बैल और बछड़ों को नहीं बेचते।
श्री मनोहरलाल जुयाल ने न केवल अपने घर में बल्कि माया देवी एजुकेशन फाउंडेशन में भी कई गाएं पाल रखी हैं और उनके कई लोग गौ रक्षा अभियान में लगे हुए हैं। गौ रक्षा अभियान में अपने संबंधी गोपाल मणि महाराज और बहु सीता जुयाल के साथ मिलकर गौ रक्षा का दृढ़ संकल्प लेनेवाले श्री मनोहर लाल जुयाल गौरक्षा को अपना प्रथम धर्म मानते हैं और इसके लिए वे प्रतिद्ध हैं।
 वे सामाजिक सरोकारों के निर्वहन को भी आप अपना उत्तरदायित्व मानते हुए निर्वहन करते आए हैं। उत्तराखंड की समृद्ध कला और संस्कृति के प्रति उनकी विशेष रुचि है और समय-समय पर वे अपना सहयोग प्रदान करते रहे हैं।
वे सामाजिक सरोकारों के निर्वहन को भी आप अपना उत्तरदायित्व मानते हुए निर्वहन करते आए हैं। उत्तराखंड की समृद्ध कला और संस्कृति के प्रति उनकी विशेष रुचि है और समय-समय पर वे अपना सहयोग प्रदान करते रहे हैं।
जीवन के इस पड़ाव में वे ईश्वर को धन्यवाद देते हैं कि ईश्वर ने उन्हें इस काबिल बनाया कि वे अपने पहाड़ी भाइयों और बहनों की मदद कर सकें। हमेशा तत्पर मनोहरलाल जुयाल अपनी पत्नी श्रीमती प्रभादेवी जुयाल और संयुक्त परिवार में, तीनों बेटे गौरब जुयाल, सौरब जुयाल, सक्षम जुयाल, पुत्रवधू सीता जुयाल, अंबिका जुयाल, नीतिका जुयाल, पोता-पोति नाती-नातिन बेटी तृप्ति जुयाल सेमवाल और दामाद आशीष सेमवाल के साथ भरा पूरा जीवन बिता रहे हैं।
 
			

