फिल्मों के लिए लोकप्रिय लोकेशन

हाल ही में उत्तराखंड को नेशनल फिल्म अवार्ड में मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट का अवार्ड भी मिला है। कुछ समय पहले फिल्म ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (एफटीआई), पुणे और उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद के संयुक्त तत्वावधान में एक कार्यशाला भी आयोजित की गई थी जिसमें बताया गया था कि प्रदेश में एक्टिंग, डिजिटल छायांकन, डिजिटल फिल्म प्रोडक्शन, स्टिल फोटोग्राफी और फिल्म मेकिंग कोर्स आरंभ किए जाएंगे जिससे, शूटिंग के लिए आने वाले निर्माताओं को दक्ष मैन-पावर भी उपलब्ध हो सकेगा।

उत्तराखंड का अप्रतिम प्राकृतिक सौंदर्य बरबस ही किसी के भी दिल में आसानी से गहरा उतर जाने की अद्भुत क्षमता रखता है। उत्तराखंड अध्यात्म के साधकों की भी प्रिय स्थली रहा है। चाहे उत्तरकाशी, औली की पहाड़ियां हों या नैनीताल व भीमताल के ताल, चाहे बद्रीनाथ, केदारनाथ की बर्फ से लकदक चोटियां हों या ऋषिकेश व हरिद्वार में अविरल बहती गंगा की धारा, देहरादून की घाटियां हों या पहाड़ों की रानी मसूरी, राजाजी नेशनल पार्क व कॉर्बेट के जंगल हों या अल्मोड़ा की शांत वादियां, उत्तराखंड में न जाने कितने ऐसे स्थल हैं, जो स्विट्जरलैंड को मात देते नज़र आते हैं और आपको सदा-सदा के लिए यहीं का हो जाने को लालायित करते हैं। यही कारण है कि अनेक प्रमुख उद्योगपति, साहित्यकार, अभिनेता व नौकरशाह यहां पर आए तो यहीं के होकर रह गए।

पुराने समय में यूं तो बॉलीवुड के फिल्मकारों के लिए कश्मीर की घाटी प्रिय ‘शूटिंग लोकेशन’ रही है, पर जब भी कभी कोई फिल्मकार उत्तराखंड आया तो वह यहां पर अपनी फिल्में चित्रित करने को लालायित हो उठा। आज तो यह स्थिति है कि एक साथ कई बड़ी बजट की फिल्मों की शूटिंग उत्तराखंड में जारी है। कुछ पीछे जाएं तो बिमल रॉय, राजकपूर व बीआर चोपड़ा जैसे बड़े फिल्मकारों ने उत्तराखंड में अपनी फिल्मों का निर्माण किया है। ब्लैक एंड व्हाइट सिनेमा के अस्तित्व के समय से ही कई फिल्म निर्माताओं द्वारा उत्तराखंड के सौंदर्य को सदा-सदा के लिए पर्दे पर अंकित कर दिया गया है। यहां की दिव्यता व प्राकृतिक सौंदर्य ने अनेक फिल्मों को सजाया है और उन्हें समृद्ध बनाया है। उत्तराखंड में फिल्माई गई फिल्मों ने हमारे दिमाग में अमिट छाप छोड़ी है और वे अभी भी हमारे स्मृति खंड में गहराई से अंकित हैं।

कई फिल्मों की हुई शूटिंग

बिमल रॉय की दिलीप कुमार, वैजयंतीमाला व प्राण अभिनीत अत्यंत ही खूबसूरत फिल्म मधुमति, सुनील दत्त व माला सिन्हा अभिनीत गुमराह, अशोक कुमार व मीना कुमारी अभिनीत भीगी रात, मनोज कुमार व साधना की अनीता, राजेश खन्ना व आशा पारेख की फिल्म कटी पतंग, मंदाकिनी व राजीव कपूर की राज कपूर द्वारा निर्देशित फिल्म राम तेरी गंगा मैली, दिलीप कुमार की ही अभिनीत दास्तान जैसी फिल्मों की एक लंबी फेहरिस्त है, जो उत्तराखंड में फिल्माई गईं। बॉलीवुड के फिल्म निर्माताओं द्वारा यहां की पहाड़ियों, पर्वत श्रृंखलाओं व चोटियों, यहां की घाटियों, जंगलों, तालों, नदियों, बुग्यालों, नगरों को (मसूरी व देहरादून) तथा यहां के विश्व प्रसिद्ध स्थानों मसलन फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआई) व इंडियन मिलिटरी अकादमी (आईएमए) की नायाब इमारतों को गुमराह, मधुमति, कटी पतंग, कांची, कोई मिल गया, किसना, मेरी ब्रदर की दुल्हन, दम लगा के हईशा, राम तेरी गंगा मैली, बंटी और बबली, काल, लक्ष्य, सलामी, पान सिंह तोमर, स्टुडेंट ऑफ द इयर, स्टुडेंट ऑफ द इयर-2, बत्ती गुल मीटर चालू, राइफलमैन जसवंत सिंह रावत व केदारनाथ जैसी फिल्मों में परदे पर उतारा गया है। एक और विशेषता है, जो फिल्मकारों के लिए उत्तराखंड को अन्य राज्यों से अलग करती है। यहां पर प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ कुछ ऐसी भी ऐतिहासिक संस्थाएं व लोकेशन हैं जो किसी विशेष विषय मसलन सैन्य पृष्ठभूमि या स्कीइंग आदि पर बनने वाली फिल्मों के लिए सर्वथा उपयुक्त हैं। वहीं बदरीनाथ, केदारनाथ जैसे स्थान आध्यात्मिक विषय से जुड़ी फिल्मों के लिए उपयुक्त हैं। निर्विवाद रूप से कहा जा सकता है कि उत्तराखंड अपने आप में फिल्मकारों के लिए लगभग संपूर्ण डेस्टिनेशन है। यहां पर लगभग हर जॉनर की फिल्मों के लिए चाहे रोमांस, रहस्य व सस्पेंस हो, एडवेंचर हो, सैन्य पृष्ठभूमि हो, पर्यावरण पर फोकस करती फिल्म हो, अध्यात्म का विषय हो या फैमिली ड्रामा, उपयुक्त लोकेशन व घटक मौजूद हैं। यहां की धरती ने कई  प्रमुख कलाकार बॉलीवुड को दिए हैं जिनमें बीते जमाने के अग्रणी विलेन के एन सिंह से लेकर तिग्मांशु धूलिया, प्रसून जोशी, टॉम ऑल्टर, निर्मल पांडे, अर्चना पूरण सिंह, हिमानी शिवपुरी, हेमंत पांडे, सुधीर पांडे, उदिता गोस्वामी, जुबिन नौटियाल, विशाल भारद्वाज, अली अब्बास जफर, राघव जुयाल, दीपक डोबरियाल,  नेहा कक्कड़ आदि शामिल हैं।

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून, सभी आधुनिक सुविधाओं और हवाई, रेल और सड़क के माध्यम से वेल कनेक्टेड है तथा सभी प्रकार की फिल्म निर्माण गतिविधियों के लिए अनुकूल है। स्क्रिप्ट की मांग के अनुरूप उत्तराखंड सुंदर स्थानों की शूटिंग के लिए एक आदर्श मंच प्रदान करता है क्योंकि अद्वितीय सुंदरता और प्राकृतिक समृद्धि के अतिरिक्त यहां पर फिल्म निर्माण का अर्थशास्त्र भी यहां पर फिल्म निर्माण के अनुकूल है। किसी भी निर्माता को यहां की सरकार व प्रशासन के सहयोग के अलावा स्थानीय कलाकारों की क्षमता व कौशल का भी कम लागत में लाभ मिलता है। उत्तराखंड फिल्म पॉलिसी 2015 के तहत, क्षेत्रीय भाषाओं की शूटिंग का प्रति माह शुल्क 15,000 रूपए था। अन्य भाषाओं के लिए यह शुल्क 10,000 रुपए था लेकिन फिल्म नीतियों में संशोधन करते हुए और राज्य में और ज्यादा फिल्मों की शूटिंग और लोकल स्तर पर इकॉनमी को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कुछ समय पहले, शूटिंग को आसान बनाने के लिए सिंगल विंडो क्लियरेंस और प्रदेश में शूटिंग को निःशुल्क कर दिया गया है। वनों में व आरक्षित वन क्षेत्र में पहले फिल्म निर्माताओं को सरकार और वन विभाग की अलग से आज्ञा लेनी पड़ती थी पर अब यह अनुमति सिंगल विंडो क्लियरेंस के जरिये मिलने लगी है।

उत्तराखंड है मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट

हाल ही में उत्तराखंड को नेशनल फिल्म अवार्ड में मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट का अवार्ड भी मिला है।  कुछ समय पहले फिल्म ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (एफटीआई), पुणे और उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद के संयुक्त तत्वावधान में एक कार्यशाला भी आयोजित की गई थी जिसमें बताया गया था कि प्रदेश में एक्टिंग, डिजिटल छायांकन, डिजिटल फिल्म प्रोडक्शन, स्टिल फोटोग्राफी और फिल्म मेकिंग कोर्स आरंभ किए जाएंगे जिससे, शूटिंग के लिए आने वाले निर्माताओं को दक्ष मैन-पावर भी उपलब्ध हो सकेगा। निश्चित ही उत्तराखंड में सिनेमा रोजगार का एक अच्छा विकल्प सिद्ध हो सकता है। न केवल हिंदी और साउथ की फिल्में, बल्कि विदेशी फिल्मकारों में भी उत्तराखंड को लेकर रुचि देखी जा रही है। सर्बियन फिल्म डायरेक्टर गोरान पास्कलजेविक ने उत्तराखंड पर ’लैंड ऑफ़ द गॉड’ फिल्म बनाई है और वह ’फूलों की घाटी’ पर एक फिल्म का निर्माण भी कर रहे हैं। कोरोना के कारण हुए देशव्यापी लॉकडाउन के चलते मुंबई से बहुत से फिल्मकारों ने उत्तराखंड का रुख किया और यहां पर एक साथ ही कई फिल्मों का निर्बाध रूप से निर्माण हुआ और अब भी हो रहा है। प्रमुख पत्रकार व अभिनेता सतीश शर्मा पिछले कई सालों से उत्तराखंड को फिल्मों के लिए अग्रणी डेस्टिनेशन के रूप में प्रोत्साहित कर रहे हैं। वह पिछले कुछ सालों में अनेक फिल्मकारों को यहां लाकर फिल्म निर्माण करने को प्रेरित करने में सफल रहे हैं। इसके अलावा वह राज्य सरकार के स्तर पर फिल्म नीति में आवश्यक सुधारों के लिए प्रयास कर रहे हैं जिनसे यहां पर अधिक से अधिक संख्या में फिल्मों का निर्माण हो सके और उत्तराखंड देश भर में फिल्मांकन व फिल्म निर्माण के लिए प्रमुख डेस्टिनेशन बन सके। उनका कहना है कि उनका सपना है कि उत्तराखंड बॉलीवुड ही नहीं बल्कि दक्षिण भारतीय फिल्मों व हॉलीवुड की फिल्मों के लिए भी तिब्बत की भांति लोकप्रिय लोकेशन बन सके।

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