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संघ के 6 उत्सव और उनके महत्व

संघ के 6 उत्सव और उनके महत्व

by हिंदी विवेक
in विशेष, संघ, संस्कृति
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) किसी परिचय का मोहताज नहीं है यह एक ऐसा संगठन है जो पूरे विश्व में चर्चित है वैसे तो इसका सीधे तौर पर राजनीति से कोई नाता नहीं है लेकिन फिर भी कुछ राजनीतिक दल संघ के कार्यों पर आपत्ति उठाते रहते है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक ऐसा संगठन है जो देश हित, समाज हित, और धर्म हित के लिए सदैव तत्पर रहता है। राष्ट्र प्रेम और सम भावना की वजह से इस संगठन को लोगों से बहुत प्यार मिला और यह बहुत ही तेजी से लोगों के बीच प्रिय हो गया आने वाले कुछ सालों में यह अपना शताब्दी वर्ष मनाएगा। फिलहाल आज हम संघ के उत्सवों के बारे में बताने वाले है कि संघ में कौन-कौन से उत्सव है और इसकी क्या विशेषता है।    

 

संघ में उत्सव का महत्व

एक सवाल मन में आता है कि आखिर सनातन धर्म में उत्सव क्यों मनाए जाते हैं? शायद इसका जवाब आज के समय में कम लोगों के पास ही होगा क्योंकि जब उत्सवों की शुरुआत हुई थी तब समाज की दशा बिल्कुल अलग थी। समाज इतना आधुनिक नहीं था इसलिए उत्सवों की रचना हुई और सभी को उत्सव के माध्यम से एक दूसरे को समझने, जानने और समाज को जोड़े रखने का काम होता था। हर समाज के अपने अपने उत्सव होते थे और सभी का एक ही मकसद होता था कि समाज को जोड़े रखना। संघ भी इसी विचारधारा के साथ आगे बढ़ा और 6 उत्सव को अपने लिए चुना, जिसके माध्यम से समाज और धर्म को जोड़ा जा सके। 

वर्ष प्रतिपदा

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी हिन्दू कैलेंडर नववर्ष का प्रथम दिन, इस दिन से ही नये साल की शुरुआत होती है। इतिहास में इसी दिन से विक्रम संवत की शुरुआत हुई थी। वर्ष प्रतिपदा के दिन ही संघ के संस्थापक डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार जी का जन्म हुआ था। संघ के सभी उत्सवों में से यह विशेष होता है और इस दिन सभी की उपस्थिति गणवेश में अनिवार्य होती है। इस उत्सव के दौरान डाक्टर जी को याद किया जाता है और उनकी याद में सिर झुकाकर उन्हें ‘आद्य सरसंघचालक प्रणाम’ किया जाता है यह प्रणाम वर्ष में सिर्फ एक बार होता है। 

हिन्दू साम्राज्य दिवस

विक्रम संवत 1731, ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी के दिन ही छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ था और उन्होंने हिन्दू राज्य की घोषणा की थी। शिवाजी महाराज ने तमाम कठिनाईयों के बाद भी हिन्दू राज्य का नारा जारी रखा और अंत समय तक दुश्मनों के सामने हार नहीं मानी और यह साबित किया कि हिन्दू हर दृष्टि से श्रेष्ठ है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस उत्सव के माध्यम से यह बताना चाहता है कि हिन्दू हर दृष्टि से श्रेष्ठ है और वह सीमित संसाधन में भी खुद को श्रेष्ठ साबित कर सकता है। इस उत्सव के दिन सभी स्वयंसेवक छत्रपति शिवाजी महाराज को याद कर उन्हें नमन करते हैं और राष्ट्र की रक्षा की कसम खाते है।  

गुरु पूर्णिमा

गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु का पूजन किया जाता है जबकि संघ में इसे एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है और इस उत्सव के दिन भगवा ध्वज की पूजा की जाती है। संघ मानव पूजक नहीं है इसलिए संघ की तरफ से भगवा ध्वज को गुरु माना गया है इसलिए संघ में भगवा ध्वज की पूजा की जाती है। यह उत्सव आषाढ़ की पूर्णिमा को मनाया जाता है। संघ की अलग अलग शाखाओं में इसे अलग अलग दिनों में भी मनाया जाता है।   

रक्षाबंधन

यह त्यौहार भाई और बहन के बीच का त्यौहार माना जाता है। रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई उसकी रक्षा की कसम खाता है। संघ भी रक्षाबंधन का उत्सव इसी भावना से मनाता है और सभी स्वयंसेवक एक दूसरे की कलाई पर राखी बांधते हैं और एक दूसरे की रक्षा की कसम खाते हैं। स्वयंसेवक समाज के पिछड़े लोगों के साथ भी यह त्यौहार मनाते हैं और उनके साथ पूरे साल जुड़े रहते है तथा जरूरत पड़ने पर उनकी मदद भी करते है। 

विजयादशमी 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 को हुई थी और इस दिन विजयादशमी का उत्सव था। इसलिए विजयादशमी का त्यौहार विशेष रूप से संघ में मनाया जाता है। इस उत्सव में संघ अपनी शक्ति को भी प्रदर्शित करता है और संचलन के साथ साथ शस्त्रों की पूजा की जाती है। इस उत्सव के दौरान स्वयंसेवकों संबोधित किया जाता है जिसे संघ की भाषा में बौद्धिक कहते है।   

मकर संक्रांति 

मकर संक्रांति के दिन से सूरज अपनी दिशा बदलना शुरू करता है और यह उत्तर की तरफ बढ़ता है। मकर संक्रांति के दिन से ही दिन भी बड़ा होने लगता है और उत्तर भारत में ठंड भी इस दिन से कम होने लगती है। मकर संक्रांति के दिन संघ की शाखाओं में तिल व गुड़ बांटा जाता है और स्वयंसेवकों को मकर संक्रांति के प्रति जानकारी दी जाती है। 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इन उत्सवों के माध्यम से समाज से जुड़ता है और लोगों को संघ में जोड़ते हुए उन्हें देश व समाज सेवा के लिए जागरूक करता है। स्वयंसेवक हमेशा समाज के प्रति कार्यरत रहते हैं और मुसीबत की घड़ी में समाज के साथ हमेशा खड़े रहते है। स्वयंसेवक संघ कार्य को हमेशा अपना ध्येय मानकर आगे बढ़ते रहते है और समाज व हिन्दू संस्कृति की रक्षा करते है। 

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Tags: cultureheritagehindi vivekhindi vivek magazinehindu festivalsrashtriya swayamsevak sanghrsssangh parivartraditionutsav

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Comments 1

  1. Anup Singh says:
    2 years ago

    सटीक जानकारी

    Reply

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