प्यार, धोखा, षड्यंत्र और 35 टुकड़े

जहां प्रेम होता है वहां हिंसा की मान्यता नहीं होती है। किसी भी धर्म में प्रेम को हिंसा से जोड़ा नहीं गया है और न ही इसे हिंसा से प्राप्त करने के बारे में कहा गया है। फिर क्या कारण है कि आज हिंसा को प्रेम से जोड़ा जा रहा है। एक प्रेमी ने अपनी प्रेमिका को 35 टुकड़ों में काटकर बेरहमी से मार डाला, यह न केवल प्यार करने वाले युवक-युवतियों के रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना है, बल्कि यह प्रेम के नाम पर लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले आधुनिक शगल से जुड़ा चिंतनीय बिंदु भी है। प्रेम अंधा होता है। इसलिए यह न तो उम्र देखता है और न ही धर्म-जाति-संप्रदाय। यह कब और किसी से भी हो सकता है। राह चलते होने वाला प्रेम मंजिल तक ठीकठाक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दे, तो सोचनीय है कि यह प्रेम है या क्षणिक आकर्षण। चूंकि प्रेम एक निजी विषय है और इससे जुड़ी हर किसी की अपनी-अपनी मान्यताएं हैं।
प्रेम एकाधिकार चाहता है और श्रद्धा इस भाव से वंचित रहती है। बहरहाल, श्रद्धा द्वारा प्रेम के क्षणिक भावावेग में उठाया कदम गलत साबित हुआ, जिसकी परिणति हृदयविदारक तो रही है, साथ ही माता-पिता, भाई-बहन से लेकर दूर बैठे परिजनों के लिए भी अपमान का कारण बन गया। पहले के समय में माता-पिता लड़के और लड़कियों के लिए जीवनसाथी की तलाश करते थे। उनका निर्णय पत्थर की लकीर होता था। इस निर्णय के बाद शायद ही किसी को पश्चाताप हुआ होगा। लेकिन जैसे-जैसे समय बदला, रीति-रिवाज भी बदलते गए और बेटे-बेटी के लिए जीवनसाथी ढूंढ़ने के बाद माता-पिता उनकी मंजूरी लेने लगे और इस तरह दोनों की सहमति से दोनों का विवाह हो गया। यह शादी भी कामयाब रही। लेकिन अत्याधुनिक दौर के प्रादुर्भाव के साथ सारे नियम, मर्यादा और संस्कार टूट गए, लड़के और लड़कियां खुद ही मुक्त भाव से अपने जीवनसाथी की तलाश करने लगे। इस बीच कानूनी तौर पर लिव-इन रिलेशनशिप और वयस्काधिकार के आगे मां-बाप के सारे अधिकार खत्म हो गए। इससे प्रेम प्रेम न रहकर काम-वासना, दैहिक सुख का चरम बन गया। स्त्री को एक वस्तु के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा। माता-पिता, घर-परिवार छोड़कर जाने वाले नव-प्रेमियों के लिए एकाकी जीवन की शुरुआत रिश्तेदारों से संबंध कटाव के साथ हुई।
अपनों को दरकिनार कर अपनी दुनिया बसाने की यह चाह प्रेम की कसौटी पर कितनी खरी उतरी, ये हाल की घटना बखूबी बयां करती है। इस पूरी घटना से पूरा देश स्तब्ध है और ठीक से तय नहीं कर पा रहा है कि इस मुद्दे पर किसे दोष दिया जाए। अपराधी पुलिस हिरासत में है, और सालों की जांच के बाद अपराधी को दी  जाने वाली सजा समाज के लिए मिसाल बनती है या नहीं, लेकिन हमें सोचना होगा कि समाज में यह क्रूरता क्यों बढ़ रही है, प्रेम अपमानित क्यों हो रहा है और इसका इलाज क्या है। जन्म से लेकर मृत्यु तक माता-पिता का प्यार हम पर बना रहता है, उस प्यार का अपमान करके, उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाकर, अगर हम अपने लिए प्रेमी खोजने की सनक के बारे में क्षणभर ही सोच-विचार कर ले, तो शायद हम गलत निर्णय लेने से बच सकते हैं। ऐसे में व्यक्ति की बदलती मानसिकता के पीछे के कारणों की पड़ताल की जानी चाहिए और उनका समाधान किया जाना चाहिए।
– देवेन्द्रराज सुथार

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