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आदर्श स्थापित करना मेरा लक्ष्य  डॉ. प्रमोद सावंत – मुख्यमंत्री-गोवा

आदर्श स्थापित करना मेरा लक्ष्य डॉ. प्रमोद सावंत – मुख्यमंत्री-गोवा

by pallavi anwekar
in आर्थिक, उद्योग, खेल, पर्यटन, पर्यावरण, राजनीति, विशेष, शिक्षा, संस्कृति, साक्षात्कार, सामाजिक, सांस्कृतिक गोवा विशेषांक दिसम्बर २०२३
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गोवा राज्य की प्रतिमा अभी तक भोग-भूमि के रूप में की जा रही थी। वर्षों तक राजनैतिक उदासीनता के चलते गोवा का विकास कई रोडों में अटका रहा। परंतु आज उसे एक ऐसा नेतृत्व प्राप्त है, जिसके पास गोवा के विकास का स्पष्ट रोड मैप तैयार है। भविष्य का गोवा कैसा होना चाहिए, इसकी स्पष्ट संकल्पना उनके मस्तिष्क में तैयार है। गोवा के मुख्य मंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने अपने साक्षात्कार में उनकी गोवा के विकास के प्रति कटिबद्धता को स्पष्ट रूप से चिन्हित किया है।

क्षेत्रफल तथा जनसंख्या की दृष्टि से गोवा भारत का सबसे छोटा प्रदेश है, इसके लाभ और हानियां क्या क्या हैं?

गोवा क्षेत्रफल तथा जनसंख्या की दृष्टि से एक छोटा प्रदेश है यह सत्य है। इसके बहुत सारे लाभ हैं, जैसे यहां की जनता को अपने चुने हुए विधायक तथा सरकारी अधिकारियों से मिलने में कोई कठिनाई नहीं होती। प्रशासन जनता तक सहजता से पहुंचकर जनकल्याण की योजनाओं का जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन कर पाता है, तथा समस्याओं का निराकरण करना भी बडे राज्यों की तुलना में अधिक सहज हो जाता है। हम इसे हानि नहीं कह सकते; परंतु हां छोटे प्रदेश का प्रशासन चलाते हुए आपको सदैव सजग और सतर्क रहना पडता है; जनता आपसे हमेंशा जवाबदेही की अपेक्षा रखती है।

 गोवा को लोग समुद्री किनारों, नाईट पार्टियों, चर्चों और क्लब के लिए पहचानते हैं, क्या आपको गोवा की यह प्रतिमा अधूरी नहीं लगती? गोवा की अन्य कौन सी ऐसी बातें हैं जो लोगों के सामने आनी चाहिए?

बहुत ही खेदजनक बात है, की गोवा मुक्ति के उपरांत कई वर्षों तक गोवा का चित्रण एक भोग-भूमि के रूप में किया गया। सनातन काल से गोवा देवभूमी रही है। स्वर्णिम समुद्र तट तो गोवा का वैभव हैं ही, इसके साथ-साथ गोवा के शांत और विहंगम गांव, मांडवी-जुवारी नदियों का विस्तृत जल, दूधसागर का जलप्रपात, यहां के स्वादिष्ट व्यंजन, मंगेश-महालसा-शांतादुर्गा के मंदिर, ईसाईयों के गिरिजाघर, प्राचीन जैन गुंफाऐं, मस्जिद यह सब गोवा की सुंदरता को एक व्यापक परिमाण देते हैं।

 गोवा की अर्थ व्यवस्था का मुख्य आधार पर्यटन है, आप इसे अधिक मेंबूत करने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं?

परंपरागत तौर से पर्यटन हमारा मुख्य उद्योग रहा है। देश-विदेश से हर वर्ष 85 से 90 लाख सैलानी यहां आते हैं। इस संख्या में वृद्धि करने हेतु हम नये आयाम जैसे डेस्टिनेशन वेडिंग, खेल पर्यटन, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय परिषदों का आयोजन, एमआईसीई, आदि की ओर भी ध्यान दे रहे हैं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि हमारे सकारात्मक प्रयास गोवा के पर्यटन क्षेत्र को नई उंचाईयों पर पहुंचाएंगे। इस दिशा में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का गोवा राज्य पर विशेष अनुग्रह रहा है। भारत देश की जी20 अध्यक्षता के दौरान देश भर में आयोजित बैठकों में सबसे अधिक 8 महत्त्वपूर्ण बैठकें गोवा में संपन्न हुईं। इससे राज्य को वैश्विक स्तर पर ख्याती प्राप्त हुई है।

 गोवा का इतिहास पुराणों से लेकर गोवा मुक्ति संग्राम तक का रहा है, यह लोगों के सामने लाने के लिए क्या सरकार कुछ प्रयास कर रही है?

गोवा मुक्ति के 60 वर्ष पूरे होना और आजादी का अमृत महोत्सव शुरु होना यह दोनों लगभग एक ही समय हुआ। इस दुग्ध-शर्करा योग का लाभ उठाते हुए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया। देश के विभिन्न प्रदेशों में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करना, राज्य के विविध प्राथमिक विद्यालयों का स्वतंत्रता सेनानियों के स्मरण में नामकरण करना इत्यादि जैसे कार्यक्रमों से हमने राष्ट्रभक्ति का नवजागरण करने का प्रयास किया। बहुत लोगों को ज्ञात नहीं होगा की 1857 के स्वातंत्र्य समर के कई वर्ष पूर्व याने 15 जुलाई 1583  में पुर्तगाली सत्ता के विरुद्ध सबसे प्रथम सशस्त्र संघर्ष गोवा के कुंकल्ली में हुआ था। इसे राष्ट्रीय मान्यता दिलाने हेतु हमने हर वर्ष 15 जुलाई के दिन नेशनल वॉर मेमोरियल पर इन शहीदों को मानवंदना देने का निर्णय लिया है।

 गोवा मुक्ति आन्दोलन में योगदान देनेवाले स्वतंत्रता सेनानियों का स्मरण किस प्रकार किया जाता है?

हमारे गृह मंत्रालय ने गोवा मुक्ति आंदोलन से जुड़े सभी स्वतंत्रता सेनानियों की सूची अपडेट कर दी है। हमारे यहां पास पेडणे के पत्रादेवी में स्वतंत्रता सेनानी स्मारक, पणजी में आज़ाद मैदान और मडगांव में लोहिया मैदान हैं, जो हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की याद में होने वाले आधिकारिक समारोहों के प्रमुख स्थान हैं। इनके अलावा, कुनकोलिम में हमारा चीफटेन्स मेंमोरियल नामक प्रमुख स्थान है, जो गोवा के लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावनाएं जगाता है।

 गोवा मुक्ति आन्दोलन का विषय एवं अस्मिता युवाओं तक पहुंचाने के लिए राज्य में क्या प्रयास किये जा रहे हैं?

हमने यह सुनिश्चित किया है कि गोवा के विभिन्न स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को हमारे समृद्ध इतिहास और मुख्य भूमि भारत के संबंधों के बारे में पढ़ाया जाए। स्कूली पाठ्यक्रम के अलावा, हमने प्राचीन किलों और ऐतिहासिक महत्व के अन्य स्थानों के जीर्णोद्धार के साथ-साथ युवाओं और बूढ़ों के लिए इन स्थानों पर भ्रमण का आयोजन भी किया है। इस वित्तीय वर्ष के लिए अपने बजट भाषण में, मैंने गोवा गजेटियर विभाग के निर्माण का वादा किया था और देश के अन्य राज्यों में हमारे ऐतिहासिक अभिलेखों और कलाकृतियों को अपने अधिकार में लेने के लिए अधिनियम भी बनाया था। मुझे खुशी है कि हमारी सरकार समयबद्ध तरीके से इन प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में सक्षम रही है।

 सन 2007 तक गोवा में राजनीतिक उठापटक के चलते कोई भी सरकार टिक नहीं पा रही थी, क्या आपको लगता है कि एक राज्य के रूप में इससे गोवा को कुछ हानि हुई?

भारत का सबसे छोटा राज्य गोवा 1961 में पुर्तगाली शासन से मुक्त हो गया था। इसका औपनिवेशिक अतीत, शेष भारत से अलग है और इसकी विशिष्ट पहचान और राजनीतिक वातावरण भी। 1987 में गोवा एक केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) से पूर्ण राज्य बन गया। हमारी राजनीति को अनिश्चित सरकारों, राष्ट्रपति शासन के अलग-अलग दौर, बदलती व्यवस्थाओं और बदलते संरेखणों द्वारा परिभाषित किया गया है। गोवा में कुछ मुख्यमंत्रियों ने दो या दो से अधिक कार्यकाल किए हैं और कुछ बमुश्किल एक महीने या उससे भी कम समय के लिए पद पर रहे हैं। इसका गोवा के विकास पर गंभीर असर पडा और जिस गती से देश की मुख्य धारा में राज्य सक्रिय होना चाहिये था, वैसे नहीं हो पाया।

 विगत 11 सालों से गोवा में स्थिर सरकार है, इसका कारण क्या है?

मनोहर पर्रिकर जैसे दिग्गज नेता, जिन्हें हम प्यार से ‘भाई’ कहते हैं, के उदय से गोवा को वस्तुतः राजनीतिक स्थिरता मिली है। उनका कद, परिपक्वता, राजनीति की शैली उनके पूर्ववर्तियों से इतनी अलग थी कि कुछ ही समय में वे एक बड़ी राजनीतिक हस्ती बन गये। शासन के प्रति उनके दृष्टिकोण और आम आदमी के प्रति उनकी सहानुभूति ने गोवा के राजनीतिक परिदृश्य की गतिशीलता को बदल दिया। अगर मेरे जैसा एक छोटे शहर का युवा, समाज सेवा और राजनीति के क्षेत्र में पूरी लगन से आकर्षित हुआ तो यह पूरी तरह से स्व. मनोहर भाई पर्रिकर के कारण है। उनके पास अद्भुत दूरदृष्टि थी और उसे कार्य रूप में परिणित करने की क्षमता भी थी। शायद यही एक महत्वपूर्ण कारण है कि हमारे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का उनसे विशेष स्नेह था। भारत के प्रधान मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, नरेन्द्र मोदी जी के शासन मॉडल ने गोवा की किस्मत बदल दी। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि गोवा को राष्ट्र की मुख्यधारा में योगदान करने के लिए आवश्यक प्रोत्साहन मिले। मनोहर पर्रीकर के निधन के पश्चात् गोवा के विकास को लेकर लोगों के मन में कई चिंताएं थीं, परन्तु आपके नेतृत्व ने वह चिंता पूर्ण रूप से समाप्त कर दी। यह सब कैसे संभव हुआ?

मनोहरभाई के दुर्भाग्यपूर्ण निधन के बाद गोवा सरकार की बागडोर संभालना मेरे लिए वास्तव में एक भावनात्मक क्षण था। हालांकि, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित भाई शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा, नितिन गडकरी जैसे नेताओं के मजबूत समर्थन और मार्गदर्शन तथा राज्य पार्टी इकाई, विधायकों और कार्यकर्ताओं के समान मजबूत सहयोग के साथ, मैं कोशिश कर रहा हूं कि मैं गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी जिम्मेंदारियों के साथ न्याय कर सकूं।

 आपको दूसरी बार गोवावासियों ने राज्य की कमान सौंपी है, आप इसे किस रूप में देखते हैं?

जैसा कि मैंने पहले कहा, दिवंगत मनोहर भाई की जगह लेना कोई आसान काम नहीं था, लेकिन मेरे केंद्रीय नेतृत्व के मजबूत समर्थन के साथ; खासकर मोदीजी के कारण मेरा काम तुलनात्मक रूप से बहुत आसान हो गया। मोदीजी के नेतृत्व वाली सरकार ने मोपा में नया मनोहर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, मांडवी नदी पर प्रसिद्ध अटल सेतु, जुआरी नदी पर पुल आदि जैसे विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के विकास में गोवा का समर्थन किया है। इसके अलावा, हमें राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानूनी शिक्षा और अनुसंधान के लिए भारत अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के परिसर स्थापित करने पर गर्व है। मुझे यकीन है कि, गोवा के लोग डबल इंजन सरकार के सकारात्मक प्रभाव के रूप में हो रहे जबरदस्त विकास को देख रहे हैं और इसलिए उन्होंने मुझे एक और कार्यकाल के लिए उनका नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी है।

राज्य के चौतरफा विकास हेतु आपकी सरकार का रोड मैप क्या है?

मेरा दृष्टिकोण एक स्वयंपूर्ण गोवा बनाना है जो सुशासन प्रदान करने और अंत्योदय के लक्ष्य को प्राप्त करने में अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय आदर्श होगा।

 भारत के अन्य राज्यों की तुलना में आप गोवा को कहां देखते हैं?

मुझे गर्व है कि नीति आयोग द्वारा प्रकाशित सतत विकास लक्ष्य सूचकांक में मेरा राज्य सातवें से चौथे स्थान पर आ गया है। यह जन भागीदारी को प्रोत्साहित करके जमीनी स्तर पर हमारे निरंतर प्रयासों और समर्पित कार्य का परिणाम है, जिससे सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास थीम को सफलता मिली है।

 आपने भारत में तथा विदेशों में दौरे किये हैं, आप गोवा की किसकी तरह बनाने का लक्ष्य रखते हैं?

मैं किसी अन्य राज्य या देश की नकल नहीं करना चाहता, मैं एक ऐसा गोवा बनाना चाहता हूं जो दूसरों के लिए आदर्श हो।

 आपके आदर्श राज्य की संकल्पना क्या है और गोवा उस संकल्पना में किस पायदान पर है?

गोवा के लिए मेरा दृष्टिकोण सही अर्थों में स्वर्णिम गोवा बनाना है। मैं कम प्रदूषण फैलाने वाले औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना चाहता हूं, मैं गैर-पारंपरिक ऊर्जा के दोहन में अग्रणी राज्य बनना चाहता हूं, मैं चाहता हूं कि गोवा सर्वोच्च शिक्षा और कौशल का केंद्र बने, मैं चाहता हूं कि मेरे गोवा के युवा सूचना प्रौद्योगिकी में विश्व स्तरीय पेशेवर बनें, मैं गोवा को सबसे जीवंत अतिथि गंतव्य के रूप में देखना चाहता हूं! मैं एक ऐसा गोवा देखना चाहता हूं, जिसकी प्रति व्यक्ति आय हमेशा सबसे अधिक होगी, मैं एक ऐसा गोवा देखना चाहता हूं जो देश के लिए नीली-अर्थव्यवस्था के संभावित लाभों का दोहन करने में अग्रणी हो, मैं एक ऐसा गोवा देखना चाहता हूं जहां किसान का सम्मान किया जाता है और श्रमिक के साथ अत्यंत सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाता है!

 वर्तमान में प्रशासन की दृष्टि से आपके सामने क्या चुनौतियां हैं?

स्वयंपूर्ण गोवा, सरकार तुमच्या दारी(सरकार आपके द्वार), स्वयंपूर्ण युवा इन जैसे लोकाभिमुख कार्यक्रमों के सफल कार्यान्वयन हेतु मेरे राज्य का प्रशासन पहले ही गतिमान हो चुका है। इसकी गति को बनाये रखते हुए नई संकल्पनाओं का समावेश करते रहना ही चुनौती रहेगी।

 राज्य की जनता के विश्वास पर खरे उतरने के लिए आप जनहित की कौन-कौन सी योजनाएं चला रहे हैं?

शत प्रतिशत हर घर नल से जल, शत प्रतिशत विद्युतिकरण, ज्येष्ठ नागरिकों के लिये शुरु की गई दयानंद सामाजिक सुरक्षा योजना तथा मुख्यमंत्री-देवदर्शन यात्रा योजना, गृहिणी/विधवा बहनों के लिए शुरू की गई गृह आधार योजना, 18 वर्ष आयु पूर्ण होते ही बालिकाओं के बैंक खाते में 1 लाख रुपये जमा करने वाली लाडली लक्ष्मी योजना, दूध-व्यावसायिकों की सुविधा के लिये सुधारित कामधेनु योजना, गोवा के सभी परिवारों को आरोग्य बीमा देनेवाली दीनदयाल स्वास्थ्य सेवा योजना, निजी क्षेत्र के बस-मालिकों के माध्यम से जनता को नियमित यातायात सेवा देनेवाली म्हजी(मेरी) बस योजना, इत्यादि जैसी योजनाओं के कार्यान्वयन के माध्यम से गोवा राज्य की जनता को सुशासन की अनुभूती देने का हमारा प्रयास है।

 आपने अब तक गोवा राज्य के विकास हेतु कई निर्णय लिए हैं, आपको उनमें से सबसे उपयुक्त निर्णय कौन सा लगा?

वैश्विक महामारी कोविड के दौरान पूरे देश को आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता और तात्कालिकता महसूस हुई। माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश को आत्मनिर्भर भारत बनाने का स्पष्ट आह्वान किया। तभी, गोवा के मुख्यमंत्री रहते हुए; मैंने स्वयंपूर्ण गोवा की पहल तैयार करने का निर्णय लिया।

2 अक्टूबर 2020 से शुरू होने वाली इस पहल के पहले चरण में; मेरे प्रशासन ने नागरिक-केंद्रित योजनाओं और नीतियों की पहुंच बनाने के लिए दस प्रमुख फोकस बिंदु तय किए। हमने अपने गोवा सिविल सेवा अधिकारियों को 191 ग्रामपंचायतों में से प्रत्येक में स्वयंपूर्ण मित्र के रूप में नियुक्त किया, जिन्हें इस कार्यक्रम के तहत अनूठी पहल शुरू करने का माध्यम बनने का काम सौंपा गया था। इस पहल का उद्देश्य सूक्ष्म आर्थिक कार्य योजना के साथ जुड़कर ग्रामीण महिलाओं, शिल्पकारों और कारीगरों का उत्थान करना भी है।

इस पहल के दूसरे चरण के एक भाग के रूप में, हमारा लक्ष्य हमारी महिलाओं और युवाओं को कौशल और उन्नयन प्रदान करना और उन्हें उनके उत्पादों के लिए नवीनतम मंच और विपणन सहायता प्रदान करना है। इस साल हमने इस कार्यक्रम के तीन सफल वर्ष पूरे कर लिए हैं और मुझे खुशी है कि हमने ग्रामीण गोवा सूक्ष्म स्तर के उद्यमों के लिए ई-बाज़ार के रूप में स्वयंपूर्ण गोवा ई-बाज़ार पोर्टल लॉन्च किया है।

इस पहल के सफल कार्यान्वयन से मुझे अंत्योदय दर्शन को लागू करने के कारण अत्यधिक संतुष्टि मिलती है।

 आप एक युवा नेता हैं, अपने भविष्य को आप किस तरह से देखते हैं?

मैं भारतीय जनता पार्टी का एक सामान्य कार्यकर्ता हूं। मेरे लिये ‘राष्ट्र प्रथम’ यह भावना बहुत मायने रखती है। पार्टी, संगठन समय- समय पर जो भी जिम्मेदारी देगा उसका निष्ठापूर्वक निर्वहन करना ही मेरी प्राथमिकता है और रहेगी।

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