जाति की दलदल में फंसा उत्तर प्रदेश

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भारत के राजनीतिक क्षितिज पर उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण स्थान है। यहां से लोकसभा के लिए सब से अधिक सांसद निर्वाचित होते हैं। स्वतंत्रता के पश्चात सर्वाधिक प्रधान मंत्री उत्तर प्रदेश से निर्वाचित सांसद थे।

नये पर्व का आरंभ

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नरेंद्र मोदी के प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार बनने के माने क्या हैं? माने यही है कि परिदृश्य साफ हो गया। इस मुद्दे को लेकर किंतु-परंतु की इतिश्री हो गई।

कांग्रेस की मुस्लिमों के साथ धोखेबाजी

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स्वाधीनता के पहले मुस्लिमों के सहयोग के बिना स्वाधीनता मिल नहीं सकती, इस धारणा का भूत कांग्रेस पर सवार था। परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस मुस्लिमों और बै. जिन्ना की लगातार की जा रही मांगों के पीछे मानो घसीटते चली गई और आखिर देश का विभाजन मजबूरन स्वीकार किया।

जाके पैर न फटी बिवाई

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किसी एक देश से दूसरे देश में आकर शरण मांगने वाले व्यक्ति को शरणार्थी कहा जाता है। लेकिन अपने ही देश में किन्हीं कारणों से किसी को अपनी जन्म भूमि छोड़नी पड़े तो वह विस्थापित कहलाता है।

किसान अपनी जमीन फिर से तलाशें

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जोत घटती जा रही है। जो है, उसमें रासायनिक खाद, कीटनाशकों की मात्रा लगातार बढ़ानी पड़ रही है। इससे खेत ऊसर हो रहे हैं। खेत की मिट्टी, उसके नीचे का पानी और उसमें से पैदा होनेवाली फसल में जहरीलापन आ गया है

समाज मन में ‘दुर्गा शक्ति’ जागृत हो

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आज के संदर्भ में आदिशक्ति के उत्सव की ओर हमें ‘शक्ति के ऊर्जा-स्रोत’ के रूप में ही देखना चाहिए। इन उत्सवों के जरिए समाज में ऊर्जा संक्रमण होने की आवश्यकता है। मैं कौन हूं?, मेरा स्थान, कार्य, महत्व क्या है? राष्ट्र के रूप में, समाज के रूप में मेरा चिंतन क्या है और इस चिंतन के विषय क्या हैं? इन बातों को समझना ही उपासना है।

फिल्मों में स्त्री-शक्ति दर्शन

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लेकिन इससे यह प्रश्न भी उपस्थित होता है कि यदि यहीं पर यह विषय खत्म होता तो सौ साल के भारतीय फिल्मों के इतिहास के सम्पन्न, बहुरंगी, बहुढंगी और हरफनमौला मार्गक्रमण पर नजर डालने की जरूरत ही क्या थी?

बालकृष्ण भागवत एक सच्चे समाजसेवी

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अपनी आयु के 60 वर्ष पूर्ण करने के बाद व्यक्ति नौकरी से भले ही निवृत्त हो जाये, परंतु वह सेवानिवृत्त नहीं होता। अपने परिवार के प्रति धीरे-धीरे उसके उत्तरदायित्व कम होने लगते हैं परंतु सामाजिक उत्तरदायित्व कम नहीं होते।

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