गणतंत्र को चिरायु करनेवाली शक्ति

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26 जनवरी, 2013 को भारतीय गणतंत्र अपने 64 वर्ष पूर्ण करने जा रहा है। 26 जनवरी 1950 से संविधान पर अमल किया जाने लग् और भारत एक लोकतांत्रिक देश बन गया। सन् 1947 के बाद जिन लोगों का जन्म हुआ है उन्हे जन्म से ही लोकतांत्रिक शासन प्राप्त है। लोकतंत्र के पहले का शासन कैसा था? इस शासन में जनता को क्या अधिकार प्राप्त थे?

बदलाव की डगर पर पाकिस्तान?

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हालांकि पिछले कुछ महीनों से उदारवादी, प्रगतिशील और कट्टरपंथी विरोधी शक्तियां उभर कर सामने आ रही हैं, फिर भी कुल मिलाकर पाकिस्तानी समाज और प्रशासन पर कट्टरपंथी जेहादियों का दबाव बना हुआ है।

गरीब विरोधी आर्थिक फैसला

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सरकार ने वैश्विक निवेशकों के लिए खुदरा क्षेत्र को खोलने का निर्णय लिया है। इस नीति के तहत विदेश की बड़ी-बड़ी कंपनियां मल्टी ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 फीसदी और सिंगल ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 100 फीसदी निवेश कर सकेंगी। इसका मतलब यह हुआ कि मल्टी ब्रांड में वे किसी भारतीय कंपनी के साथ मिलकर स्टोर चला सकेंगी जिसमें उनकी 51 फीसद हिस्सेदारी होगी। जबकि सिंगल ब्रांड में विदेशी कंपनियां पूर्ण स्वामित्व वाले स्टोर खोलने में सक्षम होंगी।

स्मारकों की भारतीय राजनीति

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जिस देश में करोड़ों लोग भूखे पेट सोते हैं, लाखों लोग शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं से कोसों दूर हैं। हजारों गांवों में आज तक पेयजल उपलब्ध नहीं है, ऐसी स्थिति में इन सभी समस्याओं का सकारात्मक उत्तर खोजना राष्ट्र हित में होगा।

ज्यादा गम, कम खुशी अलबिदा-2012

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भारत में प्रणव मुखर्जी तथा अमरीका में बराक ओबामा की राष्ट्रपति पद पर ताजपोशी के साथ-साथ उत्तर प्रदेश तथा कर्नाटक में राजनीतिक उठापटक, भ्रष्टाचार, काला धन, चर्चित चेहरों का निधन, आतंकी अजमल कसाब को फांसी, महाराष्ट्र मंत्रालय में आग जैसी घटनाओं ने बहुत रूलाया, तो दूसरी ओर अंतरिक्ष में सौवां प्रक्षेपण, मास्टर ब्लास्टर सचिन के सौवें शतक के रूप में साल 2012 सदैव लोगों के मानस पटल पर अंकित रहेगा।

विवेकानंद का कृतिरूप दर्शन

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समाज में संन्यासी की स्थिति पहले से ही बहुत ऊंची मानी जाती रही है। मनु ने लिखा है कि जो मनुष्य तीनों ऋणों (देव ऋण, पितृ ऋण और ऋषि ऋण) से उऋण हो चुका हो, वही मोक्ष प्राप्ति के उद्देश्य से संन्यास ग्रहण करे।

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