वाकई अतुल्य है भारत

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विविधता में एकता भारत की विशेषता’ केवल एक नारा नहीं वरन् वास्तविकता है। विश्व का शायद ही कोई ऐसा देश होगा जहां खान-फान, फहनावा, ऋतु एवं सामाजिक रीति-रिवाजों में इतनी विविधता हो। यही कारण है कि ‘कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है’ का वाक्य जगह-जगह लिखा दिख जाता है। ‘कच्छ हो या गुवाहाटी, अर्फेाा देश अर्फेाी माटी’ का उद्घोष हमारी भावनात्मक एकता का जीता-जागता प्रमाण है।

तेजस्वी हिन्दू राष्ट्र का पुनर्निर्माण

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अपना घर-परिवार संभालने के साथ-साथ समाज और देश के प्रति जो दायित्व है, उसे निभाने की प्रेरणा देने और सामाजिक और राष्ट्रीय जागृति लाने के उद्देश्य से समिति की स्थापना की गई। समिति की स्थापना के समय ही उन्होंने सभी महिलाओं के सामने एक उद्देश्य रखा वह था- ‘तेजस्वी हिन्दू राष्ट्र का पुनर्निर्माण।’

भंवर में नेपाली लोकतंत्र

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नेपाल के इतिहास में 27 मई, 2012 की तारीख काले अक्षरों में दर्ज की जाएगी। इस तारीख को देश के सभी राजनीतिक दल लोकतंत्र की परीक्षा में फेल हो गए। इससे ठीक चार साल पहले 2008 में 27 मई की ही रात, देर तक चली बैठक में देश के सभी राजनीतिक दलों ने राजतंत्र के खात्मे और नया संविधान लिखकर उसके अनुरूप लोकतंत्र स्थापित करने का फैसला किया था।

नयना कनोडिया : अनगढ़ शैली ने दिलाई विश्वभर में ख्याति

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नयना कनोडिया का जन्म यद्यफि फुणे में हुआ, किन्तु वे मूलत: राजस्थान की हैं । वे एक ऐसे फारम्फरिक मारवाड़ी फरिवार से हैं, जिसका चित्रकला से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं था । फिता फौज में थे, इसलिए देश भर में घूमना फड़ा ।

मनोनुकूल विजय

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भारत के प्रत्येक जागरुक नागरिक की नजर गुजरात चुनावों पर लगी थी, चाहे वह गुजरात का हो या बाहर का। 182 सीटों में से कितनी सीटें भाजपा को मिलेंगी इसका अनुमान हर कोई लगा रहा था।

मनमोहना बड़े झूठे

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प्रसिद्ध व्यंग्यचित्रकार आर. के. लक्ष्मण अगर आज अपने व्यंग्य चित्र ‘कामन मेन’ बनाने की स्थिति में होते तो उनके सामने सबसे बडा प्रश्न आता किसकि विषयों पर कितने चित्र बनाऊं? उनके कामन मेन को आज चारों ओर से डंक मारे जा रहे हैं। उसके शरीर पर कोई ऐसी जगह शेष नहीं हैं जहां जख्म न हो।

कुम्भ का महत्त्व

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कुम्भ हमारे देश का एक अति प्रसिद्ध पर्व है। बारह वर्षों के भीतर यह भारतवर्ष के चार परम् पवित्र स्थानों में से एक-एक स्थान पर आता है। और इसी प्रकार छठें वर्ष के अवसर पर अर्धकुम्भ पर्व मनाने की प्रथा भी परम् प्राचीन काल से चली आ रही है।

अक्षरों को सुंदर बनाने का अनोखा अभियान

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सुंदरता का जब-जब उल्लेख होता है, मन प्रसन्न हो जाता है। सुंदरता चाहे चेहरे की हो, वस्त्र की हो, वाणी की हो या फिर लेखन की, मन को आनंदित करती ही है, लेकिन लेखन की सुंदरता पर ज्यादातर लोग ध्यान नहीं देते।

कर लो दुनिया मुठ्ठी में

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नये-नये आविष्कारों की जानकारी देनेवाले लेखों की शृंखला हम अगले अंकों में प्रकाशित करने जा रहे हैं। इस लेख के लेखक महेश अटाले स्वयं आविष्कारक हैं। उन्होंने छोटी-छोटी आवश्यकताओं को पूर्ण करनेवाले कई बड़े आविष्कार किये हैं।

अंधेरे के बाद

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प्रभात का पत्र था, आज मैं असमंजस की स्थिति में फंसा महसूस कर रही हूं। एक ओर पुत्र, पुत्रवधू और पोती को देखने की चाहत से दिल में प्रसन्नता का सैलाब उमड़ा पड़ रहा है; वहीं दूसरी ओर, उनके पहले आगमन की याद, एक कसक बन कर सीने में चुभने लगती है। मन हर आहट पर रोमांच से भर उठता था।

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव यह बदलाव ठीक नहीं

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हिमाचल प्रदेश के मतदाताओं ने गत दिनों हुए राज्य विधानसभा चुनाव में पांच साल बाद सरकार बदलने की परंपरा को कायम रखते हुए राज्य में सत्ता परिवर्तन कर भाजपा के स्थान पर कांग्रेस को सरकार बनाने का अवसर प्रदान कर दिया।

कफल्लक से अरबफति और फिर कत्ल

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ऊंची उड़ान भरना उसका बचर्फेा का शौक था। एक बार ऐसे ही वह फतंग उड़ा रहा था। फतंग ऊंची तो चली गई लेकिन बिजली के तारों में आकर अटक गई। यह द़ृश्य आम है। खास यह है कि वह बिजली के खम्भे फर चढ़ गया। दोनों हाथों से फतंग निकालने की कोशिश की और धड़ाम से नीचे गिर गया। बिजली के जबरदस्त झटके ने उसे मरनासन्न कर दिया। लोग दौड़ फड़े।

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