स्त्रीत्व ही मातृत्व!

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घर के बगीचे से एक ब़डा सा अमरूद तो़डकर रसोई घर में ला रखा था। पकने पर वह महकने लगा, तब उसे काटकर खिलाने की मांग होने लगी। मां ने काटकर उसकी तीन फांकें बनाईं, दो अपने बेटे-बेटी को सौंपी और एक अपने लिए रख ली।

मातृ दिवस भव

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दिनांक 8 मार्च 2014 को विश्व महिला दिवस संंपन्न हुआ। हम सभी उससे आनंदित हैं; फिर मां की महिमा क्या उस एक दिन तक ही सीमित होती है? बालक का व्यक्तित्व ग़ढने में माता का हिस्सा कितना होता है? उसमें उसका अपना अधिकार कितना होता है?

मां की किडनी से मिला जीवन

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किडनी का ऑपरेशन हुए एक ही बरस बीता; कहते-कहते काफी बरस बीत चुके और देखते ही देखते 20 बरस पूरे भी हो गए। अब तो जीने का हौसला काफी ब़ढा है। मां से ही किडनी मिली थी। जीवन में आए इस मो़ड के बारे में विख्यात नेत्र शल्य विशेषज्ञ तथा जे. जे. अस्पताल के डीन डॉ. तात्याराव लहाने की कहानी उनकी ही जुबानी।

रामायण की नारी पात्र

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भारतीय समाज एवं जीवन पद्धति में स्त्री को भगवान की सर्वोत्कृष्ट कृति के रूप में स्वीकार किया गया है। इसका कारण यह नहीं कि वह शारीरिक, चारित्रिक या मानसिक अथवा सुंदरता की दृष्टि से अधिक आकर्षक होती है, वरन स्त्री का सृष्टि की सर्वोत्तम कृति होने का कारण उसमें मातृत्व है, जो उसे महिमा प्रदान करता है।

मां आप भी जीजाऊ बनना!

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पुणे में एक ‘बर्थ डे’ पार्टी के लिए मैं गई थी। मन से मुझे ये चीजें अच्छी नहीं लगतीं। लेकिन घर के पास वालों का ही कार्यक्रम था, इसलिए जाना पड़ा।

अमृतानंदमयी अम्मा

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संतों का अवतार पृथ्वी पर अनादि काल से होता रहा है। इन संतों ने मानवता का कल्याण किया और दिशाहीन जन समूह को रास्ता दिखाया। इनमें से बहुत सी विभूतियां ऐसी हैं जिनका पलभर का साथ भी किसी दैवीय अहसास से कम नहीं होता। अमृतानंदमयी माता इसी का एक रूप हैं।

सच्चाई और अच्छाई की मूरत मेरी माँ

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तेजी हरिवंशराय ‘बच्चन’, जन्म 12 अगस्त 1917, लायलपुर (वर्तमान नाम फैसलाबाद- पाकिस्तान), पीहर का नाम तेजी कौर सूरी। जन्म से सिख थी। 91वें वर्ष में 21 दिसम्बर 2007 को अनंत में विलीन हो गईं।

मेरी अम्मी

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आबिद सुरती अंतरराष्ट्रीय स्तर के व्यंग्य चित्रकार और 80 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं। ‘धर्मयुग’ में उनके छपे व्यंग्यचरित्र ढब्बूजी घर-घर का हिस्सा बन गए थे। वे गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी में समान अधिकार से लिखते हैं। किसी जमाने में सात जहाजों के मालिक के बेटे आबिद ने किस तरह मुफलिसी झेली और उनकी अम्मी ने लोगों के घरों में चौका-बर्तन कर किस तरह उन्हें पाला इसकी भावुक कर देने वाली यह सत्यकथा है उनके ही शब्दों में... उनकी मम्मी की कहानी...

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