प्राणिमात्र की सेवा

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बढ़ते तापमान, सिमटते जंगलों, सूखते जल स्रोतों तथा बढ़ते शहरीकरण के कारण आज असंख्य पक्षी आवासविहीन हो गए हैं। यहां तक कि उन्हें पेयजल भी नहीं मिल पाता, जिस कारण आकाश में उड़ते हुए पक्षी बेहोश होकर जमीन पर गिर पडते हैं। ऐसी स्थिति में पक्षियों को पेयजल उपलब्ध कराने हेतु राजस्थान में ‘अपना संस्थान’ के माध्यम से अनेक गांवों एवं शहरों में प्रेरक प्रयास हुए हैं।

हम और हमारे वन

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वनों में जीवों की जो दुनिया बसती है, उसमें सभी जीवों का एक आपसी रिश्ता है। सच तो यह है कि जड़ और चेतन सभी का अटूट रिश्ता है। जीवन तो वनों के कारण पनपता है। इसका विनाश कर हम अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी मारेंगे।

जैवविविधता संरक्षण का अतुलनीय प्रयोग

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जैवविविधता पर गहराते संकट को लेकर पूरी दुनिया में मच रहे शोर के बीच राजस्थान के जयपुर जिले की दुुदु तहसील के लापोडिया गांव में गांव वालों ने घने जंगल का निर्माण कर पक्षियों की 135 प्रजातिया तथा वृक्षों, पौधों और अन्य प्राणियों की हजारों प्रजातियों को नवजीवन प्रदान किया है।

वन्य जीवों के नष्ट होते पर्यावास

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वन्य जीवों का विलोपन पृथ्वी पर जीवन के लिए एक आपातकाल जैसी स्थिति के समान है और इस प्रक्रिया पर लगाम नहीं लगने से मानव सभ्यता और अस्तित्व को खतरा है, क्योंकि मनुष्य सहित सभी जीवों से बना पारितंत्र पृथ्वी पर जीवन को संचालित करता है। मानव सभ्यता के विस्तार…

वन और जैवविविधता

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जैवविविधता के आसन्न खतरों के समाधान का सीधा सम्बंध वनों की सेहत से है। यदि वन स्वस्थ होंगे तो जैवविविधता भी संकट मुक्त रहेगी। जैवविविधता के आसन्न खतरों के समाधान के लिए और अधिक सकारात्मक कदम उठाने की जरूरत है। वनों की सेहत हकीकत में इस धरती पर जीवन के…

वन्य जीवों को भी जीने का अधिकार

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वन्य जीवों के बारे में उत्तराखंड न्यायालय ने एक बड़ा अनूठा और अहम फैसला दिया है। न्यायालय ने इन प्राणियों को व्यक्ति का दर्जा देकर मनुष्य को उनका अभिभावक घोषित किया है। न्यायालय का आशय यह है कि मानव अपने स्वार्थ के लिए पशुओं के साथ ज्यादति न करें।  आधुनिकता…

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