बॉलीवुड का नाम बदलकर होना चाहिए ‘भारतीय सिनेमा’

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उज्जैन शहर में आयोजित दो दिवसीय शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल में सोमवार को समापन समारोह में शामिल हुए बॉलीवुड अभिनेता संजय मिश्रा ने कहा कि अब बॉलीवुड नाम हटाने की आवश्यकता है. सिर्फ एक ही नाम भारतीय सिनेमा होना चाहिए. उन्होंने शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल में  विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया.…

सम्बन्ध संज्ञाओं का दूषित होना

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दे दनादन फ़िल्म में शक्ति कपूर अपने से बहुत छोटी उम्र की लड़की को कहते हैं कि तुम चाचा, ताया, मामा कुछ भी कहो पर एक बार मेरे कमरे में आ जाओ, बीवी नम्बर वन में सलमान सुष्मिता सेन का परिचय अपनी आंटी के रूप में करवाते हैं। भागमभाग मूवी…

भारतीय फिल्मों को क्यों नहीं मिलता आस्कर अवार्ड?

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भारत के लिए आस्कर अवार्ड हमेशा से एक सपना रहा है जो सच्चे अर्थों में इस साल पूरा हुआ है जिसके कारण समूचे भारतीय फिल्म उद्योग में खुशी का माहौल है। 95 वें एकेडमी अवार्ड समारोह में इसी 12 मार्च की रात लास एंजिल्स के डोल्बी थियेटर में जब कार्तिकी…

अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारतीय संगीत का प्रभाव

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गीत और संगीत मनुष्य मन को रसपूर्ण बनाते हैं। लेकिन दोनों में एक आधारभूत अंतर भी है। गीत का अर्थ होता है। अर्थ बुद्धि के माध्यम से मूल शब्दों के भाव को प्रकट करता है। गीत भी ध्वनि है। लेकिन उसका अर्थ बौद्धिक कार्रवाई से निकलता है। संगीत में ध्वनियों…

मनोरंजन जगत में स्त्री का विकृत चित्रीकरण

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पिछले दो दशकों से फिल्मों और टीवी में महिलाओं के नकारात्मक चित्रण को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही, अश्लील वेशभूषा और हावभाव का बढ़ता प्रयोग भी हमारे युवाओं को गुमराह कर रहा है। समाज के प्रबुद्ध वर्ग को आगे आकर इनके विरुद्ध खड़ा होना चाहिए ताकि पर्दे पर…

नहीं रहे बॉलीवुड के ‘कलेंडर’

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एक “मासूम” सा दिखने वाला हाँड़-मांस का व्यक्ति सपनों की “मंडी” में आकर “उड़ान” भरने की जिद पालता है और “वो सात दिन” उसकी ज़िन्दगी बदल देते हैं। “सागर” से गहरी उसकी अदाकारी से अवाम “मोहब्बत” करने लगती है। उसका “जलवा” ऐसा बिखरा कि लोगों को उसके होने से “गुदगुदी”…

फ्रिज या सूटकेस में जाने से बचना स्वरा भास्कर

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बहुत बधाई अनारकली ऑफ़ आरा की अभिनेत्री स्वरा भास्कर। बस टुकड़े-टुकड़े हो कर फ्रिज या सूटकेस में जाने से पहले ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की याद रखना। वैज्ञानिक और देश प्रेमी पिता की लाज भी बचाए रखना। इस लिए भी कि एक झूठे मसले CAA-NRC विरोध में देश में आग…

बॉलीवुड की लुटिया डुबोती फ़िल्में

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हिन्दी सिनेमा के निर्माताओं और निर्देशकों को यह समझना होगा कि किसी भी अच्छी फ़िल्म बनाने के लिये सबसे महत्वपूर्ण तत्व है एक अच्छी कहानी। उन्हें साहित्य जगत से रिश्ता बनाना चाहिये। ऐसी बहुत सी रचनाएं समय-समय प्रकाशित होती रहती हैं जो सिनेमा को नवीनता प्रदान कर सकती हैं। हिन्दी…

बॉलीवुड के बेशर्म रंग

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‘बेशर्म रंग’ वैसे तो शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण अभिनीत नई फिल्म पठान का एक गीत मात्र है, जिसे लेकर पिछले कई दिनों में कई चर्चाएं हुई हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में बॉलीवुड का ही रंग ‘बेशर्म’ हो चला है। एक समय था जब फिल्मों को समाज का आईना कहा जाता था, फिल्म बनाने वालों…

एजेंडा सेट करके कैसे किया जाता है दिमाग हैक ?

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चार किताबें,, मेरे पास युवा लड़के खूब बैठते थे आकर,, उन्होंने एकबार पूछा कि महाराज जी कैसे पता चले कि कोई व्यक्ति एजेंडा सेट करके हमारे दिमाग को हैक कर रहा है?? देखो भाई,,वैसे तो अनेकों तरीके होते हैं पता करने के लेकिन ज्ञान सबसे महत्वपूर्ण है,, अपने धर्म का…

शरद पूर्णिमा: एक शाम दोस्तों के नाम

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एक समय था, जब शरद पूर्णिमा के दिन जगह-जगह पूरी रात सांस्कृतिक कार्यक्रम होते थे, इसे युवाओं का त्यौहार माना जाता था। संगीत की महफिल, नाटक का मंचन, कविताओं का पठन, सामूहिक या व्यक्तिगत नृत्य इत्यादि का प्रदर्शन करके देर रात जागरण होता था। लगभग पूरे साल इस त्यौहार की राह देखी जाती थी। आज युवाओं के कार्यक्रम के नाम पर होने वाली फूहड़ रेव पार्टी से यह कहीं ज्यादा सुंदर, मनभावन और अपनी संस्कृति से जुड़ा हुआ है। क्या इसे पुन: वही स्वरूप दिया जा सकता है?

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