स्वराज्य – सुशासन

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छत्रपति शिवाजी महाराज का शासन सुशासन और राज्य सुराज्य क्यों कहलाता था? इसे समझने के लिए उनके कार्य, उनके विचार, उनके निर्णय और उनकी योजनाओं को जानने तथा उनका चिंतन मनन करने की आवश्यकता है। वर्तमान के राज्यकर्ता यदि छत्रपति शिवाजी महाराज के स्वराज्य या राष्ट्र प्रथम के संदेश को अपने आचरण में उतार लें तो भारत में पुन: सुराज्य लौट आएगा।

पनवेल के आधार स्तम्भ दि. बा. पाटील

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पनवेल और नवी मुंबई की आम जनता के लिए जननेता दि.बा. पाटील ने उल्लेखनीय कार्य किया  है। यही कारण है कि  नवी मुंबई हवाई अड्डे को उनका नाम देने के लिए  रामशेठ ठाकुर के नेतृत्व में वहां की जनता ने सफल आंदोलन किया।

भूमि पुत्रों का जमीन बचाओ आंदोलन

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देश के प्रमुख किसान आंदोलनों में वर्तमान नवी मुंबई के भूमि पुत्रों का आंदोलन अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस आंदोलन में कई किसान शहीद हो गए। लेकिन उनके नेता दि. बा. पाटिल झुके नहीं। उन्होंने किसानों को उनका हक दिलाने के लिए जमीन आसमान एक कर दिया।

मदनदासजी के कर्म मंत्र को आगे बढ़ाए – डॉ. मोहनजी भागवत

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मदनदासजी ने अपने सम्पर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को विचारों एवं आंतरिक स्नेह से प्रेरित कर किसी न किसी प्रकार के सामाजिक कार्य में सक्रिय करने का महान कार्य किया। उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं पर अमल करना और कार्य को बढ़ाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। आइए, मदनदासजी द्वारा दिए गए कार्य मंत्र के अनुरूप काम को आगे बढ़ाएं।

पंजाब में अध्यात्म-शौर्य का संगम – स्वामी विवेकानंद

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स्वामी विवेकानंद को गुरु नानक देव के विचारों एवं गुरु गोविंद सिंह की राष्ट्र भावना ने काफी प्रभावित किया था। वे चाहते थे कि युवावर्ग इनसे सीख लेकर अपने अंदर आत्म सम्मान का भाव पैदा करे।

नानक नाम जहाज चढ़े सो उतरे पार

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जब उत्तरापथ म्लेच्छ आक्रमणों के दौर में संक्रमण काल से गुजर रहा था गुरु नानक ने एक ऐसे समाज-धर्म की नींव रखी, जो संत सिपाही गुरु गोविंद सिंह से होते हुए आज भी मानव मात्र के प्रति समान भाव रखते हुए राष्ट्र-धर्म-समाज की रक्षा को अपने जीवन का आधार मानती है।

राष्ट्र सेविका समिति की संस्थापिका लक्ष्मीबाई केळकर  

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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारत और पाकीस्तान के विभाजन का निर्णय हुआl महिलाओं पर हो रहे अत्याचार की तो कोई परिसीमा  ही नहीं थीl  सिंध प्रांत भारत से विभाजित होनेवाला थाl  वहाँ के माता बहनों की मौसीजी को बहुत चिंता थीl  इसी समय कराची से मा.जेठाबहेन के आये हुये भावनापुर्ण पत्र से मौसीजी आत्यंतिक व्यथित हो गयी और वेणुताई कळंबकर के साथ अत्यंत विपरित परिस्थिती में विमान से कराची गयीl  वहाँ पर तो पाकिस्तान का मदोन्मत्त स्वतंत्रता उत्सव मनाया जा रहा थाl ऐसे अत्यंत विकट परिस्थिती मे १२०० राष्ट्राभिमानी सेविकाओं का और मौसीजी का अनोखा राष्ट्रभावपूर्ण एकत्रिकरण हो रहा था! उस रात भगवे ध्वज को साक्षी रखकर अपने स्त्रीत्व की रक्षा करने की एवं भारतभू की सेवा आमरण करने की प्रतिज्ञा मौसीजी के सामने लीl  और विभाजन के बाद इन सभी सेविकाओं की भारत मे अनेक स्थानों पर रहने की व्यवस्था मौसीजी ने कीl विपरीत परिस्थिती मे संगठन का अत्याधिक महत्व होता है ये प्रतिपादीत करने के लिये वं. मौसीजी सेविकाओं को यह सिंध का हृदयस्पर्शी उदाहरण देती थीl

छत्रपति शिवाजी की निर्माता-वीरमाता जीजाबाई

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शिवाजी सदा मां भवानी की पूजा करते थे और अपनी मां के द्वारा मिली शिक्षा का निर्वहन करते रहे। शिवाजी की तलवार का नाम भी भवानी ही था। जीजाबाई ने शिवाजी को बचपन से ही महाभारत एवं रामायण की ऐसी कहानियां सुनाई जिनसे उन्हें अपने धर्म और अपने कर्म का ज्ञान हुआ । जीजाबाई ने अपने पुत्र शिवाजी को ऐेसे संस्कार दिए कि उन्होंने हिन्दवी साम्राज्य को स्थापित करने में सफलता प्राप्त की। माता जीजाबाई के कारण ही शिवाजी को “छत्रपति शिवाजी महाराज” बने।

पर्वत प्रेमी सर एडमंड हिलेरी

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देवातात्मा हिमालय अध्यात्म प्रेमियों की तरह खतरों के खिलाडि़यों को भी अपनी ओर आकृष्ट करता है। 8,848 मीटर ऊंचे, विश्व के सर्वोच्च पर्वत शिखर सागरमाथा (माउंट एवरेस्ट) पर नेपाली शेरपा तेनजिंग के साथ सर्वप्रथम चढ़ने वाले सर एडमंड हिलेरी ऐसे ही एक साहसी पर्वतारोही थे।  हिलेरी का जन्म न्यूजीलैंड के…

राष्ट्र स्वाभिमान पुनर्जागरण के पुरोधा वीर सावरकर

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भारतीय स्वाभिमान और स्वातंत्र्य वोध जागरण केलिए यूँ तो करोड़ों महापुरुषों के जीवन का बलिदान हुआ है किन्तु उनमें कुछ ऐसे हैं जिनके जीवन की प्रत्येक श्वाँस राष्ट्र के लिये समर्पित रही । स्वातंत्र्यवीर सावरकर जी ऐसे ही महान विभूति थे जिनके जीवन का प्रतिक्षण राष्ट्र और स्वत्व बोध कराने…

स्वाधीनता संग्राम के महानायक स्वातंत्र्यवीर सावरकर

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भारतीय स्वाधीनता संग्राम के महानायक विनायक दामोदर सावरकर का जन्म महाराष्ट्र के नासिक जिले के भगूर ग्राम में 28 मई 1883 को हुआ था। विनायक के पिता का नाम दामोदर पन्त तथा माता का नाम राधाबाई था। सावरकर जी चार भाई बहन थे। वीर सावरकर न केवल स्वाधीनता संग्राम सेनानी…

आत्मबलिदानी सती रामरखी देवी

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दिल्ली में मुगल शासक औरंगजेब के बन्दीगृह में जब गुरु तेगबहादुर जी ने देश और हिन्दू धर्म की रक्षार्थ अपना शीश कटाया, तो उससे पूर्व उनके तीन अनुयायियों ने भी प्रसन्नतापूर्वक यह हौतात्मय व्रत स्वीकार किया था। वे थे भाई मतिदास, भाई सतीदास और भाई दयाला। इस कारण इतिहास में…

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