कुछेक गज की साड़ी

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“कुछेक गज की साड़ी में कितना कुछ समाया  होता है! बचपन में मां का आंचल, बड़े होने पर मां की साड़ियां पहनकर एक सौंदर्य रमणा स्त्री दिखने की इच्छा, और वक्त के बीतते, किसी के नाम की साड़ी पहनना, सजना- संवरना, और फिर जीवन का सबसे खूबसूरत पल- किसी नन्हीं सी जान को अपनी इसी साड़ी के आंचल से सुरक्षित रखना, बिल्कुल जैसे मां किया करती थीं...”

फैशन मतलब कुछ हट के…

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लम्बे समय तक एक ही तरीके से चलने वाले घटनाक्रम के कारण उत्पन्न होने वाली बोरियत को दूर करने के लिए जो कुछ भी नया किया गया वह फैशन हो गया। फिर चाहे वह साड़ी की जगह सलवार कमीज पहनना हो, धोती की जगह पैंट पहनना हो, प्लेन कपड़ों की जगह चेस्ट प्रिंट कपडे पहनना हो, आंखों पर गॉगल लगाना हो, हाई हील के सैंडल पहनना हो, पर्स में 4-5 बैंकों के क्रेडिट-डेबिट कार्ड रखना हो, साल में एक बार परिवार के साथ विदेश का दौरा करना हो, हफ्ते में एक बार होटल में जाना हो या फिर स्मार्ट फोन के लेटेस्ट वर्जन यूज करना हो।

भारतीय महिलाओं के सोलह श्रृंगार का महत्व

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समय बदलने के साथ कुछ श्रृंगार प्रसाधन प्रचलन से बाहर हो गए और कुछ की जगह आधुनिक श्रृंगार प्रसाधनों ने ली। इसके बावजूद सोलह श्रृंगार का महत्व आज भी बरकरार है। श्रृंगार के इन सभी प्रसाधनों का अपना एक विशेष महत्व है। केवल खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिहाज से ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी ये बेहद महत्वपूर्ण हैं। जानिए क्या है आधुनिक युग के प्रचलित 16 श्रृंगार और उनके फायदे-

फैशन : परंपरा और आधुनिकता का फ्यूजन

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आम तौर पर ‘फैशन’ कहने पर ग्लैमर ही हमारी आंखों के समक्ष आता है। केवल कलाकारों, उच्चस्तरीय लोगों तक ही फैशन सीमित होने के दिन अब लद चुके हैं। अपने रूप और अपनी प्रस्तुति के बारे में आम लोग भी जागरूक हो गए हैं। इसलिए फैशन के क्षेत्र का विस्तार खूब होता जा रहा है। अतः फैशन के क्षेत्र में कदम रखने को युवा अब बहुत उत्सुक हैं। इसमें असीमित अवसर दिखाई देते हैं। फैशन रोजमर्रे के जीवन का अनिवार्य अंग बन गई है। बढ़ती आय के साथ व्यक्ति की क्रय शक्ति भी बढ़ गई है। इसलिए फैशन के क्षेत्र में प्रशिक्षित लोगों की बड़े पैमाने पर आवश्यकता है। इससे रोजगार के असीमित अवसर उपलब्ध हो रहे हैं।

फैशन दीपावली विशेषांक

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दीपावली के शुभ अवसर पर रौशनी की जगमगाहट और पकवानों की मिठास को द्विगुणित करने के लिए आपके पास आ रहा है, हिंदी विवेक मासिक पत्रिका का फैशन दीपावली विशेषांक। भारतीय पारम्परिक फैशन से लेकर पेरिस के फैशन तक रंगा सम्पूर्ण 246 रंगीन पृष्ठों का विशेषांक आपके उत्सव को जगमगाने आ रहा है।…

विश्वास के पंख

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नैना सुबह पांच बजे उठ गई। उसने जल्दी- जल्दी कुछ घर के काम किए और फिर भगवान और बड़ों को प्रणाम कर फैक्टरी जाने के लिए तैयार हो गई। उसके मन में खुशी, उत्साह, डर, उमंग का मिलाजुला भाव था। वह चाहती थी कि उससे कहीं भी कोई त्रुटि न हो। इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी जो मिली थी उसे। नैना की जिंदगी का नया अध्याय आरंभ हो चुका था।

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