मारीशस के तुलसी अरुण-मृदुल सेवक सुखदाता

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अरुणजी का अवसान मारीशस में एक युग की समाप्ति है, किन्तु भारत भी अससे अछूता नहीं रहा है। अरुणजी ने जिस प्रकार से बीसवी शताब्दी के उत्तरार्ध तथा इक्कीसवी सदी के प्रारंभ में समय की आवश्यकता के अनुरूप समाज को श्रीराम चरित से जोड़ने का सद्प्रयास किया, वह अभिनंदनीय तो है ही, किन्तु अनुकरणीय भी है।

“स्वराज हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूंगा”

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यह नारा देश के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक ने दिया था उन्होंने ब्रिटिश सरकार को पूरी तरह से देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था। बाल गंगाधर तिलक एक प्रसिद्ध वकील, शिक्षक, समाजसुधारक और राष्ट्रवादी व्यक्ति थे बाद में लोगों ने उन्हे लोकमान्य की भी उपाधि दी।…

बदलती परंपराओं और त्यौहारों का नया स्वाद

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ट्रिंग... ट्रिंग... ट्रिंग... कॉलबेल बजी। उत्साह से नेहा ने दरवाजा खोला। अपनी चारों सहेलियों को देख नेहा का चेहरा खिल उठा। “कौन आया है बेटी?” मां भी कमरे से बाहर आ गई। नेहा ने गांव से आई अपनी मां का सभी सहेलियों से परिचय कराया। बातचीत चल निकली तो त्यौहारों पर आकर अटक गई कि…

बिहार चुनाव: फिर हुए विकास, जनता राज और रोजगार के वादे

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उत्तर प्रदेश और बिहार में चुनाव भी किसी त्यौहार से कम नही होता और करीब सभी राजनीतिक पार्टियां यूपी और बिहार में चुनाव जीतना चाहती है। लोकसभा चुनाव को लेकर तो यहां तक कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता इन दोनों राज्यों से हो कर ही जाता है क्योंकि…

सभी को साथ लेकर चलना है भारतीय संस्कृति- डॉ मनमोहन वैद्य

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हरियाणा के रोहतक में आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह कार्यवाह डॉ मनमोहन वैद्य ने कहा कि हरियाणा के युवकों के लिए कृषि लघु प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए, जिससे कृषि के नचारी शोधों का उपयोग किसान के विकास के लिए किया…

राजनाथ सिंह: संघ से लेकर बीजेपी के संकट मोचक बनने की कहानी

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राजनाथ सिंह को अगर याद करते है तो मन में धोती और कुर्ते वाला व्यक्तित्व नजर आता है। बहुत ही सहजता से अपनी बात को रखना और जरुरत के अनुसार आवाज़ को ऊंचा करने की कला भी राजनाथ सिंह में बखूबी देखने को मिलती है। राजनाथ सिंह फिलहाल मोदी सरकार…

भारत की अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी!

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भारत एक कृषि प्रधान देश! भारत एक कृषि प्रधान देश माना जाता है लेकिन अब यहां भी ऐसे हालात हो गये है कि अगर देश की जीडीपी गिरती है तो बेरोज़गारी भी तेजी से पैर पसारने लगती है। कोरोना वायरस महामारी के दौरान देश में महीनों तक पूर्ण रूप से…

गुरुवर्य नहीं होते तो मेरा जीवन अधूरा रह जाता…-

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अगर शाश्वत सत्य का परिचय करना हो तो गुरू अत्यंत आवश्यक है। ...आज मैं शाश्वत सत्य के मार्ग पर आगे बढ़ा हूं और वैज्ञानिक के रूप में भी आगे बढ़ा हूं तो इन दोनों का ही श्रेय मेरे गुरू श्री साखरे महाराज को जाता है। वे न आते तो शायद मेरा जीवन अधूरा ही रह जाता।

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