जीत सदैव धर्म की ही होती है …

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कौरव पक्ष में भी धर्म था उसका नाम विदुर था । पर धर्म को कौरव पक्ष ने सेवक बनाकर रखा था । धर्म की बात नहीं सुनी जाती थी । जब धर्मराज विदुर ने राजा धृतराष्ट्र को सलाह दी कि तुम्हारे पुत्र दुर्योधन इत्यादि कलियुग के रूप हैं अतः युधिष्ठिर…

हर संघर्षशील व्यक्ति का अज्ञातवास खत्म होगा

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महाभारत में एक प्रसंग आता है जब धर्मराज युधिष्ठिर ने विराट के दरबार में पहुंचकर कहा, “हे राजन! मैं व्याघ्रपाद गोत्र में उत्पन्न हुआ हूँ तथा मेरा नाम 'कंक' है। मैं द्यूत विद्या में निपुण हूँ। आपके पास आपकी सेवा करने की कामना लेकर उपस्थित हुआ हूँ।” द्यूत, जुआ यानि…

दिव्यांग विश्वविद्यालय के निर्माता स्वामी रामभद्राचार्य 

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किसी भी व्यक्ति के जीवन में नेत्रों का अत्यधिक महत्व है। नेत्रों के बिना उसका जीवन अधूरा है; पर नेत्र न होते हुए भी अपने जीवन को समाज सेवा का आदर्श बना देना सचमुच किसी दैवी प्रतिभा का ही काम है। जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ऐसे ही व्यक्तित्व…

भारतीय दर्शन कर्म और कर्मफल पर टिका हुआ है

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कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफल हेतु: भू: ते संग: अस्तु अकर्मणि।। भगवतगीता 2.47 भगवतगीता का यह श्लोक लगभग सभी लोग जानते हैं। कृष्ण कह रहे हैं कि तुम्हारा अधिकार कुशलता पूर्वक कर्म करने में है उसके परिणाम में नहीं। इसलिए न तो कर्मफल की आकांक्षा करो और न ही…

कलिकाल में हनुमान जी की भक्ति का महत्व

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रामायण युग में दिव्य शक्तियों से परिपूर्ण होकर अवतरित रामभक्त हनुमान जी को कौन नहीं जानता और कौन नहीं मानता ? रामभक्त हनुमान जी सर्वगुण सम्पन्न,बाल ब्रह्मचारी और प्रभु राम तथा उनके भक्तों के कठिन से कठिन कार्य करने के लिए सदा तत्पर हैं । हनुमान जी आज कलयुग के…

अद्भुत सहरसा जिले में कभी होती थी नील की खेती

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पर्यटन के नजरिये से जब कभी बिहार घूमने की बात होती है, तो कुछेक नाम ही जुबां पर आते हैं, जैसे गया, राजगीर, दरभंगा आदि। लेकिन, इससे इतर जाएं, तो यहां कई ऐसी जगहें भी हैं, जो ऐतिहासिक महत्व की हैं और उन्हीं में से एक सहरसा जिला भी है।…

विजय ही धर्म है

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हस्तिनापुर में पाण्डवों के राज्याभिषेक के बाद जब कृष्ण द्वारिका जाने लगे तो धर्मराज युद्धिष्ठर उनके रथ पर सवार हो कर कुछ दूर तक उन्हें छोड़ने के लिए चले गए। भगवान श्रीकृष्ण ने देखा, धर्मराज के मुख पर उदासी ही पसरी हुई थी। उन्होंने मुस्कुरा कर पूछा, "क्या हुआ भइया?…

चक्रव्यूह : अद्भुत और अकल्पनीय युद्ध तंत्र

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विश्व का सबसे बड़ा युद्ध था महाभारत का कुरुक्षेत्र युद्ध। इतिहास में इतना भयंकर युद्ध केवल एक बार ही घटित हुआ था। अनुमान है कि महाभारत के कुरुक्षेत्र युद्ध में परमाणू हथियारों का उपयॊग भी किया गया था। ‘चक्र’ यानी ‘पहिया’ और ‘व्यूह’ यानी ‘गठन’। पहिए के जैसे घूमता हुआ…

बंदउ गुरु पद कंज

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गुरु वह प्रज्ञावान, ज्ञानवान महापुरुष और श्रेष्ठ मानव होता है जो अपने ज्ञान का अभीसिंचन करके व्यक्ति में जीवन जीने तथा अपने कर्तव्य को पूरा करने में उसकी सुप्त प्रतिभा और प्रज्ञा का जागरण करता है।

संगीतमय सड़कें

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कोई माने या न माने, पर मुझे संजय की तरह दिव्य दृष्टि प्राप्त हो गयी है और मैं भली भांति देख पा रहा हूं कि निकट भविष्य में क्या होने वाला है।

गीता और रूसी मूर्खता

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चीन और उत्तर कोरिया को छोड दिया जाए तो कम्यूनिज्म सारी दुनिया से विदा हो चुका है। चीन तो शांघाई के रूफ में कम्यूनिज्म और फूंजीवाद के मिले-जुले रूफ को अख्तियार कर चुका है।

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