परमात्मा स्वाधीन है आत्मा उसके अधीन

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मान लीजिए कि आप हरिद्वार गये। वहाँ आपने हर की पौडी पर एक पवित्र नदी में स्नान किया। उस नदी का नाम है - गंगा। नहाने के पश्चात् आप नदी से कुछ जल लोटे में भर लेते हैं। जिस जल से आपने स्नान किया और जो लोटे में रखा वह…

सुसंस्कृत व्यक्तियों का निर्माण

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Man standing on a ledge of a mountain, enjoying the sunset over a river valley in Thorsmork, Iceland. With lens flare.
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सुसंस्कारिता जिसे मिली उसने वह सब कुछ पा लिया जिसे पाकर मनुष्य जीवन का अमृतोपम रसास्वादन करने का अवसर मिलता है । "आध्यात्मिकता", "दृष्टिकोण की उत्कृष्टता" और "धार्मिकता", "व्यवहार की शालीनता" को ही कहते हैं । शब्दों की ऊँचाई से किसी रहस्यवादी कल्पना में भटकने की आवश्यकता नहीं है ।…

जल्दबाजी कर पगडंडियों में न भटकें !!

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"जीवन" एक वन है, जिसमें "फूल" भी हैं और "काँटे" भी । जिसमें "हरी-भरी सुरम्य घाटियाँ" भी है और "ऊबड़-खाबड़ जमीन" भी । अधिकतर वनों में वन्य पशुओं और वनवासियों के आने_जाने से छोटी-मोटी "पगडंडियाँ" बन जाती हैं । सुव्यवस्थित दीखते हुए भी ये जंगलों में जाकर लुप्त हो जाती…

तेरा विश्वास शक्ति बने, याचना नही

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हे प्रभो! मेरी केवल एक ही कामना है कि मैं संकटों से डर कर भागूँ नहीं, उनका सामना करूँ। इसलिए मेरी यह प्रार्थना नहीं है कि संकट के समय तुम मेरी रक्षा करो बल्कि मैं तो इतना ही चाहता हूँ कि तुम उनसे जूझने का बल दो। मैं यह भी…

सदा प्रसन्न रहिए, ईश्वर को याद रखिए‼️

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आप संसार के कर्मनिष्ठ महापुरुषों से शिक्षा ग्रहण कीजिए, अपने को धैर्यवान बनाइए, काम को खेल की तरह करिए, कठिनाइयों को मनोरंजन का एक साधन बना लीजिए । अपने मन के स्वामी आप रहिए, अपने घर पर किसी दूसरे को मालिकी मत गाँठने दीजिए। चिंता, शोक आदि शत्रु आपके घर…

आज के युग में “अहं ब्रह्मास्मि” की अनिवार्यता

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हजारों वर्षों से भारत अपनी महान विरासत और ऋषियों के लिए जाना जाता है।  विभिन्न समयों पर, ऋषियों ने मानव जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं का अध्ययन किया, जैसे कि मन, बुद्धि, स्मृति, अहंकार और आत्मन। इन पहलुओं की संतों के विस्तृत अध्ययन और ज्ञान का व्यापक रूप से वैश्विक विचारकों और दार्शनिकों द्वारा अपने स्वयं के…

आध्यात्मिक चेतना का केन्द्र

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भारत विश्व का प्राचीनतम राष्ट्र है। वैदिक चिन्तन राष्ट्र को एक सजीव सत्ता स्वीकार करता है। सिर्फ मानचित्र पर उभरी रेखा में ही राष्ट्र नहीं होता बल्कि राष्ट्र एक भावना है, विचार है, एक प्राण शक्ति है जो मानव सोच और व्यवहार को प्रभावित करती है।

उत्तराखंड भारत की सांस्कृतिक धरोहर – स्वामी विश्वेश्वरानंद महाराज

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सनातन धर्म की पुनर्स्थापना आद्य शंकराचार्य ने की। उन्होंने शस्त्र नहीं चलाया, केवल शास्त्र के माध्यम से ही समाज में सनातन धर्म की पुनर्स्थापना की। इसलिए शास्त्र परम्परा का संरक्षण व संवर्धन होना चाहिए। यह उद्गार व्यक्त करते हुए अपने साक्षात्कार में संन्यास आश्रम के महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज ने उत्तराखंड के आध्यात्मिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश –

प्रकृति और अध्यात्म के सम्मोहन का सिद्ध मंत्र उत्तराखंड

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भारत देश विविधताओं से भरा है। अपने देश में भाषा, धर्म, जातियों-उपजातियों तथा रहन-सहन की विभिन्नता के कारण भारत के सामाजिक रंग-रूप में भी विविधता दिखाई देती हैं। भारत कि यह वैविध्यपूर्ण लोक संस्कृति ही भारतीय जीवन शैली की परिचायक है। रीति-रिवाज, वेशभूषा, खानपान, लोक-कथाएं, लोक-देवता, मेले, त्योहार, मनोरंजन के…

गुरुवर्य नहीं होते तो मेरा जीवन अधूरा रह जाता…-

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अगर शाश्वत सत्य का परिचय करना हो तो गुरू अत्यंत आवश्यक है। ...आज मैं शाश्वत सत्य के मार्ग पर आगे बढ़ा हूं और वैज्ञानिक के रूप में भी आगे बढ़ा हूं तो इन दोनों का ही श्रेय मेरे गुरू श्री साखरे महाराज को जाता है। वे न आते तो शायद मेरा जीवन अधूरा ही रह जाता।

उद्यम व आस्था का संगम जुगल. पी. जालान

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मुंबई महानगर के सभी प्रमुख धार्मिक एवं सामाजिक आयोजनों में जालानजी हमेशा दिखायी देेते हैं। यूं भी कहा जा सकता है कि आयोजन और जालानजी एक‡दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। श्री रामलीला, श्याम मण्डल गायन, श्रीमद्भागवत, अखण्ड रामायण पाठ, भागवत संकीर्तन, भजन आदि उत्सवों की पूर्णाहुति जालानजी के बगैर नहीं होती। ऐसी विलक्षण शख्सियत तथा व्यक्तित्व के धनी जालानजी से हमारे प्रतिनिधि द्वारा लिया गया साक्षात्कार हम नीचे प्रस्तुत कर रहे हैं।

सत्यसाई के कर्मयज्ञ का चमत्कार

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पुट्पर्ती के श्री सत्य साईबाबा अपने‡आप में एक चमत्कार थे। उन्होंने जनसेवा को जो विशाल रूप दिया उसकी कोई मिसाल नहीं है। स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्राम विकास, पेयजल आपूर्ति आदि क्षेत्रों में हुआ कार्य चकित करने वाला है। इस सेवा का एकमात्र उद्देश्य केवल जनता कल्याण था।

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