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किस राजनीतिक दल से किसान आंदोलन को मिल रहा फंड?

किस राजनीतिक दल से किसान आंदोलन को मिल रहा फंड?

by हिंदी विवेक
in कृषि, ट्रेंडींग, राजनीति, सामाजिक
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केंद्र सरकार के कृषि बिल के बाद से किसानों को आंदोलन शुरू हुआ और इसे करीब 9 महीने हो चुके हैं लेकिन अभी तक आंदोलन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है जबकि सरकार और किसानों के बीच में 2 दर्जन से अधिक बार बैठक हो चुकी है फिर भी सरकार और किसान के बीच का मतभेद खत्म होता नजर नहीं आ रहा है और अब इस आंदोलन को राजनीतिक रंग भी देना शुरू कर दिया गया है। आगामी कुछ सालों में कई राज्यों में चुनाव होने वाले है जिससे कुछ दल इस आंदोलन को और भी हवा दे रहे है। 

किसान आंदोलन को लेकर जब सरकार और किसानों के बीच में बातचीत चल रही है तो फिर उसका समाधान क्यों नहीं निकल रहा है? या फिर जानबूझकर इसका समाधान नहीं निकाला जा रहा है क्योंकि इसे लंंबा खीचने में विपक्षी दलों को फायदा है और इसके जरिए वह सरकार पर हमला करते रहेंगे। किसान भी इसके लिए उनका साथ दे रहे हैं कुछ नेताओं की तरफ से यह भी आरोप लगाया गया है कि किसानों का यह आंदोलन कांग्रेस सहित कुछ दलों की मदद से चलाया जा रहा हैं।
             
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानू प्रताप सिंह ने किसान नेता राकेश टिकैत पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह सिर्फ राजनीतिक दलों की कठपुतली बने हुए है जबकि असली किसान अपने खेतों में जा चुका है। कोई भी किसान इतना अमीर नहीं होता है कि वह बिना खेती के 9 महीने सिर्फ आंदोलन में बिता सके। अगर किसान ऐसा करेगा तो उसका परिवार भूख से मर जायेगा। किसान आंदोलन के नाम पर सड़कों पर कब्जा किया जा रहा है और वहां मकान बनाकर एसी लगाकार सभी मजे ले रहे है। इनके मकानों की वजह से आसपास के लोगों को परेशानी हो रही है लोग बाजार तक नहीं पहुंच पा रहे है और दिनचर्या के जरुरी सामानों से वंचित हो जा रहे है। इस पूरे किसान आंदोलन में राजनीतिक दल पैसा लगा रहे हैं और राकेश टिकैत के कंधे से बाण चला रहे है।
सरकार और किसान के बीच चल रहे इस युद्ध में देश की जनता भी दो धड़ों में बटी हुई है। कुछ लोग सरकार के बिल से खुश हैं तो कुछ लोग किसानों के आंदोलन से सहमत है लेकिन सवाल यह है कि अगर सरकार और किसान दोनों लोग अपनी अपनी बातों पर अड़े रहे तो फिर यह आंदोलन कब तक चलेगा और इससे देश और लोगों का जो नुकसान हो रहा है उसकी भरपाई कौन करेगा। सही तो यही होगा कि सरकार और किसान दोनों लोगों को अपनी अपनी बातों में नरमी लानी चाहिए और किसी एक बिंदु पर आकर यह युद्ध खत्म करना चाहिए। 
 
 

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Tags: #kisanandolan #FarmersProstests #KisanKiBaatanti indiacongresshindi vivek magazineindian farmers unionindian politicskisan andolanpoliticsrakesh tikaitsocial

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