आचार्य चाणक्य ने कहा था कि, ‘जिस देश में शांति के समय में जितना अधिक पसीना बहेगा युद्ध के समय उतना ही कम खून बहेगा’ यह लाइन का अर्थ है कि मुसीबत आने से पहले उसके खिलाफ की तैयारी करके रखना चाहिए। परेशानी किसी भी रूप में हो सकती है लेकिन तैयारी पहले से होनी चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी कुछ ऐसा ही करता है। राष्ट्र व धर्म पर आने वाली किसी भी परेशानी से लोहा लेने के लिए स्वयंसेवक हमेशा तैयार रहते है और इसके लिए उन्हें एक विशेष प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाता है जिसे संघ शिक्षा कहते है।
संघ की तरफ से हर साल संघ शिक्षा का आयोजन किया जाता है और यह पूरे देश में होता है। इसको ज्यादातर गर्मियों की छुट्टियों में किया जाता है क्योंकि विद्यार्थी सहित सभी लोगों को यह समय छुट्टी के हिसाब से उपयुक्त होता है। पूरे देश में यह शिक्षा वर्ग करीब 60 से अधिक स्थानों पर लगता है जिसमें 15 हजार से अधिक स्वयंसेवक इसमें हिस्सा लेते है। इस वर्ग की एक खास बात और है कि यह किसी भी भौतिक सुविधाओं से युक्त होटल या रिसोर्ट में नहीं होता है बल्कि किसी खुले स्थान या फिर स्कूल में किया जाता है जहां स्वयंसेवक को सभी काम खुद से करने पड़ते हैं। संघ शिक्षा वर्ग में जाने वाले सभी स्वयंसेवक खुद ही जाते है इन पर किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाया जाता है और अपने रहने व खाने का खर्च भी स्वयं वहन करते है।
संघ शिक्षा वर्ग में व्यक्ति का निर्माण किया जाता है जो बाद में राष्ट्र व धर्म के लिए खुद को समर्पित करता है। यह वर्ग कम से कम 7 दिनों का होता है जबकि अधिकतम 25 दिन का होता है इस दौरान बौद्धिक और शारीरिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है जिसमें व्यक्ति खुद को पहचानता है और समाज के प्रति भी जागरूक होता है। इस वर्ग का एक लाभ यह भी होता है कि वर्ग से निकला स्वयंसेवक ही संघ के कार्यों को भलिभांति कर पाता है और समाज को बहुत नजदीक से समझने लगता है। इसलिए ही देश नहीं बल्कि पूरे विश्व में संघ अपने अनुशासन, लक्ष्य समर्पित व राष्ट्र प्रेम के लिए जाना जाता है। संघ को लेकर यह भी कहते है कि यह कम संसाधनों में अधिक काम करता है क्योंकि स्वयंसेवक संसाधन से नहीं भावना से काम करता है।
कोरोना महामारी की वजह से संघ शिक्षा पिछले साल नहीं हो सकी थी जिसके बाद संघ की तरफ से एक बार फिर से नवंबर-दिसंबर में संघ शिक्षा का आयोजन किया जा रहा है हालांकि इस बार स्वयंसेवकों की संख्या कम रखी जा रही है क्योंकि कोरोना संक्रमण अभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है।संघ शिक्षा का समय अप्रैल से जून का होता है लेकिन इस बार सक्रमण की वजह से यह वर्ग अप्रैल-जून की जगह नवंबर-दिसंबर में किया जा रहा है और सिर्फ 18-44 आयु वर्ग के उन लोगों को बुलाया जा रहा है जिन्होंने कम से कम वैक्सीन का एक डोज ले लिया हो। संघ शिक्षा वर्ग 20 दिनों का होगा और स्वयंसेवकों की संख्या 100 से कम रखी जाएगी।