हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
वैश्विक हिंदुत्व ख़त्म करने का षड़यंत्र

वैश्विक हिंदुत्व ख़त्म करने का षड़यंत्र

by अरुण आनंद
in अक्टूबर-२०२१, राजनीति
0

इनके इस पूरे क्रियाकलाप को यदि आप टुकड़ों में देखेंगे तो वामपंथ समझ में नहीं आएगा परंतु जब अनेक घटनाओं, अलग-अलग परिदृश्य को एकसाथ जोड़कर देखेंगे तो समझ आएगा कि जो स्वयं पर सिविल सोसाइटी लबादा ओढ़े हैं। उस लबादे के पीछे कबीलाई या कहिए वहशी जानवर छिपे हैं। ये सभ्य समाज का हिस्सा नहीं है।

हिन्दुत्व और हिन्दुत्व विरोधी विमर्श को लेकर भारत के विश्वविद्यालयों में चल रहा वैचारिक संघर्ष और विमर्श अब विदेशी अकादमिक संस्थाओं के परिसरों में पहुंच गया है। इस बहस में ताजा वैचारिक विवाद एक ऑनलाइन आयोजन को लेकर हुआ है, जिसका शीर्षक ’डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व’ था।

मोटेतौर इस अंग्रेजी शीर्षक का अनुवाद किया जाए तो इसे ’वैश्विक हिंदुत्व को खत्म करना’ कह सकते हैं। यह एक वैश्विक सम्मेलन के तौर पर आयोजित किया गया था, जिसमें आयोजकों के दावों के अनुसार 40 से अधिक विदेशी विश्वविद्यालयों के विभिन्न विभाग हिस्सा ले रहे थे। इसमें बोलने वाले वक्ताओं की सूची में लंबे समय से हिंदुत्व के वैचारिक अधिष्ठान का विरोध करने वाले हिंदुत्व के विरोधियों की लंबी कतार थी।

हिन्दुत्व का होता आ रहा विरोध

यह सम्मेलन अपने आप में कोई अकेला या पहला आयोजन नहीं है। पिछले कुछ समय से ऐसे कई सम्मेलन आयोजित किए गए हैं, जिनमें हिन्दुत्व का विरोध किया गया। मोदी सरकार, भाजपा तथा हिन्दुत्व के पक्ष में खड़े राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों को आलोचना के निशाने पर लिया गया।

इन आयोजनों में से कुछ की सूची उदाहरण के तौर पर यहां साझा कर रहे हैं- अम्बेडकर किंग स्टडी सर्कल (27 जून 2021) द्वारा आयोजित ’रिपब्लिक ऑफ कास्ट’ , ग्लोबल रिसर्च नेटवर्क द्वारा आयोजित (अन्य प्रवासियों) में जाति और हिंदुत्व (6 मई 2021), हिंदुत्व की नरसंहार की राजनीति: कंधमाल से मुजफ्फरनगर तक (4-5 जून 2021) और कांग्रेस की ब्रीफिंग: अकादमिक स्वतंत्रता पर हिंदू वर्चस्ववादी हमले (8 सितंबर)।

8 सितंबर के सम्मेलन के आयोजकों के नाम सार्वजनिक नहीं किए गए थे लेकिन प्रायोजकों की एक लंबी सूची थी, जिसमें एमनेस्टी इंटरनेशनल, यूएसए, भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद, उत्तरी अमेरिका के भारतीय अमेरिकी ईसाईयों के संगठन आदि शामिल थे।

आयोजन दे रहे कुछ संकेत

ऑनलाइन आयोजनों की इस कड़ी का मुकाबला करने के लिए हिंदुत्व के समर्थकों  ने सितंबर के पहले सप्ताह में एक वैश्विक सम्मेलन का आयोजन किया। इंडिया नॉलेज कंसोर्शियम (आईएनके) द्वारा ’अंडरस्टैंडिंग हिंदुत्व और हिंदूफोबिया’ शीर्षक से एक सम्मेलन का आयोजन किया। इसमें इतिहास और धार्मिक अध्ययन के क्षेत्र में शिक्षाविदों और विशेषज्ञों को एक साथ लाया गया ताकि वे इस बात का खुलासा करें कि किस प्रकार शरारतपूर्ण ढंग से हिंदू धर्म व संस्कृति के बारे में डर का माहौल पैदा किया जा रहा है? इस डर को हिन्दूफोबिया का नाम भी दिया गया है। आइएनके विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले प्रमुख यूके और यूरोपीय शिक्षाविदों का एक संघ है और संकेत इस बात के हैं कि यह आने वाले दिनों में इस प्रकार के और आयोजन भी करेगा।

हिन्दुत्व की तस्वीर सही नहीं

इस बीच एक और महत्वपूर्ण घटनाक्रम में प्रवासी भारतीयों के एक वर्ग ने ऐसे विश्वविद्यालयों से संपर्क करना भी आरंभ किया है, जिनका नाम हिन्दुत्व विरोधी आयोजनों के साथ जुड़ रहा है। वे उनसे आग्रह कर रहे हैं कि उन्हें संस्थागत रूप से इस तरह के आयोजनों का समर्थन नहीं करना चाहिए क्योंकि वे हिन्दुत्व की सही तस्वीर नहीं पेश कर रहे हैं। अमेरिका में हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (एचएएफ) ने डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व कार्यक्रम के सह-प्रायोजक के रूप में सूचीबद्ध सभी 41 विश्वविद्यालयों के अध्यक्षों और प्रमुख प्रशासकों को पत्र लिखकर उनसे 10-12 सितंबर को होने वाले सम्मेलन से दूरी बनाने के लिए कहा।

शिकागो सम्मेलन की वर्षगांठ

हिंदुत्व विरोधी इन सम्मेलनों का विरोध करने वालों ने एक महत्पूर्ण मुद्दा यह भी उठाया है कि ’डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’ सम्मेलन की तारीखों को जानबूझकर साल 1893 में स्वामी विवेकानंद के प्रसिद्ध शिकागो संबोधन की वर्षगांठ के साथ मिलाया गया। इस सम्मेलन को पश्चिम में हिंदुत्व की स्थापना और प्रतिष्ठा की दृष्टि से एक निर्णयक मोड़ माना जाता है। इसी अवसर पर हिंदुत्व की कड़ी आलोचना करने के लिए यह आयोजन भी 10 से 12 सितंबर के बीच आयोजित हो रहा है।   यह महत्वपूर्ण है कि इस संगोष्ठी (डीजीएच) का आयोजन 10 से 12 सितंबर तक किया जा रहा है। 11 सितंबर के ऐतिहासिक दिन को याद न करें क्योंकि ये वही दिन है जो हिंदू धर्म का सार तत्व दुनिया को बताने के लिए जाना जाता है। इस दिन 9/11 भी हुआ था, जिससे पता चलता है कि हिंदुत्व और वर्चस्ववादी इस्लामिक विश्व दृष्टिकोण के बीच क्या अंतर है? ये वही दिन है, जब स्वामी विवेकानंद ने धर्म संसद में बात की और सभी दृष्टिकोणों का सम्मान करने वाले हिन्दू धर्म को अपनाने के बारे में अपना जोरदार तर्क प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म ने दुनिया के सभी उत्पीड़ित लोगों को शरण दी। यह दावा नहीं किया कि केवल सत्य हमारे पास है बाकि सबके पास जो हैं, वह असत्य है। यह हिंदुत्व का एक सर्वसमावेशी दृष्टिकोण है, जिससे जबरन वर्चस्ववादी बता कर गलत छवि बनाई जा रही है।

हिन्दुत्व को बदनाम करने की साजिश

वामपंथी तंत्र की पकड़ अकादमिक जगत और मीडिया यानी क्लासरूम और न्यूजरूम में दिखाई देती है। इन दो जगहों पर ये खासे प्रभावी दिखाई देते हैं। कैसे ये उन्माद को पोसने की कोशिश करते हैं, जिसमें प्रगतिशीलता का कोई मतलब नहीं है? यहां एक प्रस्तावित सम्मेलन की तिथि इस तरह से रखी गई कि कैसे भी हिन्दुत्व को निशाना बनाया जाए और दुनिया में शांति एवं सुसंगता लाने वाले विचार दर्शन को अप्रासंगिक बनाया जाए क्योंकि हिंदुत्व के विचार के रहते क्रांति नहीं हो पाएगी, खून नहीं बहेगा इसलिए हिन्दुत्व के लेबल को बदनाम करने के लिए वे अकादमिक तंत्र का भी उपयोग करते हैं और पत्रकारिता के उपकरणों का भी उपयोग करते हैं।  गौर कीजिए हाल ही में एक वामपोसी पत्रकारिता संस्थान का विज्ञापन था कि उसे पत्रकारिता के लिए एक ऐसे पत्रकार की तलाश है, जो नरेन्द्र मोदी से घृणा करता हो। यानी पत्रकार नहीं मनोरोगी को पत्रकार के रूप में आगे बढ़ाना ताकि वामपंथ की दुकान चलती रहे।

सांस्कृतिक आवाहन के साथ यादें

वे आगे लिखते हैं ”रटगज विश्वविद्यालय के सम्मेलन की तिथि 11 सितंबर है, जिसका एक ऐतिहासिक महत्व है। शिकागो में 11 सितंबर, 1893 को विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद ने दुनिया को एक करने वाला, भाईचारे वाले, विश्व बंधुत्व को पुष्ट करने वाला ऐतिहासिक भाषण दिया था। इस दिन का उपयोग ये हिंदू समुदाय को उसकी समझ को दूषित करने, हिंदुत्व को एक ऐसे आतंक के तौर पर स्थापित करने के लिए कर रहे हैं, जो पश्चिम के लिए या शेष दुनिया के लिए खतरा है। उस समय पश्चिम में हिंदुत्व को एक भय के रूप में स्थापित करने का काम ये कर रहे हैं। हिंदू को अतिवादी बताने और नक्सलवादी, माओवादी, हिंसा के पैरोकारों को बौद्धिक योद्धा, शांति के मसीहा के तौर पर सामने खड़ा करने का इनका इतिहास रहा है। चाहे तालिबान की बात हो, चाहे मोपला के हत्यारों के महिमामंडन की बात हो, ये विश्व को शांति का उपदेश देने वालों के विरुद्ध षड्यंत्र कर अर्बन नक्सल के जरिए उनकी घेरेबंदी का काम कर रहे हैं।

इनके इस पूरे क्रियाकलाप को यदि आप टुकड़ों में देखेंगे तो वामपंथ समझ में नहीं आएगा परंतु जब अनेक घटनाओं/ अलग-अलग परिदृश्य को एकसाथ जोड़कर देखेंगे तो समझ आएगा कि जो स्वयं पर सिविल सोसाइटी लबादा ओढ़े हैं। उस लबादे के पीछे कबीलाई या कहिए वहशी जानवर छिपे हैं। ये सभ्य समाज का हिस्सा नहीं है। वामपंथी कार्ययोजनाओं में आपके एक ऐसी कबीलाई मानसिकता दिखेगी, जो हमेशा वार और शिकार की मनस्थिति में रहती है। भेड़िया खून का प्यासा रहता ही है। इस ’भेड़िया मानसिकता’ से यदि समाज छुटकारा नहीं पाएगा तो वो शांति की नींद भी नहीं सो पाएगा।”

 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: bharatheritagehindivivekindian cultureindian languagesindian traditionlanguagelearningsanskritsocial

अरुण आनंद

Next Post
तीसरी लहर से रहें सावधान

तीसरी लहर से रहें सावधान

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0