संस्कृत के प्राचीन एवं मध्यकालीन शब्दकोश

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हिन्दू धर्म में व्याकरण और शब्दकोश की सुदीर्घ परम्परा रही है।  निघंटु : आर्यभाषा का प्रथम शब्दकोश संस्कृत के पुरातनतम उपलब्ध शब्दकोश वैदिक 'निघंटु' है। उसका रचनाकाल कम से कम ७०० या ८०० ई० पू० है। वैदिक शब्दों (केवल विरल या क्लिष्ट शब्द) के संग्रह को 'निघंटु' कहते थे। 'यास्क'…

वामपंथी इतिहासकारों ने किया भारत का बेड़ा गर्क

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सिंधु घटी की लिपि : क्यों अंग्रेज़ और कम्युनिस्ट इतिहासकार नहीं चाहते थे कि इसे पढ़ाया जाए! इतिहासकार अर्नाल्ड जे टायनबी ने कहा था – विश्व के इतिहास में अगर किसी देश के इतिहास के साथ सर्वाधिक छेड़ छाड़ की गयी है, तो वह भारत का इतिहास ही है। भारतीय…

संस्कृत  साहित्य  परम्परा

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कुमाऊं और गढ़वाल में कई ऐसे साक्ष्य प्राप्त हुए हैं जिनसे यह स्पष्ट हो जाता है कि उत्तराखंड में संस्कृत साहित्य की परंपरा मौजूद थी। इन साक्ष्यों तथा ऐतिहासिक धरोहरों में से अधिकतर बहुत ही जीर्ण-क्षीर्ण स्थिति में हैं। इन धरोहरों का रखरखाव तथा संस्कृत का प्रचार-प्रसार इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि उत्तराखंड की द्वितीय राज्यभाषा भी संस्कृत है।

जयंती: युगों युगों तक अमर रहेंगे महाराजा अग्रसेन

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भारतवर्ष में ऐसे तमाम देवी-देवताओं और राजाओं ने जन्म लिया है जिन्हे युगों युगो तक याद किया जाता रहेगा। ऐसे युगान्तर राजा के बताए मार्ग पर लोग आज भी चल रहे हैं। ऐसे लोगों को उनके सेवाभाव, प्रेम और उनकी नीति के लिए जाना जाता है। महाराजा अग्रसेन भी ऐसे…

सिद्धि और साधना का पर्व शारदीय नवरात्र

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केरल में नवरात्रि देवी सरस्वती के सम्मान के रूप में  मनायी जाती है। इन नौ दिनों को केरल में सबसे शुभ माना जाता है। तमिलनाडु में नवरात्रि के समय गुड़ियों का एक प्रसिद्ध त्योहार मनाया जाता है, जिसे बोम्मई कोलू कहा जाता है।

दाह-क्रिया एवं श्राद्धकर्म का विज्ञान

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मादा कौवा सावन-भादों यानी अगस्त-सितंबर में अंडे देती है। इन्हीं माहों में श्राद्ध पक्ष पड़ता है इसलिए ऋषि-मुनियों ने कौवों को पौष्टिक आहार खिलाने की परंपरा श्राद्ध पक्ष से जोड़ दी, जो आज भी प्रचलन में है। दरअसल इस मान्यता की पृष्ठभूमि में बरगद और पीपल वृक्षों की सुरक्षा जुड़ी है, जिससे मनुष्य को 24 घंटे ऑक्सीजन मिलती रहे।

संवेदनशील भारत की सेवागाथा

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कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए प्रधानमंत्री ने रविवार 22 मार्च 2020 को जनता कर्फ़्यू का आवाहन किया और 25 मार्च को सारे देश में लॉकडाउन की घोषणा हुई।

महारानी दुर्गावती ने जब अकबर को दिया था लोहा, जबलपुर में आज भी होती है इस वीरांगना की पूजा

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  आज हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति बची है तो उसके लिए कुछ लोगों को अपना बलिदान देना पड़ा था जिसमें एक नाम महारानी दुर्गावती का भी है। महारानी ने अपने राज्य, देश और आत्मसम्मान के लिए शस्त्र धारण किया और अंतिम समय तक मुगलों से लड़ते हुए अमरत्व…

वैश्विक हिंदुत्व ख़त्म करने का षड़यंत्र

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इनके इस पूरे क्रियाकलाप को यदि आप टुकड़ों में देखेंगे तो वामपंथ समझ में नहीं आएगा परंतु जब अनेक घटनाओं, अलग-अलग परिदृश्य को एकसाथ जोड़कर देखेंगे तो समझ आएगा कि जो स्वयं पर सिविल सोसाइटी लबादा ओढ़े हैं। उस लबादे के पीछे कबीलाई या कहिए वहशी जानवर छिपे हैं। ये सभ्य समाज का हिस्सा नहीं है।

आधुनिक विज्ञान के अनुकूल वैदिक ज्ञान…

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हम भारतीय के रूप में महान संतों और हमारे पूर्वजों द्वारा लिखे गए पवित्र वेदों और हिंदू संस्कृति के ग्रंथों के गहरे और वास्तविक अर्थ को समझने में विफल रहे हैं।  मनोवैज्ञानिक रूप से देखा जाए तो हमारे प्राचीन काल के किसी भी ज्ञान को कहानी के माध्यम से दिखाने…

विज्ञान और रोजगार में संस्कृत की बड़ी भागीदारी

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आमतौर से भारत ही नहीं दुनिया में अंग्रेजी को विज्ञानऔर रोजगार की भाषा माना जाता है। किंतु अब यहमिथक व्यापक स्तर पर टूटता दिख रहा है। नई शिक्षानीति का यदि निष्पक्षता और ईमानदारी से पालन होता हैतो वह दिन दूर नहीं जब हम संस्कृत समेत अन्यभारतीय भाषाओं को पूर्ण रूप…

संस्कृत शब्दों की विश्व-मात्रा

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आदि भाषा संस्कृत का अथाह शब्दभंडार है। हजारों वर्षों से इन शब्दों ने असीमित विश्वयात्राएं की हैं। उनके देश-देशांतर की यात्रा इनके जन्म, शैशव, यौवन, रूप-स्वरूप, प्रवृत्ति में परिवर्तन, अर्थ-संकोच अर्थ-विस्तार, उनके जीवन में हुई उथल-पुथल की अंतरंग झांकी बहुत रोमांचक है। कुछ शब्द अपने चारित्रिक पतन के स्वयंसाक्षी हैं। इस संक्षिप्त आलेख में पेश है उसकी रोचक बातमी 

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