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गाय: भारतीय संस्कृति का प्रतीक

गाय: भारतीय संस्कृति का प्रतीक

by गिरीश शाह
in उत्तराखंड दीपावली विशेषांक नवम्बर २०२१, विशेष, संस्था परिचय, सामाजिक
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अनेक राज्यों में गाय और गोवंश संरक्षण के संबंध में अलग-अलग कानून बने हुए है इसलिए गोरक्षा के संबंध में ‘एक देश एक कानून’ की मांग तेजी से देश में होने लगी है। गोवंश रक्षा में अग्रणी भूमिका निभानेवाली समस्त महाजन संस्था इस विषय को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता अभियान भी चला रही है। संस्था का कहना है कि जैसे नेपाल के संविधान ने देश की बहुसंख्यक हिन्दू जनता की आस्था का सम्मान करते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया है, उसी तर्ज पर भारत में भी गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए।

गाय और भारत एक ही सिक्के के दो पहलु जैसे है। दुनिया में भारत की पहचान गाय से भी होती है। गाय सनातन भारत की संस्कृति सभ्यता का प्रतीक तो है ही, साथ ही यह हमारी अस्मिता और आस्था से जुड़ी हुई है। सनातन भारत के धर्म-कर्म के मूल में भी गाय ही है। गाय के महत्व को जानने के बाद ही हमारे ऋषि मुनियों ने इसे पशु के बदले मां का दर्जा दिया और इसे देवतुल्य माना। आज विज्ञान ने भी यह सिद्ध कर दिया है कि भारतीय देशी गाय वास्तव में कामधेनु है। एकमात्र भारतीय देशी गाय में ही दैवीय गुण (अनोखी खूबियां) विद्यमान है जो दुनिया में पाई जानेवाली अन्य विदेशी गायों में नहीं हैं। गो-सुषमा नामक पुस्तक में देशी गाय की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है और इसके साथ ही विज्ञान की कसौटी पर भी कसा गया है।

गोरक्षा के लिए ‘एक देश एक कानून’ की मांग तेज

हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मुकदमे के दौरान गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव देकर गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन की ओर सरकार का ध्यान फिर से आकर्षित कराया है इसलिए वह अभिनंदन की पात्र है। इसके पूर्व राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा देने का सुझाव सरकार को दिया था। बता दें कि समय-समय पर संतों महात्माओं सहित देशवासियों की ओर से देश भर में सम्पूर्ण गोवंश हत्या बंदी और बूचडखाने पर प्रतिबन्ध की मांग उठती रही है और इसके लिए अलग-अलग राज्यों में अनगिनत आन्दोलन एवं धरना प्रदर्शन हुए हैं। असंख्य लोगों ने गाय की रक्षा के लिए अपना बलिदान भी दिया है। नागरिकों की मांग का सम्मान करते हुए कुल 24 राज्यों ने गोरक्षा हेतु गोवंश हत्या पर प्रतिबन्ध लगाया हुआ है। अब इससे आगे बढ़कर पूरे देश में इसे लागू करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। हालांकि अनेक राज्यों में गाय और गोवंश संरक्षण के संबंध में अलग-अलग कानून बने हुए हैं इसलिए गोरक्षा के संबंध में ‘एक देश एक कानून’ की मांग तेजी से होने लगी है। गोवंश रक्षा में अग्रणी भूमिका निभानेवाली समस्त महाजन संस्था इस विषय को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता अभियान भी चला रही है। संस्था का कहना है कि जैसे नेपाल के संविधान ने देश की बहुसंख्यक हिन्दू जनता की आस्था का सम्मान करते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया है, उसी तर्ज पर भारत में भी गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए।

गाय देश की प्राणवायु

गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सुझाव का हम स्वागत करते है। सदियों से गाय इस देश की प्राण वायु की तरह रही है इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों को न्यायाधीश के सुझाव का पालन करना चाहिए तथा गोहत्या पर पूरी तरह प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए। केंद्र में गोभक्तों की सरकार है इसलिए मुझे पूर्ण विश्वास है कि न्यायालय के इस सुझाव को बिना देर किये अमल में लाया जायेगा।

आलोक कुमार

(अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष – विश्व हिन्दू परिषद)

 

गाय की हिफाजत करे सरकार

हम शुरू से कहते आ रहे हैं कि एक मरकजी कमेटी बननी चाहिए ताकि गाय की हिफाजत हो सके। गाय हिन्दू भाइयों की आस्था का प्रतीक है और उसका महत्व है इसलिए हम बार-बार गुजारिश करते रहे हैं। कोर्ट ने सही टिप्पणी की है। केंद्र सरकार को भी विचार करना चाहिए। जिससे हमारे करोड़ों हिन्दू भाइयों की आस्था का सम्मान हो सके।

मौलाना सुफियान निजामी

(प्रवक्ता – दारुल-उलूम फरंगी महली एवं सुन्नी धर्मगुरु)

 

गाय भारत की संस्कृति, किया जाए राष्ट्रीय पशु घोषित

गोरक्षा को किसी धर्म से जोड़ने की जरुरत नहीं है। गोरक्षा किसी एक धर्म की जिम्मेदारी नहीं है। गाय इस देश की संस्कृति है और इसकी सुरक्षा हर किसी की जिम्मेदारी है। जो लोग गाय को परेशान करते है, उन्हें नुकसान पहुंचाने का प्रयास करते है, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। समय आ गया है कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित कर दिया जाए। सरकार को सदन में बिल लाना चाहिए।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय

मोदी सरकार का वादा: राष्ट्रीय कामधेनु योजना

इस संदर्भ में सरकार की मंशा साफ़ करते करते हुए वर्ष 2019 में तत्कालीन वित्त मंत्री पियूष गोयल ने बजट पेश करने के दौरान गाय के हितों के लिए अलग से एक आयोग बनाने की बात कही थी। उन्होंने इस संबंध में कहा था कि सरकार राष्ट्रीय कामधेनु योजना शुरू करेगी और अपनी ओर से भरोसा दिया था कि गोमाता के लिए सरकार कभी पीछे नहीं हटेगी। उन्होंने स्पष्ट किया था कि सरकार विशेष रूप से गायों के लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का गठन करेगी, इसके साथ ही उन्होंने 750 करोड़ के बजट की भी घोषणा की थी। यदि हम गोवंश संरक्षण व संवर्धन की महत्वपूर्ण सिफारिशों का आंकलन करें तो हमें यह ज्ञात होगा कि नेशनल कमिशन ऑन कैटल ने भी गाय को विशेष संरक्षण हेतु उपयुक्त दर्जा देने का अनुरोध किया था।

केंद्र सरकार करेगी विचार

समाज के विभिन्न हिस्सों से जब इस तरह की मांग उठ रही है तो निश्चित तौर पर केंद्र सरकार इस पर विचार करेगी।

अजय मिश्र

(केन्द्रीय गृहराज्य मंत्री)

पूरे देश की मांग: गाय को किया जाए राष्ट्रीय पशु घोषित

समस्त महाजन संस्था ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए संतों और सामाजिक संगठनों एवं संस्थाओं के साथ मिलकर राष्ट्रीय अभियान छेड़ा हुआ है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में गाय को आखिर राष्ट्रीय पशु घोषित क्यों नहीं किया जाता? जबकि यह सर्वविदित है कि ग्रामीण जीवन, गांव और कृषि का आधार गोवंश ही है। लोकतंत्र में बहुसंख्यकों के बहुमत का सम्मान किया जाना चाहिए। मैं स्वयं भी भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड (भारत सरकार) के सदस्य होने के नाते बैठक में इस मामले को उठाऊंगा और बोर्ड से यह मांग करूंगा कि वह भारत सरकार से उचित कदम उठाने का आग्रह करे।

हर धर्म के लोग सबकी आस्था का करें सम्मान

गोवध रोकने के लिए केंद्र सरकार कानून बनाए। हर धर्म के लोग सबकी आस्था का सम्मान करे और एक दूसरे की आस्था को ठेस न पहुंचाए। इस्लाम के सुन्नी और सूफी समुदाय ने गोवध का हमेशा विरोध किया। गाय हिन्दू भाइयों सहित भारतियों की सभ्यता और आस्था का प्रतिक है। इस्लाम ने कभी नहीं कहा कि गोमांस मुसलमानों का भोजन है। रसखान, मुल्ला दाउद, जायसी के विचारों से सबको एक दूसरे का सम्मान करना सिखाना चाहिए।

डॉ. मुइन अहमद (सचिव – मुस्लिम पर्सनल लो बोर्ड)

 

गाय प्रदेश के ही नहीं देश के लिए है पूजनीय

गाय के संरक्षण को लेकर भाजपा सरकार संकल्पित है। उनके रखरखाव से लेकर संरक्षण तक सरकार ने कदम उठाये हैं। हम न्यायालय के सुझाव का स्वागत करते है क्योंकि गाय प्रदेश के ही नहीं देश के लिए पूजनीय है।

मोहसिन रजा

(मंत्री – उत्तर प्रदेश सरकार)

 

संसद में करें बिल पास

एक तरह से हमारी वर्षों पुरानी मांग को समर्थन मिला है। केंद्र सरकार को गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने और गोकशी पर पूर्ण प्रतिबन्ध संबंधी बिल जल्द से जल्द संसद में लाना चाहिए और इस बिल को संसद में पास कराना चाहिए।

स्वामी जितेंद्रानंद

(महामंत्री – अखिल भारतीय संत समिति)

 

गो संरक्षण पर होनी चाहिए राष्ट्रीय नीति

गो संरक्षण पर उच्च न्यायालय के निर्णय को गंभीरता से लेने की जरुरत है। भाजपा इसे संवैधानिक तौर पर ले, यूपी में गोवंश हत्या पर रोक है लेकिन गोवा और असम में छूट है, इसका एक राष्ट्रीय स्वरूप होना चाहिए।

सुरेन्द्र राजपूत

(प्रवक्ता-कांग्रेस)

 

गाय और भारत एक ही सिक्के के दो पहलु जैसे है। दुनिया में भारत की पहचान गाय से भी होती है। गाय सनातन भारत की संस्कृति सभ्यता का प्रतीक तो है ही, साथ ही यह हमारी अस्मिता और आस्था से जुड़ी हुई है। सनातन भारत के धर्म-कर्म के मूल में भी गाय ही है। गाय के महत्व को जानने के बाद ही हमारे ऋषि मुनियों ने इसे पशु के बदले मां का दर्जा दिया और इसे देवतुल्य माना। आज विज्ञान ने भी यह सिद्ध कर दिया है कि भारतीय देशी गाय वास्तव में कामधेनु है। एकमात्र भारतीय देशी गाय में ही दैवीय गुण (अनोखी खूबियां) विद्यमान है जो दुनिया में पाई जानेवाली अन्य विदेशी गायों में नहीं हैं। गो-सुषमा नामक पुस्तक में देशी गाय की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है और इसके साथ ही विज्ञान की कसौटी पर भी कसा गया है।

गोरक्षा के लिए ‘एक देश एक कानून’ की मांग तेज

हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मुकदमे के दौरान गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव देकर गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन की ओर सरकार का ध्यान फिर से आकर्षित कराया है इसलिए वह अभिनंदन की पात्र है। इसके पूर्व राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा देने का सुझाव सरकार को दिया था। बता दें कि समय-समय पर संतों महात्माओं सहित देशवासियों की ओर से देश भर में सम्पूर्ण गोवंश हत्या बंदी और बूचडखाने पर प्रतिबन्ध की मांग उठती रही है और इसके लिए अलग-अलग राज्यों में अनगिनत आन्दोलन एवं धरना प्रदर्शन हुए हैं। असंख्य लोगों ने गाय की रक्षा के लिए अपना बलिदान भी दिया है। नागरिकों की मांग का सम्मान करते हुए कुल 24 राज्यों ने गोरक्षा हेतु गोवंश हत्या पर प्रतिबन्ध लगाया हुआ है। अब इससे आगे बढ़कर पूरे देश में इसे लागू करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। हालांकि अनेक राज्यों में गाय और गोवंश संरक्षण के संबंध में अलग-अलग कानून बने हुए हैं इसलिए गोरक्षा के संबंध में ‘एक देश एक कानून’ की मांग तेजी से होने लगी है। गोवंश रक्षा में अग्रणी भूमिका निभानेवाली समस्त महाजन संस्था इस विषय को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता अभियान भी चला रही है। संस्था का कहना है कि जैसे नेपाल के संविधान ने देश की बहुसंख्यक हिन्दू जनता की आस्था का सम्मान करते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया है, उसी तर्ज पर भारत में भी गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए।

मोदी सरकार का वादा: राष्ट्रीय कामधेनु योजना

इस संदर्भ में सरकार की मंशा साफ़ करते करते हुए वर्ष 2019 में तत्कालीन वित्त मंत्री पियूष गोयल ने बजट पेश करने के दौरान गाय के हितों के लिए अलग से एक आयोग बनाने की बात कही थी। उन्होंने इस संबंध में कहा था कि सरकार राष्ट्रीय कामधेनु योजना शुरू करेगी और अपनी ओर से भरोसा दिया था कि गोमाता के लिए सरकार कभी पीछे नहीं हटेगी। उन्होंने स्पष्ट किया था कि सरकार विशेष रूप से गायों के लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का गठन करेगी, इसके साथ ही उन्होंने 750 करोड़ के बजट की भी घोषणा की थी। यदि हम गोवंश संरक्षण व संवर्धन की महत्वपूर्ण सिफारिशों का आंकलन करें तो हमें यह ज्ञात होगा कि नेशनल कमिशन ऑन कैटल ने भी गाय को विशेष संरक्षण हेतु उपयुक्त दर्जा देने का अनुरोध किया था।

पूरे देश की मांग: गाय को किया जाए राष्ट्रीय पशु घोषित

समस्त महाजन संस्था ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए संतों और सामाजिक संगठनों एवं संस्थाओं के साथ मिलकर राष्ट्रीय अभियान छेड़ा हुआ है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में गाय को आखिर राष्ट्रीय पशु घोषित क्यों नहीं किया जाता? जबकि यह सर्वविदित है कि ग्रामीण जीवन, गांव और कृषि का आधार गोवंश ही है। लोकतंत्र में बहुसंख्यकों के बहुमत का सम्मान किया जाना चाहिए। मैं स्वयं भी भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड (भारत सरकार) के सदस्य होने के नाते बैठक में इस मामले को उठाऊंगा और बोर्ड से यह मांग करूंगा कि वह भारत सरकार से उचित कदम उठाने का आग्रह करे।

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