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नये कपड़े और सेल्फी, क्या यही है हमारी दिवाली ?

नये कपड़े और सेल्फी, क्या यही है हमारी दिवाली ?

by हिंदी विवेक
in फ़ैशन, महिला, युवा, विशेष, संस्कृति
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भारतीय संस्कृति में दिए जलाना सिर्फ एक त्यौहार नहीं बल्कि एक श्रद्धा और आदर का भाव होता है। हम दिए सिर्फ बाहर प्रकाश या दिखावे के लिए नहीं जलाते हैं बल्कि इससे मन के अंधकार को भी कम करते है। तेजी से बदलते परिवेश में दिए की जगह को अब लाइट से पूरा किया जा रहा है लेकिन यह ठीक नहीं हैं इसलिए हमें बिजली बल्ब की जगह दिवाली पर दिए जलाने चाहिए और भगवान व प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए। जीवन वही सार्थक है जिसका आधार सत्य है, ऐसा यत्नपूर्वक जीवन जीने वाला व्यक्ति ही अंधकार को समाप्त करने का सामर्थ्य रखता है और जब अंधकार मिटता है, तो वास्तविक दीपावली मनायी जाती है। 

दीपावली पर्वों का पंचामृत है, कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी से इस पर्व का शुभारंभ होता है- धन त्रयोदशी अर्थात धन्वन्तरि त्रयोदशी (धनतेरस), दीपावली का दूसरा उत्सव नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है। इस दिन घर से नरक अर्थात गंदगी को बाहर किया जाता है। कार्तिक अमावस्या दीपावली का मुख्य त्योहार है इसी दिन श्री राम लंका में रावण का वध करके अयोध्या में पधारे थे और अवध वासियों ने उनके आगमन की प्रसन्नता को व्यक्त करने के लिए अपने-अपने घरों को सुंदर दीपों से सजाया था। इस दिन गणेश-लक्ष्मी का पूजन होता है गणेश हमारे विवेक देवता हैं, भगवती लक्ष्मी समृद्धि प्रदायनी देवी हैं| विवेक सम्मत लक्ष्मी का अर्जन हमारी संस्कृति का अभीष्ट है भारत की मनीषा कहती है कि विवेक बुद्धि का उपयोग करके कर्म करते हुए लक्ष्मी को प्राप्त करना मनुष्य का धर्म है। अपनी बुद्धि, श्रम से अर्जित संपत्ति के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए दीप जलाए जाते हैं।

हिन्दू धर्म में कई त्योहार होते है जिसे लोग बहुत ही खुशी से मनाते भी है हालांकि समय के साथ साथ इसके चलन में थोड़ा परिवर्तन भी देखने को मिल रहा है लेकिन अगर हम सवाल करें कि हम अपने इस त्योहार से क्या सीखते हैं तो शायद बहुत की कम लोगों के पास उत्तर होगा। त्योहार पर नये कपड़े पहनना, फोटो खीचना और घूमना क्या हमारा त्योहार यही है? बिल्कुल नहीं। हिन्दू धर्म में जितने भी त्योहार हैं वह सभी हमारे लिए कुछ संदेश देते हैं जिसे हमें अपने जीवन में उतारना चाहिए। हमारी भारतीय संस्कृति सदियों से हमें बहुत कुछ सिखाती आई है। भारत के विभिन्न भागों में मनाए जाने वाले विभिन्न त्योहार भी इसी का एक प्रतीक है। भारत में त्यौहार केवल त्यौहार नहीं तो पूरे परिवार का एक सामूहिक मिलन, अनेकता में एकता के सूचक और हमारी दैनंदिन जिंदगी के लिए मिलने वाली छोटी-छोटी सीख का दूसरा नाम है।

त्योहार के खास दिन पर घर के बड़े बुजुर्ग कुछ ज्ञान देते हैं जो हमारे जीवन को निखारने का काम करते हैं और यही छोटी छोटी बातें पूरे जीवन में काम आती है। त्योहार में परिवार के साथ मिलन होता है जो खुद में एक बहुत खुशी देता है। जब तक परिवार का साथ न हो तब तक कोई त्यौहार त्यौहार नहीं होता। हर धर्म में परिवार को सबसे अधिक मान्यता दी गयी है हालांकि तेजी से हो रहे शहरीकरण में परिवार टूट रहा है और लोग अलग अलग रहने को मजबूर हो रहे हैं।

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Tags: deepavali specialhindi vivekhindi vivek magazinehindu culturehindu festivalIndian Festivalindian traditionsmodern diwali

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