एजेंडा सेट करके कैसे किया जाता है दिमाग हैक ?

चार किताबें,,
मेरे पास युवा लड़के खूब बैठते थे आकर,, उन्होंने एकबार पूछा कि महाराज जी कैसे पता चले कि कोई व्यक्ति एजेंडा सेट करके हमारे दिमाग को हैक कर रहा है??
देखो भाई,,वैसे तो अनेकों तरीके होते हैं पता करने के लेकिन ज्ञान सबसे महत्वपूर्ण है,, अपने धर्म का अपनी संस्कृति का अपने संस्कारो का अपने शास्त्रों का,, घर परिवार काम धंधा रोटी पानी सब इसी में समा गया,,
जैसे किसी राष्ट्र को खत्म करना है तो वहां के युवाओं को खत्म करो,, युवाओं में भी जो ताकतवर हैं हष्ट पुष्ट हैं उनको,, चूंकि उनको भी जान से तो मार नहीं सकते इतनी बड़ी संख्या को तो कुछ और प्लान करो,, जैसे हष्ट पुष्ट युवा अखाड़ों में या जिम में या पार्कों में सुबह शाम कसरत करते खूब मिल जाएंगे,, तो धीरे धीरे एक बात सेट कर दो की दूध और केले खाने से ताकत आती है,, मिल्कशेक लागू कर दो हर जगह डायट प्लान में,,अब आयुर्वेद कोई पढ़ता नहीं इसलिए पता भी नहीं चलेगा कि दूध और केला दोनों महा ताकतवर हैं अलग अलग खाने में,,इक्कठे खाने से नपुंसकता करते हैं,,एक बड़ी आबादी की नस ब्लॉक हुई,, अब आगे बढ़ते हैं,,
आयुर्वेद पढ़ने वाले सब जन को पता है कि खीरा और छाछ यानी मट्ठा यानी तक्र यानी शीत,, ये दोनों विरुद्ध आहार हैं,, खाते ही चर्म रोग करेंगे,, तो लागू कर दो खीरे का रायता,,घूमते रहेंगे खुजाते हुए,,
थोड़ा बहुत भी आयुर्वेद जानने वाला जानता है कि नमक और दूध या दूध से बने पढार्थ जैसे खीर,, नमक और दूध चर्मरोग का मुख्य कारण है,, तो जहां भी भंडारे हों लागू कर दो पूड़ी सब्जी भी बनेगी खीर भी,, रायता भी,, बाकी सबमें नमक होता है दूध है ही नमक के साथ विरुद्ध,, फार्मा कम्पनियों की बल्ले बल्ले,,
यह देखो की राष्ट्र की या बहुसंख्यक समुदाय की आस्था किस पर है??किसी देवता पर है जैसे राम पर तो बार-बार उसपर हमले करो,, या ऐसे शास्त्र जिनके रहते इनको न मिटाया जा सके तो उन पर हमले करो,, और ऐसे बारीक हमले की बुद्धि पकड़ भी न पाए जल्दी से,,देखो एकाध उदाहरण देता हूँ,, जैसे कोई ठीक ठाक व्यक्ति है तो उसके उपहास के लिए जुमले बना दो–चार किताबें क्या पढ़ ली,, बन गया ज्ञानी,, जबकि चार किताबों का सनातन धर्म में सीधा सा मतलब है #वेद,,ऋग्वेद,यजुर्वेद, सामवेद अथर्ववेद,, बाकी तो सब एक-एक किताबिए हैं,,
या गीत लिखवाओ,, हालांकि 1400 साला मज़हबी गीत लिखेगा तो ऐसे ही लिखेगा,,अंदरूनी फितरत मरती थोड़े ही है,, एक गीत देखिए–छोटे बच्चों के हाथों को, चांद सितारे छूने दो,
चार किताबें पढ़कर ये भी, हम जैसे हो जाएंगे , निदा फाजली,, चूंकि चांद सितारे उनके झंडे के पवित्र चिन्ह हैं तो बच्चों से उसे छुआना चाह रहे और चार किताबों से दूर करना,,वेद पढ़ेंगे तो बिगड़ जाएंगे,, यह होता है होले से एजेंडा सेट करना,,
पोस्ट बड़ी हो गई लेकिन एक उदाहरण और देख लो अब तो,,किसी का मजाक उड़ाओ तो उसे कहो– बैलबुद्धि,,क्योंकि उन्हें पता है कि सनातन में बैल जैसा मेहनती और स्वामिभक्त पशु अन्य कोई नहीं और देव विग्रहों की बात की जाए तो नंदी अनंत धैर्य और इष्ट से किसी भी हालत में विमुख न होने का प्रतीक है,, इसलिए बार – बार उसी पर प्रहार करो,, ताकि अंतर्मन में बैठ जाए,, आज कोई भी सभ्य या सीधा व्यक्ति खासकर हिन्दू अपने को बैलबुद्धि कहलवाना पसन्द नहीं करेगा,, जबकि ऐसी पवित्र बुद्धि तो सैकड़ो जन्मों के पुण्यों से प्राप्त होती है,,
बातें बहुत हैं,, आज इतना ही,,

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