तिब्बती अस्मिता के प्रतीक दलाई लामा

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चौदहवें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो तिब्बत के आध्यात्मिक गुरू हैं। तिब्बतियों के लिए वे समूचे तिब्बत के प्रतीक हैं। वे तिब्बत की भूमि के सौंदर्य, उसकी नदियों, झीलों की पवित्रता, उसके आकाश की पुनीतता, उसके पर्वतों की दृढ़ता और उसके लोगों की ताकत के प्रतीक हैं।

सीरियाः अमेरिकी हमला टला, गुत्थी कायम

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फिलहाल सीरिया पर अमेरिकी हवाई हमले की संभावना टल गई है। इससे पूरी दुनिया के शांति प्रेमियों ने राहत की सांस ली है। सीरिया ने रूस के उस प्रस्ताव को मान लिया है जिसके तहत वह अपने रासायनिक हथियार अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण में सौंप देगा, ताकि बाद में उन्हें नष्ट किया जा सके।

अंग्रेजी कभी गंवारों की भाषा थी

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प्रति वर्षानुसार 14 सितम्बर को रस्मी तौर पर हिंदी दिवस मनाया जाता है। सरकारी संस्थानों और हिंदी प्रचार प्रसार की संस्थाओं आदि में ‘हिंदी कीर्तन’ होता है।

मिस्र व तुर्की में उफनता जन आक्रोश

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इस्लामी दुनिया के दो प्रमुख देशों मिस्र व तुर्की में इस्लाम के नाम पर सत्ता में आयी ताकतों के खिलाफ जन आक्रोश उफान पर है। मिस्र में तो दो साल पहले हुई कामयाब क्रान्ति के बाद लोकतांत्रिक तरीके से चुने गये पहले राष्ट्रपति मोहम्मद मोरसी को पद से हटाकर नजरबन्द कर दिया गया है ।

खुद में उलझा पाक

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चुनाव के दौरान और अपनी सियासी जिंदगी में तीसरी बार सत्तारूढ़ होने के बाद मोहम्मद नवाज शरीफ ने भारत के साथ रिश्ता बेहतर बनाने की बार‡बार इच्छा जाहिर की है।

भंवर में नेपाली लोकतंत्र

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नेपाल के इतिहास में 27 मई, 2012 की तारीख काले अक्षरों में दर्ज की जाएगी। इस तारीख को देश के सभी राजनीतिक दल लोकतंत्र की परीक्षा में फेल हो गए। इससे ठीक चार साल पहले 2008 में 27 मई की ही रात, देर तक चली बैठक में देश के सभी राजनीतिक दलों ने राजतंत्र के खात्मे और नया संविधान लिखकर उसके अनुरूप लोकतंत्र स्थापित करने का फैसला किया था।

पाकिस्तान में हिंदुओं का हाल बेहाल

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आजादी के 65 वर्षों बाद पाकिस्तान में रह रहे 70 लाख हिंदुओं का हाल बेहाल है। लगभग 94 फीसदी हिंदू सिंध प्रांत में जबकि चार फीसदी हिंदू आबादी बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनवा प्रांत में रहती है।

म्यांमार में लोकतंत्र की आहट

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क्या सचमुच हमारे पड़ोसी देश म्यांमार में लोकतंत्र की स्थापना होने जा रही है। वहां के लोकतंत्र की योद्धा आंग सान सू ची तो घोषणा कर चुकी हैं कि ‘म्यांमार में एक नए युग की शुरुआत हो चुकी है।’ मगर उनकी इस घोषणा को वास्तविक माना जाए या नहीं, इसे लेकर पूरी दुनिया में संशय बना हुआ है।

मालदीव में भारत विरोधी बयार

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मालदीव के इस घटनाक्रम को सही परिप्रेक्ष्या में समझने के लिए पिछले साल दिसम्बर में मौमून अब्दुल गयूम की इस घोषणा को याद करना चाहिए कि ‘मालदीव के लोग किसी और मजहब की इजाजत नहीं दे सकते। मालदीव की जनता को इस्लाम की रक्षा का अधिकार मिलना चाहिए। नाशीद इस्लाम को कमजोर करने की कोशिश बंद करें।’

उपभोक्ता अदालतें और हम

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एक उपभोक्ता के तौर पर यह जरूरी है कि हम अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझें। हमें अपने हितों के प्रति उत्साही और चौकन्ना रहना चाहिए। यदि हम अपने अधिकारों के प्रति जागरूक और उत्साही नहीं हैं तो उपभोक्ता अदालतें हमारी मदद नही करेंगी।

उपभोक्ता संरक्षण कानून के 25 वर्ष

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24 दिसम्बर 1986 को राष्ट्रपति ने उपभोक्ता संरक्षण कानून को अपनी मंजूरी दी थी। इस तरह इस कानून ने अपने अस्तित्व के 25 साल पूरे कर लिए।

उपभोक्ता कानून के तहत न्याय व्यवस्था

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उपभोक्ताओं को शीघ्र और सस्ते में न्याय दिलाने के लिए उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 के तहत तीन स्तर पर न्यायिक मशीनरी यानी उपभोक्ता अदालतें स्थापित की गई हैं।

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