असम में नवचेतना

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असम में भाजपा की सरकार सत्तारूढ़ होने से असम समेत पूरे पूर्वोत्तर में नवचेतना की लहर दौड़ रही है। नई आशा और आकांक्षा का संचार हुआ है। असम की अस्मिता व विकास से जुड़े विभिन्न मसलों पर केंद्र और राज्य सरकार तेजी से और प्रभावी रूप से कार्य कर रही है। घुसपैठ से

जनता हमें फिर से मौका देगी

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रजवाड़ों और महलों का राज्य कहा जाने वाला राजस्थान एक बार फिर लगातार सुर्खियां बटोर रहा है,पर इस बार प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए देश-विदेश में मिल रही सराहनाओं के लिए। हिंदी विवेक के साथ बातचीत के दौरान राज्य की मुख्यमंत्

मोदी सरकार के तीन साल

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नरेन्द्र मोदी ने भारतीय राजनीति को बदलने और महात्मा गांधी के उपरांत पहली बार उसे फिर से सामाजिकता और रचनात्मकता से जोड़ने की पहल की है। आम आदमी की अहमियत फिर से कायम हो रही है। नैराश्य का माहौल खत्म हो चुका है और भविष्य सुनहरा दिखाई दे रहा है। मोदीजी के

प्रधानमंत्री नहीं राष्ट्रसेवक

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बचपन में रेलगाड़ियों में कभी चाय बेचनेवाले नरेन्द्र मोदी आज दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता और गरीबी से प्रधानमंत्री तक की उनकी जिंदगी की कहानी भारत के उदय की गतिशीलता और क्षमता को परिलक्षित करती है। भारत के राजनीतिक क्षितिज पर देदीप्यमान नक्षत्र के

राष्ट्र सुरक्षा से ही राष्ट्र विकास

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राष्ट्रीय एकता व विकास को मारक पाकिस्तान की भारत विरोधी कारगुजारियों, नक्सली कार्रवाइयों, घुसपैठ, जवानों पर होनेवाले हमलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। देश में सभी स्तरों पर शांति आने पर वह जनता के मन तक पहुंचेगी। अन्यथा एक ‘सर्जिकल स्ट्राइक

नवचैतन्य का आगाज

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मोदी सरकार के तीन वर्ष भारत के नवनिर्माण की नींव रखने का आगाज देते हैं और यह कोई छोटा काम नहीं है। नवनिर्माण की राह तभी खुलती है जब जनता में आधी सदी में पनपी निराशा की भावना दूर हो और उनमें नवचैतन्य का संचार हो। मोदी सरकार के कार्यों से यह आशा पल्लवित ह

राष्ट्र और विकास की अवधारणा

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संवेदना हमारे तत्व दर्शन में है और शक्ति समाज के संगठन और जन-जन के सशक्तिकरण में है। उच्च आध्यात्मिक मूल्यों से प्रेरित यही धर्म की अवधारणा है। यह हमारा विकास का सनातन मॉडल है। यह हमारी चिर परिभाषित राष्ट्रीयता है। भारत में राष्ट्र की अवधारणा मूलतः सर्व

एक भारत, श्रेष्ठ भारत, विकसित भारत

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‘राष्ट्र महज जमीन का टुकड़ा या भौगोलिक सीमा का नाम नहीं है, ‘राष्ट्र’ तो एक सशक्त भावना है। इस भावना का ‘राष्ट्र विकास’ से सीधा सम्बंध है। यदि देश में सुशासन होगा तो राष्ट्र भावना प्रबल होगी और इसी राष्ट्रभाव से अपेक्षित विक

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