आतंकवाद की नई चुनौती

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 पाकिस्तान की बागडोर तीन शक्तियों के हाथों में होती है- वहां की सेना, आई.एस.आई. तथा आतंकवादी संगठन। आतंकवादी संगठन तो पाकिस्तानी शासन का ही एक अंग है। अमेरिका और चीन जैसे बड़े राष्ट्र अपने राष्ट्रहितों के कारण पाकिस्तान की नकेल नहीं कसते हैं। भारत को अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी होगी। कोई महाशक्ति या राष्ट्रसंघ आदि काम आएंगे इसकी कल्पना नहीं करनी चाहिए। दोनों मुल्कों में वार्ता तो होती रहनी चाहिए- दिल मिले न मिले, लेकिन हाथ मिलाते रहिए।

हिन्दू धार्मिक संस्थानों की ओर से बोलने का काम हम कर रहे हैं – एस. गुरुमूर्ति

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हिन्दू धार्मिक संस्थान अपने बारे में कुछ बोलते नहीं हैं। इसलिए उनकी ओर से बोलने का काम सेवा मेले ने अपने हाथ में लिया है। यह पूरे देश में होना चाहिए। जयपुर में पिछले वर्ष अक्टूबर में हुआ ‘हिन्दू अध्यात्म एवं सेवा मेला’ पूरे देश में इसके विस्तार की पहल है।

बुद्धत्व व हिंदुत्व- पुनः विश्वगुरु होने का मार्ग

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भारतीय वैदेशिक गलियारों में जो दूसरा सकारात्मक शब्द इन दिनों बहुलता से चल रहा है वह है बौद्ध सर्किट। हिन्दू बौद्ध सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से जुड़े हुए देशों को बौद्ध सर्किट से जोड़ना और नए सांस्कृतिक, शैक्षणिक आयामों पर काम करते हुए एक नए नहीं अपितु प्राचीनतम आयाम के नए स्वरूपों पर काम करना अभूतपूर्व अवसरों को जन्म दे रहा है।

आर्थिक रहस्यकथा

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‘पनामा पेपर्स’ 40 वर्षों की आर्थिक रहस्यकथा बयां करती है और जितनी परतें खोलो उतनी और खुलती जाती हैं। वैश्विक स्तर पर इतना विशाल और ऐतिहासिक भंड़ाफोड़ करने का मीडिया ने साहस तो किया है, लेकिन उसकी फलश्रुति का कोई अंदाजा नहीं है। जांच की जुगाली इतनी लम्बी चलेगी कि लोग भूल ही जाएंगे कि कहीं कुछ हुआ था। बोफोर्स लोग भूल गए कि नहीं?

अमृतकलश छलके अमृतानंदमयी अम्मा

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माता अमृतानंदमयी की विश्व को अनमोल देन है प्रेम और करुणा की वैश्विक भाषा, बिना शब्दों की, मातृत्व से भरपूर आलिंगनों की भाषा। आंखों में छलकती करुणा और आलिंगन की ऊष्मा से प्रवाहित मौन भाषा, निष्कलंक, निश्चल, खुले सहज व सरल प्रेम की।

सेवा में चिरस्थायी कल्याण का भाव आवश्यक

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“हिंदू परंपराओं में सेवा को अत्यंत महत्व प्राप्त है। हमारे चिंतन में सेवा को ईश्वर से साक्षात जुड़ने का माध्यम माना गया है। हमारी आध्यात्मिक-धार्मिक परंपराओं और संत-महंतों की शिक्षा ने हमें इसी चिंतन की सीख दी है। वर्तमान में समाज बदल रहा है और फलस्वरूप समाज एवं व्यक्ति के जीवन से जुड़ी समस्याएं भी बदल रही हैं। उन्हें समझ कर हमें अपने सेवा कार्यों का दायरा बढ़ाना होगा। इसलिए सेवाकार्य को पाप-पुण्य के सीमित दायरे से बाहर निकालना और ‘समर्थ भारत निर्माण’ में उसे परावर्तित करने की सोच विकसित करना आवश्यक है।”

नेचर फॉर एवर सोसायटी-मोहम्मद दिलावर

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नेचर फॉर एवर सोसायटी पर्यावरण के प्रति जनजागरण में लगी है। हम पारिस्थितिकी के सभी घटकों की सुरक्षा चाहते हैं जैसे कि पशु-पक्षी, नदी-वन और अन्य। संस्था ने घरेलू चिड़िया गोरैया को बचाने के लिए व्यापक अभियान चलाया। फलस्वरूप दुनियाभर में ‘गोरैया दिवस’ मनाया जाता है। अब हम दुर्लभ देसी वनस्पतियों के संवर्धन का अभियान भी चलाने वाले हैं। संगठन के संस्थापक मोहम्मद दिलावर को टाइम पत्रिका ने अंतरराष्ट्रीय पर्यावरणविदों की सूची में शामिल किया है।

हिंदू आध्यात्मिक सेवा की सकारात्मकता समाज तक पहुंचे

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आजकल हिंदू अध्यात्म एवं आध्यात्मिक संस्थाओं के संदर्भ में गलत धारणाएं प्रसारित करने की प्रसार माध्यमों में जैसे होड़ लगी है। हिंदू आध्यात्मिक परंपरा के आधार पर परोपकारी संस्थाओं एवं आध्यात्मिक संस्थाओं की ओर से विशाल स्वरूप में समाज को सेवा प्रदान की जाती रही है। पर ‘हिंदू’ धर्म से जुड़ी हर बात का मजाक उड़ाने की मानो प्रसार माध्यमों ने शपथ ले रखी है।

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