जलवायु परिवर्तन का भारतीय फसलों पर असर

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वैज्ञानिकों ने 60 साल से अधिक वक्त के आंकड़ों का उपयोग कर यह पता लगाया है कि दीर्घकाल तक जलवायु परिवर्तन ने कैसे भारत के तीन प्रमुख अनाज – चावल, मक्का और गेहूं की फसलों पर असर डाला है। अमेरिका में इलिनोइस विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने पता लगाया कि किसान…

अब पूरी दुनिया में बजेगा मोटे अनाज का डंका

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एक जनवरी 2023 से अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष आरम्भ हो गया है इसके फलस्वरूप सभी घरों की थालियों से गायब हो चुके मोटे अनाज के दिन फिर से बहुरने वाले हैं। मोटा अनाज और उनकी कृषि को प्रोत्साहन देने के लिए स्वयं प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने…

सुपर फ़ूड मोटे अनाज की प्राकृतिक कृषि

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Indian farmer plowing rice fields with a pair of oxen using traditional plough at sunrise.
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23 दिसंबर: राष्ट्रीय किसान दिवस पर विशेष सुपर कृषक बनने का मार्ग: सुपर फ़ूड मोटे अनाज की प्राकृतिक कृषि देश में मोटे अनाजों की कृषि, उत्पादन व उपभोग को पर केंद्रित इस लेख के पूर्व यह कविता पढ़िए - यह रागी हुई अभागी क्यों? चावल की किस्मत जागी क्यों? जो…

वो अनाज उगाता और सिस्टम उसे सड़ाता..!

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देश में भरपूर अनाज उग रहा है। सुनने में अच्छा लगता है। विडंबना देखिए इसे सुरक्षित रखा जाना क्या कभी किसी की प्राथमिकता में रहा? ऐसा दिखा नहीं! माना कि ये मानसूनी   महीना है लेकिन अप्रेल और मई माह में ही जहाँ-तहाँ खुले आसमान तले रखा लाखों टन गेहूँ बेमौसम…

भारत के अनाज पर दुनिया की निगाहें

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एक समय वह था, जब यूरोप को ‘रोटी की टोकरी‘ की संज्ञा प्राप्त थी। स्वयं भारत ने आजादी के बाद लंबे समय तक आस्ट्रेलिया से गेहूं आयात करते हुए अपनी बड़ी आबादी का पेट भरा है। लेकिन आज भारत गेहूं ही नहीं अनेक आवष्यक खाद्य पदार्थों के उत्पादन में अग्रणी…

क्या भोजन का पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है ?

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पर्यावरण जैविक (जीवित जीवों और सूक्ष्मजीवों) और अजैविक (निर्जीव वस्तुओं) का संश्लेषण है। प्रदूषण को पर्यावरण में हानिकारक पदार्थों की मौजुदगी के रूप में परिभाषित किया गया है जो मनुष्यों और अन्य जीवित जीवों के लिए हानिकारक हैं।  प्रदूषक खतरनाक ठोस, तरल पदार्थ या गैस हैं जो सामान्य से अधिक…

महान कृषि वैज्ञानिक सर गंगाराम

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श्री गंगाराम का जन्म 13 अप्रैल, 1851 को मंगटानवाला (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। वे बचपन से ही होनहार विद्यार्थी थे। अपनी सभी परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर वे पंजाब के सार्वजनिक निर्माण विभाग (पी.डब्ल्यू.डी.) में अभियन्ता के रूप में काम करने लगे।  इस दौरान पूर्ण निष्ठा एवं परिश्रम से काम…

छोटे खेतिहर किसानों से सशक्त होता कृषि क्षेत्र

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भारतीय कृषि हमारी संस्कृति की तरह विविधता से परिपूर्ण है। छोटी खेती और उसकी अंगभूत बहुजातीयता भारतीय आधुनिक खेती के लिए हितकारी है। छोटे स्तर पर मिश्र खेती हमारी शक्ति है। भारत में प्रति वर्ष एकक क्षेत्रफल में कुल कृषि उत्पादन विश्व में सर्वाधिक है। एफएओ के अनुसार विश्व की छोटी खेती मात्र 12% भाग पर होती है लेकिन 35% अन्न उत्पादन करती है।

नद्यः रक्षति रक्षितः

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दुनिया में एक नहीं अनेक सभ्यताओं का निर्माण, विकास और संरक्षण नदियों के कारण हुआ है। मानव सभ्मता के विकास में नदियों का ऐतिहासिक महत्व रहा है। यह महज संयोग नहीं है कि भारत के अधिकांश बड़े नगर नदियों के तट पर बसे और विकसित हुए हैं। इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण ह््ैं।

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