‘हिंदुत्व’ राजनीति नहीं बल्कि जीने का विषय है…

Continue Reading‘हिंदुत्व’ राजनीति नहीं बल्कि जीने का विषय है…

हिंदुत्व कालविसंगत होने वाला तत्वज्ञान नहीं है, और न ही केवल चिंतन, विचार एवं जीवनशैली है. हिंदुत्व राजनीति या सामाजिकता का विषय नहीं है बल्कि हिंदुत्व जीने का विषय है. सा. विवेक द्वारा प्रकाशित हिंदुत्व ग्रन्थ हिन्दू विरोधियों के लिए नहीं अपितु स्वयं को हिन्दू बोलने वालों के लिए है.…

आरएसएस हिंदुत्व का विराट दर्शन

Continue Readingआरएसएस हिंदुत्व का विराट दर्शन

हमलोगों को "हिंदू" कब से कहा जाया जाने लगा ये तो ठीक-ठीक नहीं पता पर मेरे ख्याल से ये नाम हमारे लिए सबसे उपयुक्त नाम है क्योंकि ये सर्वसमावेशी नाम है जो हमारी सामूहिक प्रकृति को सबसे ठीक से परिभाषित करती है। महाभारत के बाद से भारत कई अवैदिक मतों…

संघ हिंदुत्व के लिए प्रतिबद्ध – डॉ. मोहन भागवत

Continue Readingसंघ हिंदुत्व के लिए प्रतिबद्ध – डॉ. मोहन भागवत

‘‘भारत एक चिरंजीवी राष्ट्र है। हिंदुत्व हमारी संस्कृति है। यह सर्व पुरातन संस्कृति हजारों साल से भारत वर्ष को एक सूत्र में पिरोये हुए है और मजबूती प्रदान कर रही है। सभी मत-पंथ, वर्ण, जाति व विचार को सम्मान देना तथा एकता के सूत्र में बांधे रखना ही हिंदुत्व है।’’…

अतिवादी हिंदुत्ववादियों और विरोधियों दोनों को उत्तर

Continue Readingअतिवादी हिंदुत्ववादियों और विरोधियों दोनों को उत्तर

डॉ मोहन भागवत द्वारा हाल में हिंदुत्व को लेकर अतिवादी आक्रामक बयानों की आलोचना बिल्कुल स्वाभाविक है। हालांकि इससे उस पूरे समूह में नाराजगी है, जो हिंदुत्व के नाम पर अतिवादी विचारों व व्यवहारों के समर्थक हैं। डॉ भागवत का यह कहना उन सबको नागवार गुजर रहा है कि धर्म…

हिंदु और हिंदुत्व की शौर्यगाथा

Continue Readingहिंदु और हिंदुत्व की शौर्यगाथा

हाल ही में एक राजनीतिक नेता ने हिंदुत्व को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की है।  जाति व्यवस्था में जहर घोलने में नाकाम रहने के कारण हिंदुओं को अपने धर्म और संस्कृति पर शर्मिंदगी महसूस कराने के लिए नए हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। आइए पहले हिंदू धर्म को परिभाषित करें। सनातन…

हिन्दू और हिंदुत्व में बस इतना सा अंतर है

Continue Readingहिन्दू और हिंदुत्व में बस इतना सा अंतर है

हिंदू धर्म व हिंदुत्व में अंतर है, यह बहस चल रही है। हिंदू धर्म व हिंदुत्व में अंतर नहीं है। हिंदुत्व हिंदू धर्म का प्रयोग है। हिंदू धर्म यदि सिद्धांत हैं तो हिंदुत्व उसका प्रयोग है। उदाहरण देखें.... अहिल्या का उद्धार करना हिंदू धर्म है और बाली का संहार करना…

सावरकर और गांधी के संबंधों पर प्रश्न उठाने वाले सच्चाई देखें

Continue Readingसावरकर और गांधी के संबंधों पर प्रश्न उठाने वाले सच्चाई देखें

वीर सावरकर या उनके जैसे दूसरे स्वतंत्रता सेनानियों ने कल्पना भी नहीं की होगी कि उनके देश के लोग ही कभी उनके शौर्य, वीरता और इरादे पर प्रश्न उठाएंगे। वीर सावरकर के साथ त्रासदी यही है कि वैचारिक मतभेदों के कारण एक महान स्वतंत्रता सेनानी, योद्धा, समाज सुधारक, लेखक ,कवि…

हरियाणा के सरकारी कर्मचारी क्यों नहीं ले सकते थे संघ में हिस्सा, खट्टर सरकार ने बदला नियम?

Continue Readingहरियाणा के सरकारी कर्मचारी क्यों नहीं ले सकते थे संघ में हिस्सा, खट्टर सरकार ने बदला नियम?

  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अपनी स्थापना के बाद से सिर्फ राष्ट्र प्रेम किया और लोगों की सेवा की, यह बात भी किसी से छिपी नहीं है लेकिन इन सब के बाद भी कुछ राजनीतिक पार्टियों के निशाने पर संघ हमेशा रहा है। हरियाणा सरकार की तरफ से वर्ष…

हिंदुत्व : धर्म की अवधारणा, सत्य एवं भ्रांति

Continue Readingहिंदुत्व : धर्म की अवधारणा, सत्य एवं भ्रांति

हिंदुत्व का दूसरा नाम सनातन संस्कृति या सनातन धर्म है। सनातन का अभिप्राय ही यह है कि जो काल की कसौटी पर सदैव खरा उतरे, जो कभी पुराना न पड़े, जिसमें काल-प्रवाह में आया असत्य प्रक्षालित होकर तलछट में पहुँचता जाय और सत्य सतत प्रवहमान रहे। फिर यह भ्रांति कब,…

विश्व-बंधुत्व की भावना को साकार करता एकात्म मानवदर्शन और पंडित दीनदयाल उपाध्याय

Continue Readingविश्व-बंधुत्व की भावना को साकार करता एकात्म मानवदर्शन और पंडित दीनदयाल उपाध्याय

सरलता और सादगी की प्रतिमूर्त्ति पंडित दीनदयाल उपाध्याय बहुमुखी एवं विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। उनका जीवन परिश्रम और पुरुषार्थ का पर्याय था। वे कुशल संगठक एवं मौलिक चिंतक थे। सामाजिक सरोकार एवं संवेदना उनके संस्कारों में रची-बसी थी। उनकी वृत्ति एवं प्रेरणा सत्ताभिमुखी नहीं, समाजोन्मुखी थी। एक राजनेता होते…

भारतबोध के साथ वैश्विक कल्याण का पथ ‘एकात्म दर्शन’

Continue Readingभारतबोध के साथ वैश्विक कल्याण का पथ ‘एकात्म दर्शन’

धरती के हर  मनुष्य के साथ  ठीक वैसा व्यवहार हो, जैसा हम दूसरों से अपने लिए चाहते हैं। परिवार, समाज,देश और यहां तक कि विश्व के सभी शासक अपने पर निर्भर लोगों के साथ उनके हित को ध्यान में रखते हुए एक जैसा व्यवहार करें को एकात्म मानव दर्शन का…

स्वयं प्रकाशित तेजपुंज

Continue Readingस्वयं प्रकाशित तेजपुंज

शिवाजी पार्क के मैदान पर सुनाई देनेवाले ओजपूर्ण आह्वान ‘शिवतीर्थ पर एकत्रित हुए मेरे हिंदु भाइयों, बहनों और माताओं’ अब सुनाई नहीं देगा। शिवाजी पार्क की मिट्टी को भीड़ का गणित सिखाने वाला एक औलिया नेता अब हमारे बीच नहीं रहा।

End of content

No more pages to load