संविधान, लोकतंत्र और अमृत महोत्सव

Continue Readingसंविधान, लोकतंत्र और अमृत महोत्सव

निश्चित रूप से दुनिया में हमारी साख के पीछे हमारा मजबूत संविधान और विश्व का सबसे बड़ा एवं सशक्त लोकतंत्र ही हैं, जो दुनिया के लिए आश्चर्य, विश्वास के साथ स्वीकार्यता की कसौटी पर खरा उतर कर भारत को विश्व गुरू की ओर अग्रसर कर रहा है।

वास्तविक लोकतंत्र के लिए वैकल्पिक पत्रकारिता

Continue Readingवास्तविक लोकतंत्र के लिए वैकल्पिक पत्रकारिता

राजतंत्र में भी लोकतंत्र की यह व्यवस्था हज़ारों वर्षों के प्रयोग व विमर्श का परिणाम थी। पश्चिम के प्रभाव में हमने स्वतंत्र होने पर डेमोक्रेसी को अपनाया और लोकतंत्र या प्रजातंत्र को भुला दिया। लोक का मन जानने के लिए पत्रकारिता एक सशक्त माध्यम हो सकता है। पत्रकारिता समाज की ऐसी रचना है जिसमें कुछ इस कार्य में दक्ष नागरिकों को दायित्व दिया जाता है कि वे लोक व प्रशासन में सेतु का कार्य करें। 

आजादी का 75वां वर्ष न्याय-व्यवस्था की दिशा व दशा

Continue Readingआजादी का 75वां वर्ष न्याय-व्यवस्था की दिशा व दशा

भारत की न्यायपालिका की संवेदना भारत के जनमानस के साथ जुड़ी दिखाई नहीं देती। उसका अपना एक सामंती चरित्र है, जो हर प्रकार से शक्तियों से परिपूर्ण किन्तु किसी के प्रति जवाबदेह नहीं है और बड़ी आत्ममुग्ध और स्व-संचालित है। वह अपने बारें में किसी समीक्षा को पसंद नहीं करता। 

आरोप – प्रत्यारोप की राजनीति

Continue Readingआरोप – प्रत्यारोप की राजनीति

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दिल्ली दंगों को लेकर गृह मंत्री अमित शाह के काम-काज पर सवाल उठाया और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर उनका इस्तीफा मांगा था।

जनतंत्र के पहरेदार

Continue Readingजनतंत्र के पहरेदार

देश के उज्ज्वल चरित्र पर गर्व करते हुए मैं बाहर आ गया और देश के विकास के प्रति आश्वस्त हो गया। इन वेद-शास्त्रों से भी जो आश्वस्त न हो, उसे क्या आप भारतीय कहेंगे?

स्वतंत्रता के साढ़े छह दशक कहां से कहां तक पहुँचे हम

Continue Readingस्वतंत्रता के साढ़े छह दशक कहां से कहां तक पहुँचे हम

स्वतंत्रता शब्द सुनते ही एक अलग प्रकार का आनंद होता है, इस आनंद को अभिव्यक्त करने का सभी का अलग-अलग अंदाज हो सकता है।

End of content

No more pages to load