दुर्लभ कोहनूर हीरे की वापसी

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कोहनूर हीरे का इतिहास बहुत पुराना है। कुछ इसे महाभारत काल की प्रसिद्ध स्यमंतक मणि बताते हैं। गोलकुंडा की खान से निकले इस हीरे को अत्यधिक आभा के कारण प्रकाश का पर्वत (कोह-ए-नूर) कहा गया। इसे पाने की अभिलाषा हर राजा की रही। एक समय यह भारत के मुगल शासकों…

भारत से चुराए धरोहर को कब लौटाएंगे ये विदेशी?

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भारत से बाहर जा चुकी धरोहर या कलाकृतियां धीरे धीरे ही सही, अब वापस आ रही हैं। इसी कड़ी में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को ऐसे पुरावशेष लौटाएं हैं जो अलग-अलग समय अवधि के हैं, और ये सदियों पुराने हैं। इन पुरावशेषों में भगवान शिव, भगवान विष्णु और जैन परंपरा आदि से जुड़े 29 तस्वीरें एवं साज-सजा की वस्तुएं हैं। इन पुरावशेषों में से…

तंत्र में गण की संपूर्ण प्रतिष्ठापना का लक्ष्य बाकी है

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भारत इस मायने में अनूठा है जहां स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस अलग-अलग मनाए जाते हैं। 15 अगस्त, 1947 को हम अंग्रेजों की दासता से स्वतंत्र अवश्य हुए पर  26 जनवरी ,1950 को गणतंत्र यानी अपना तंत्र अपनाया। सामान्य शब्दों में गण का अर्थ आमजन तथा तंत्र का व्यवस्था है।…

वनस्पति विज्ञान में ‘फादर ऑफ़ बॉटनी’ भारत के ऋषि पराशर

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विश्व भर में वनस्पति विज्ञान के जनक के रूप में जिनका सम्मान के साथ नाम लिया जाता है वह ग्रीस के प्रसिद्ध दार्शनिक एवं प्रकृतिवादी ''थिओफ्रैस्टस'' हैं। जबकि अब इस संबंध में आया शोध बता रहा है कि विश्व में यदि सबसे पहले पादपों की पहचान कहीं हुई तो वह…

पर्व त्यौहारों की विविधता है भारत की पहचान

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पोंगल,जल्लीकट्टू,कम्बाला,पोळा,सोहराय,सोनहाना आदि आदि परब त्योहार पशुधन को समर्पित परब है जो कृषि प्रधान भारत वर्ष को विविधता के साथ संस्कृति के एक सूत्र में बाँधने का काम करता है।.. कोई एक साथ ही दीपावली मना रहा तो कोई सोहराय तो कोई काली पूजा, तो कोई कुछ और, कहीं कोई समस्या…

पौराणिक इतिहास

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तिब्बत में बने प्रसिद्ध थोलिंग मठ जाने का रास्ता (पैदल) माणा होते हुए सरस्वती नदी के किनारे खड़ी चढ़ाई से होकर जाने वाला एक अत्यंत दुर्गम कठिन पथ है। प्राचीन काल में साधु संत इसी मार्ग से पवित्र मानसरोवर व कैलास यात्रा पर चले जाते थे।

मेरी दीपावली देशी दीपावली

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नरेंद्र मोदी प्रथम राष्ट्राध्यक्ष होंगे जिनके भाषणों में बहुत छोटे छोटे से विषय स्थान पाते हैं. भारतीय परम्पराओं और शास्त्रों में केवल लाभ अर्जन करनें को ही लक्ष्य नहीं माना गया बल्कि वह लाभ शुभता के मार्ग से चल कर आया हो तो ही स्वीकार्य माना गया है. “शुभ-लाभ” से…

स्वतंत्रता आंदोलन, भारत के ‘स्व’ को जागृत करने का आंदोलन था – दत्तात्रेय होसबाले (सरकार्यवाह)

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि देश स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहा है. इस निमित्त संघ के स्वयंसेवक समाज व विभिन्न संस्थाओं के साथ मिलकर काम करेंगे, स्वतंत्र रूप से भी आयोजन होंगे. स्वतंत्रता आंदोलन के अज्ञात सेनानियों का जीवन समाज के सामने लाया…

बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमले हिन्दू समाज के निर्मूलन का योजनाबद्ध प्रयास – अरुण कुमार (सह सरकार्यवाह)

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार जी ने बताया कि कार्यकारी मंडल की बैठक में बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमलों को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया है. बांग्लादेश में हिन्दू समाज पर आक्रमण अचानक घटित घटना नहीं है. फेक न्यूज के आधार पर साम्प्रदायिक उन्माद पैदा करने की…

भारत और धर्मनिरपेक्षता

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राजनैतिक क्षेत्र में जिधर देखो उधर धर्मनिरपेक्षता शब्द चर्चा में है। हर बड़ा नेता अपने को दूसरे से बड़ा धर्मनिरपेक्ष सिद्ध करने में लगा है। संसद में अनेक तरह के कानून बनते हैं, अनेक विषयों पर चर्चाएं हुई हैं,

भाषा की होली

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होली की भाषा और भाषा की होली दोनों में हम माहिर हैं। होली की भाषा की खासियत यह है कि वह बिना किसी के सिखाए आ जाती है और भाषा की होली खेलना इस बहुभाषी देश की फितरत बन गई है। आइये तीन किस्से सुनाए देते हैं-

भारतीय स्थापत्य कला का सुन्दर वर्णन करती पुस्तक

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सामान्यत : पहाड़ों में स्थित कन्दराओं को गुफा कहा जाता है। बहुधा इन गुफाओं का निर्माण प्राकृतिक रूप से होता है। प्रागैतिहासिक काल में वर्षा, ताप व शीत से बचाव के लिए मनुष्य व अन्य जीव-जन्तु इन गुफाओं में शरण लेते थे।

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