मकर संक्रान्ति के स्नान व दान का महत्व

भगवान सूर्य जब शनि के साथ मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दिन मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन से ही सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की तरफ चलना शुरु करता है। हिन्दू धर्म में इसी दिन से मलमास की समाप्ति होती है और शुभ दिनों की शुरुआत होती है। मकर संक्रांति के दिन पूरे देश में अलग अलग स्थानों पर नहान (स्नान) किया जाता है जिसमें हरिद्वार, प्रयागराज और वाराणसी के स्नान प्रमुख माने जाते हैं। इस विशेष दिन को ठंड के खत्म होने के लिए भी जाना जाता है यानी कि इस दिन से ही शीत ऋतु की विदाई हो जाती है और धीरे धीरे दिन गर्म होना शुरु हो जाता है। मकर संक्रांति के दिन दान करना भी काफी लाभदायक माना जाता है ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन दिया गया दान बहुत पुण्य का काम करता है। मकर संक्रांति के दिन लोग गरीबों को दान करते हैं उन्हें अनाज, पैसा और कपड़ा देते हैं इससे इस त्यौहार की मान्यता और बढ़ जाती है।

खिचड़ी का महत्व 

मकर संक्रांति को कई राज्यों में खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है इस दिन दान के साथ साथ खिचड़ी खाने का महत्व भी है और खिचड़ी खाने से ग्रहों पर विशेष प्रभाव पड़ता है। हिन्दू धर्म के अनुसार खिचड़ी में चावल, उड़द, हल्दी और सब्जियों का मिश्रण होता है। चंद्रमा व शुक्र ग्रह की शांति के लिए चावल, शनि, राहु और केतु के लिए उड़द की दाल, बृहस्पति के लिए हल्दी और बुध ग्रह की शांति के लिए सब्जी का इस्तेमाल किया जाता है जबकि खिचड़ी को पकाते समय जो गर्माहट निकलती है उससे सूर्य व मंगल ग्रह को शांति मिलती है। यह सभी अनाज अलग अलग ग्रहों पर इसका प्रभाव छोड़ते हैं जो हमारे जीवन के लिए लाभदायक होता है। 

मकर संक्रांति हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान और दान किया जाता है। इस त्यौहार का नाम मकर संक्रांति कैसे पड़ा है? दरअसल सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है और जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो उसे मकर संक्रांति कहा जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह मकर संक्रांति का त्यौहार ज्यादातर 14 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देवता धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करते है। हालांकि कभी कभी यह त्यौहार दो दिनों में भी विभाजित हो जाता है और इसे 14 और 15 जनवरी दोनों दिन मनाया जाता है। 

हिंदू धर्म में जितने भी त्योहार मनाए जाते है उनका एक शुभ मुहूर्त होता है। धर्म ज्ञानी पंडितों के बताए अनुसार समय पर ही पूजा पाठ और दान किया जाता है। इस प्रकार से ही मकर संक्रांति का भी हर साल एक शुभ मुहूर्त होता है और उसी समय पर पूजा पाठ होता है। साल 2022 में मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त 14 और 15 जनवरी दोनों दिन पड़ रहा है 14 जनवरी को दोपहर 2.43 बजे से लेकर शाम 5.45 बजे तक का मुहूर्त है इस समय में ही आप को स्नान, दान और पूजा पाठ करना चाहिए इससे यह ज्यादा फलदायी होता है। मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।  

पंचांग के अनुसार दिये गये समय पर किसी पवित्र नदी या संगम पर स्नान करना बहुत ही लाभदायक होता है लेकिन अगर आप नदी में स्नान नहीं कर पाते है तो घर पर ही स्नान वाले जल में गंगा जल का मिश्रण जरूर कर लें। गंगा जल से स्नान करना इस दिन फलदायी माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन स्नान के बाद सबसे पहले चावल और उड़द को हाथ लगाया जाता है और फिर सूर्य सहित सभी 9 ग्रहों की पूजा की जाती है। इसके बाद गरीब और ब्राह्मण को दान दिया जाता है। इस दिन खिचड़ी का भी सेवन करना जरूरी होता है इसलिए इसे खिचड़ी का भी त्यौहार कहा जाता है। 

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