मुख्यधारा से क्यों पृथक है मुस्लिम बस्तियां

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मुसलमानों को हमेशा देश की मुख्य धारा से कांग्रेस ने पृथक करके रखा। यह मुसलमान की बस्ती। यह हिन्दू की बस्ती। मरहूम शायर राहत इंदौरी ने लिखा — ''किसी के बाप का हिन्दुस्तान थोड़े है।'' फिर हिन्दू बस्ती और मुसलमान बस्ती की रट पूरा सेकुलर इको सिस्टम क्यों लगा रहा…

वैचारिक पुनर्जागरण

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वामपंथी साहित्यिक पत्रिका हंस के सालाना आयोजन में आमंत्रण पत्र पर विचारक गोविन्दाचार्य, नक्सल समर्थक नेता वरवरा राव और अरूंधती राय का नाम छप चुका था। बावजूद इसके गोविन्दाचार्य के साथ वरवरा राव और अरूंधती राय ने मंच साझा करने से इंकार कर दिया। जबकि राय को हुर्रियत के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के साथ मंच साझा करने में कोई आपत्ति नहीं थी।

पर्दे में रहने दो पर्दा ना हटाओ

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आज हम समझ पा रहे हैं कि सती प्रथा की सोच कितनी अमानवीय थी। पर्दे के नाम पर तमाम बहसों के बीच हम एक अमानवीय प्रथा को स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। हम सब जानते हैं कि मुस्लिम परिवारों मेंं लड़कियों की कितनी सुनी जाती है? यूं तो भारतीय समाज में ही स्त्रियों की स्थिति चिन्ताजनक है लेकिन मुस्लिम समाज स्त्रियों के लिए स्थिति भयावह हैं।

फंडिंग एजेन्सी के हाथों में आंदोलन

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इस तरह एनजीओ में धीरे-धीरे फंडिंग एजेन्सी का दबाव अधिक बढ़ने लगा और आंदोलन समाज के हाथ से निकल गया। वर्ना देश में कोई भी आंदोलन समाज से कट कर कैसे चल सकता है? जैसे दिल्ली में हाल में ही सीएए और एनआरसी के खिलाफ आंदोलन चला। जिसकी वजह से लाखों लोगों की जिन्दगी प्रभावित हुई। स्कूल बस, एम्बुलेन्स तक को शाहीन बाग आंदोलन में बाधित किया गया। क्या महीनों ऐसे रास्ता बंद करके बैठे लोगों के समूह को आंदोलन कह सकते हैं, जिस आंदोलन में कोई मानवीय पक्ष दिखाई ना देता हो। 

इंटरनेट : एक अंधेरी सुरंग

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वहां फर्जी दस्तावेज बनवाने के लिए लोग जाते हैं और नया पहचान पत्र मिल जाता है। अफगानिस्तान के लोगों को कई मुल्कों में प्रवेश नहीं है। उनका पासपोर्ट भारत में बनाकर उन्हें विदेश भेजने वाला गिरोह दिल्ली के जंगपुरा-भोगल इलाके में सक्रिय रहा है। बताया जाता है कि नए पहचान पत्र से लेकर पासपोर्ट बनाने तक की उनकी यात्रा में डार्क नेट का बहुत बड़ा योगदान है।

अपने बिछाए जाल में फंस गया ट्विटर

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मकड़ी की तरह ट्विटर भारत में भी जाल बुनने में व्यस्त था। ऐसे ही जाल में उसने पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को उलझा कर पटख़नी दी थी। जिससे उसका हौसला बुलंद हुआ। लेकिन, ट्विटर को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि 20 करोड़ की आबादी वाले देश नाइजीरिया ने अपने राष्ट्रपति मोहम्मद बुहारी के एक ट्वीट को हटाने के लिए, उसे अनिश्चित काल के लिए अपने देश में प्रतिबंधित कर दिया। अब वहां भारतीय कू एप्प को शुरू करने की अनुमति मिल गई है।

क्या बाबा साहब ने चाहा था कभी, ऐसा आम्बेडकरवाद

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आज खुद को आम्बेडकरवादी कहने वाले हिंसा, दंगे और फसाद में शामिल होकर बाबा साहब के विचार को लांछित कर रहे हैं। आर्मी बनाने वाले अथवा जाति के नाम पर देश में नफरत की खेती करने वाले बाबा साहब की परंपरा के उत्तराधिकारी नहीं हो सकते। जिसके जीवन में ‘बुद्ध’ हो और चिन्तन में भारत, सच्चे अर्थो में बाबा साहब के विचारों का उत्तराधिकारी वही होगा।

दोबारा कभी नहीं, इजराइल की जीवनशैली बन गई

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 फिलीस्तीन की ओर से रॉकेट हमले में भारत के इडुकी (केरल) की रहने वाली सौम्या की भी जान चली गई। संतोष के अनुसार इजराइल पर फिलिस्तीन ने रॉकेट से हमला किया, उस हमले की शिकार संतोष हुई। हमले के समय सौम्या उसके साथ वीडियो कॉल पर बात कर रही थी। वह केरल वापस आने की बात कर रही थी। संतोष कहते हैं—  ''हमें नहीं पता था कि यह उसकी आखिरी कॉल होगी।

कांग्रेस की वामपंथी कलाबाजी

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कांग्रेस वामपंथियों की कलाबाजियों का ऐसा चित्र प्रस्तुत करती है, जो अव्यक्त चित्र याने माडर्न आर्ट की तरह होता है। तीस्ता सीतलवाड़ की गुजरात में साम्प्रदायिक शक्तियों के खिलाफ तथाकथित यात्रा और कांग्रेस पदाधिकारी शबनम आजमी का निष्पक्ष समाजसेवी बनकर घूमना इसके नमूने हैं। उनका मूल मकसद भाजपा के खिलाफ जनमत बनाना ही होता है।

समय रहते चेत गया हमारा देश

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माइक्रो ब्लॉगिंग सोशल मीडिया साइट्स ने संवाद के स्थान पर अफवाह के तंत्र को मजबूत करने का काम किया है। देश को आर्थिक और सामाजिक तौर पर कमजोर बनाने वाले षड्यंत्रों का हिस्सा बनने का काम किया है। यह अच्छा हुआ कि हमारा देश समय रहते चेत गया है।

मीडिया चौपाल में विकास और सरोकारों पर मंथन

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        विज्ञान-विकास और मीडिया पर हरिद्वार के निष्काम सेवा ट्रस्ट     में दो दिवसीय ‘मीडिया चौपाल’ सम्पन्न हुआ। विज्ञान, विकास और सामाजिक सरोकार के विषयों को केन्द्र में रख कर ‘मीडिया चौपाल&

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