संघ के कर्मयोगी प्रचारक हस्तीमल जी का देवलोकगमन

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‘तेरा वैभव अमर रहे मां, हम दिन चार रहें न रहें’ का ध्येय व्रत लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी के निमंत्रित सदस्य, वरिष्ठ प्रचारक कर्मयोगी हस्तीमल जी का ७७ वर्ष की आयु में राजस्थान के उदयपुर संघ मुख्यालय में आज दिनांक १४ जनवरी २०२३ को मकर संक्रांति की प्रातः…

लैंड जिहाद : इस्लामीकरण की दस्तक

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देश के हर कोने में मुस्लिमों की बढ़ती जनसंख्या, बदलते डेमोग्राफिक आंकड़े के साथ ही ‘लैंड जिहाद’ भी एक बड़ी और गम्भीर समस्या बन कर उभरी है। सामान्य स्थानों के अलावा हिंदुओं के धार्मिक स्थानों पर भी इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। यदि इस पर समय रहते लगाम नहीं लगाया गया तो वह दिन दूर नहीं जब एक अलग इस्लामिक देश की मांग फिर से उठने लगेगी।

उत्तराखंड भारत की सांस्कृतिक धरोहर – स्वामी विश्वेश्वरानंद महाराज

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सनातन धर्म की पुनर्स्थापना आद्य शंकराचार्य ने की। उन्होंने शस्त्र नहीं चलाया, केवल शास्त्र के माध्यम से ही समाज में सनातन धर्म की पुनर्स्थापना की। इसलिए शास्त्र परम्परा का संरक्षण व संवर्धन होना चाहिए। यह उद्गार व्यक्त करते हुए अपने साक्षात्कार में संन्यास आश्रम के महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज ने उत्तराखंड के आध्यात्मिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश –

टायगर ग्रुप गैंग नहीं, सामाजिक संगठन

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किसी संगठन का युवाओं में ‘क्रेज’ होना आम बात नहीं है। आज का युवा बहुत देख-परखकर किसी संगठन से जुड़ता है और तब तक जुड़ा रहता है जब तक उसके विचारों से सहमति रखता हो। टाइगर ग्रुप का युवाओं में ‘क्रेज’ क्यों बढ़ रहा है, इसका उत्तर है उस ग्रुप के सदस्यों का बिंदास व्यवहार, सामाजिक कार्य और आवश्यकता पर उलब्धता। आशा यही है कि यह संगठन अपनी वैचारिक दिशा से भटके नहीं।

कुछ मीठा हो जाए के नाम पर केवल चॉकलेट क्यों?

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त्यौहारों का देश कहे जाने वाले भारतवर्ष में शायद ही कोई हिस्सा हो, जहां कोई विशेष मिठाई न बनती हो लेकिन पिछले कुछ वर्षों से हिंदुओं के त्यौहारों के अवसर पर मीठे के नाम पर चॉकलेट के विज्ञापन आते हैं। बॉयकाट बालीवुड की तर्ज पर इनके विरुद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए। सरकार को भी इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए।

खेल और व्यक्तित्व विकास

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वर्तमान पीढ़ी पूरी तरह घरघुस्सू हो चुकी है। उनका जीवन मोबाइल के छोटे से डिब्बे में सिमटकर रह गया है। तीन पत्ती, पोकर, पेड लूडो जैसी जगहों पर खेल के नाम पर समय बिताते हैं। प्रत्येक परिवार के बड़ों को मैदानी खेलों और मैदानों से दूर भागते बच्चों और युवाओं…

मर्द का दर्द

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महिलाएं लम्बे समय तक हाशिए पर रही थीं इसलिए उनके विकास के लिए तमाम कानून और आयोग बनाए गए लेकिन अब बहुत सारी महिलाएं उनका दुरुपयोग कर पुरुषों को प्रताड़ित कर रही हैं। आवश्यकता है कि एक बार फिर उन नियमों की समीक्षा की जाए तथा कुछ ऐसे भी नए कानून बनें कि पुरुषों के साथ न्याय हो सके।

बांग्लादेश बनता बंगाल

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बंगाल में बढ़ती हिंसा इस बात की द्योतक है कि देश का यह राज्य बहुत तेजी से बांग्लादेश बनने की दिशा में बढ़ रहा है। केंद्र सरकार को ममता बनर्जी सरकार के इस ‘खेला’ के प्रति सावधान होने तथा तत्काल बल प्रयोग करने की आवश्यकता है। यदि अभी नहीं चेता गया तो बंगाल की आग अन्य राज्यों को भी अपनी चपेट में ले सकती है।

सैनिक निर्माण करनेवाली संस्था-डॉ. दिलीप बेलगावकर

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स्वतंत्रता के 10 वर्ष पूर्व से ही एक संस्था भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिये, एक सशक्त सेना के निर्माण के लिए सैनिक तैयार कर रही है, उस संस्था का नाम है, भोंसला मिलिट्री स्कूल। प्रस्तुत है देश की सुरक्षा व्यवस्था तथा भोंसला मिलिट्री स्कूल की भविष्यकालीन योजनाओं के संदर्भ…

उत्तराखंड भारत की सांस्कृतिक धरोहर – स्वामी विश्वेश्वरानंद महाराज

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सनातन धर्म की पुनर्स्थापना आद्य शंकराचार्य ने की। उन्होंने शस्त्र नहीं चलाया, केवल शास्त्र के माध्यम से ही समाज में सनातन धर्म की पुनर्स्थापना की। इसलिए शास्त्र परम्परा का संरक्षण व संवर्धन होना चाहिए। यह उद्गार व्यक्त करते हुए अपने साक्षात्कार में संन्यास आश्रम के महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज ने उत्तराखंड के आध्यात्मिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश –

शरणार्थी संकट या षड्यंत्र?

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दुनिया सकते में है कि इस संकट का मुकाबला कैसे करें? लेकिन क्या सच में यह शरणार्थी संकट है या फिर एक गहरा षड्यंत्र? कुछ वर्षो बाद फिर किसी अन्य इस्लामिक देश में ऐसा ही कुछ घटनाक्रम हो, तो आश्चर्य मत कीजिएगा क्योंकि ऐसा ही होगा।

केवल राजभाषा नहीं काजभाषा बने

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देश की स्वतंत्रता के बाद हिंदी को राजभाषा का तो दर्जा दे दिया गया परन्तु राजभाषा के नाते उसे जो गौरव सम्मान मिलना चाहिए था, वह नहीं दिया गया। भाषा राष्ट्र की पहचान और सम्मान होती है। यदि उसे हमारे ही देशवासी उचित सम्मान नहीं देंगे तो भला दुनिया में कौन देगा? बावजूद इसके आज दुनियाभर में हिंदी का डंका बज रहा है और वह दुनिया में अंग्रेजी को पछाड़कर सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा बन गई है।

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