ग्रामीण भारत को सशक्त बनाएगी बीमा मंडी योजना

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कारोलकर उद्योग समूह बीमा मंडी व बीमा पाठशाला की अनोखी योजनाओं के साथ बीमा क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है। ऐसी योजनाओं से ग्रामीण भारत में आने वाली क्रांति, छोटे-छोटे तबकों को बीमा कवच उपलब्ध कराने तथा ग्रामीण भारत को प्रशिक्षित करने की योजना पर कारुलकर प्रतिष्ठान के अध्यक्ष श्री प्रशांत कारुलकर से हुई अंतरंग बातचीत के कुछ खास अंश प्रस्तुत हैं।

हेमलकसा करुणा व निष्काम कर्म का प्रतीक

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वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता बाबा आमटे के सुपुत्र तथा हेमलकसा आदिवासी प्रकल्प के प्रणेता डॉ.प्रकाश आमटे से जीवन, पर्यावरण व समासेवा के बारे में उनके अनुभव सुनना अपने आप में एक अलौकिक आनंद देता है। ‘हिंदी विवेक’ ने इसके अलावा उनसे कोराना, इससे उत्पन्न स्थिति और नई जीवन प्रणाली पर भी बातचीत की। उनका सार-संक्षेप यही था कि उन्होंने गीता नहीं पढ़ी, परंतु गीता को जीया है।

संघ बगीचे का एक विकसित पौधा

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ऐसी हजारों लाखों रेखाएँ विकसित करनी पड़ती हैं। ऐसे देशव्यापी विकसित संघ बगीचे का रेखा एक पौधा है। उसे पाला-पोसा, संवर्धित किया यमगरवाडी ने। उसकी उन्नति देखकर हम सभी कृतार्थ भावना से आनंदित हो जाते हैं।

पूंजी औऱ सियासी खेल को समझने की दरकार

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बाबा रामदेव की कोरोनिल दवा के विवाद को लेकर दो आयाम समझने की जरूरत है। एक- बाबा ने अतिशय उत्साह दिखाया, जिससे यह दुनिया के बहुराष्ट्रीय दवा कारोबार के लिए एक जलजला है। दूसरा- वे तथाकथित लिबरल वामपंथी गिरोह हैं, जो वेद, योग व आयुर्वेद के सहसम्बंध को स्वीकार नहीं करने की सियासत करते रहे हैं।

राजनीतिक परिपक्वता समय की जरूरत

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कोरोना महामारी जैसे संकट से जब सारा देश सफलता पूर्वक लड़ रहा है उस समय विस्तारवादी और अधिनायकवादी चीन द्वारा खड़ी की हुई इस चुनौती की घड़ी में सम्पूर्ण भारतीय समाज को एकता का परिचय देना चाहिए, और दे भी रहा है। सभी दलों को भी राजनैतिक परिपक्वता दिखानी चाहिए। यह राजनैतिक हानि-लाभ या एक दूसरे की हार-जीत तय करने का समय नहीं है।

नए उत्साह से आगे बढ़ने का समय

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सकारात्मक घटनाओं पर चिंतन करना आवश्यक है। साथ ही स्वयं से भी यह प्रश्न पूछना आवश्यक है कि हमें विगत तीन महीनों में जो नहीं हुआ उसे ही लिए बैठे रहना है या आने वाले समय में जो आशा की किरण दिखाई दे रही है, जो अवसर दिखाई दे रहे हैं, उनकी ओर नए उत्साह से मार्गक्रमण करना है।

बंदउ गुरु पद कंज

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गुरु वह प्रज्ञावान, ज्ञानवान महापुरुष और श्रेष्ठ मानव होता है जो अपने ज्ञान का अभीसिंचन करके व्यक्ति में जीवन जीने तथा अपने कर्तव्य को पूरा करने में उसकी सुप्त प्रतिभा और प्रज्ञा का जागरण करता है।

गुरु बिन भ्रम ना जासी

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गुरु के सत्संग के प्रहार से व्यक्ति के जीवन में प्रकाश आता है। लेकिन वर्तमान में शिक्षा और अध्यात्म व्यापार बन गया है, ऐसे में नैतिक मूल्यों की शिक्षा देने वाले गुरुओं की तलाश करना हमारे लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। सच्चे गुरु की आज भी उतनी ही दरकार है, जितनी पहले थी।

गुरुवर्य नहीं होते तो मेरा जीवन अधूरा रह जाता…-

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अगर शाश्वत सत्य का परिचय करना हो तो गुरू अत्यंत आवश्यक है। ...आज मैं शाश्वत सत्य के मार्ग पर आगे बढ़ा हूं और वैज्ञानिक के रूप में भी आगे बढ़ा हूं तो इन दोनों का ही श्रेय मेरे गुरू श्री साखरे महाराज को जाता है। वे न आते तो शायद मेरा जीवन अधूरा ही रह जाता।

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