मार्केट और मार्केटिंग में बदलाव
दुनिया बदली तो दुनियादार भी बदल गए। पहले बगैर प्रचार के भी दुनिया चल ही रही थी। लोग मजे से खा, पी, घूम फिर रहे थे। लोगबाग भी सीधे सादे थे न उन्हें खाने पीने के लिए प्रचार की जरूरत थी न जाने आने के लिए। घर के खाने या फिर घर लाकर खाने में ही विश्वास करता था तब का व्यक्ति। दो जोड़ी कपड़ों में साल भर निकाल देता था।