हल्के से बदलाव पर हंगामा

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देश की शिक्षा नीति में बदलाव हुआ है तो जाहिर सी बात है कि किताबों में भी कुछ बदलाव अवश्य होंगे। कुछ लोग राजनीतिक ईर्ष्यावश विरोध कर रहे हैं, जबकि शिक्षाविद् इसे सही कदम बता रहे हैं। इसलिए इस तरह के विरोधों का कोई अर्थ नहीं रह जाता है। सिलेबस…

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष का शुभारम्भ

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग का सोमवार 8 मई को नागपुर स्थित डॉक्टर हेडगेवार स्मृति मंदिर परिसर में स्थित महर्षि व्यास सभागार में शुभारम्भ हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक  संघ के सह सरकार्यवाह तथा इस वर्ग के पालक अधिकारी श्री रामदत्त जी ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन…

शिक्षा ही पीढ़ी निर्माण की नींव

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किसी भी शहर के विकास में वहां की शिक्षण संस्थाओं का योगदान काफी महत्व रखता है। इंदौर में होलकर वंश तथा अन्य सामाजिक संस्थाओं ने शिक्षा के प्रचार-प्रसार को लेकर वृहद् स्तर पर प्रयास किए। इसका परिणाम है कि एक समृद्ध, सुसंस्कृत एवं स्वच्छ इंदौर शहर मानक के तौर पर…

सेवा है यज्ञ कुंड समिधा सम हम जले…- सुनील वेदपाठक

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दिव्यांग कल्याणकारी  शिक्षण संस्था व वैद्यकीय संशोधन केंद्र द्वारा दिव्यांग बच्चों और परिसर के सभी सामान्य बच्चों के लिए 15 अप्रैल से 30 अप्रैल को आयोजित किये गए एकीकृत संस्कार वर्ग का समापन समारोह दिनांक 30/4/2023 को सायंकाल 5.30 बजे संपन्न हुआ। यह आयोजन विगत 25 वर्षों से क्षेत्र में…

तपस्वी शिक्षाविद महात्मा हंसराज

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भारत के शैक्षिक जगत में डी.ए.वी. विद्यालयों का बहुत बड़ा योगदान है। विद्यालयों की इस शृंखला के संस्थापक हंसराज जी का जन्म महान संगीतकार बैजू बावरा के जन्म से धन्य हुए ग्राम बैजवाड़ा (जिला होशियारपुर, पंजाब) में 19 अप्रैल, 1864 को हुआ था। बचपन से ही शिक्षा के प्रति इनके मन में…

दिव्यांग शिक्षण संस्था द्वारा १५ दिवसीय संस्कार वर्ग का आयोजन

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दिव्यांग शिक्षण संस्था व वैद्यकीय संशोधन केंद्र द्वारा हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी स्कुल की छुट्टियों में १५ दिवसीय संस्कार वर्ग का आयोजन किया गया है. जिसमें सैकड़ों की संख्या में छात्र उपस्थित रहकर संस्कारों की शिक्षा ग्रहण करेंगे. विगत २५ वर्षों से इस वर्ग का आयोजन किया…

सच्चा इतिहास युवा पीढ़ी को बनाएगा जिज्ञासु विज्ञानी

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राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एन.सी.ई.आर.टी.) द्वारा दसवीं, ग्यारहवीं व बारहवीं की पुस्तकों में कतिपय संशोधन किए गए हैं। इन पुस्तकों में बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक पाठ्यक्रम बनाए जाते हैं। विषय विशेषज्ञों की समिति विचार करती है। अन्य विषय की पुस्तकों में भी संशोधन हुए हैं। लेकिन इतिहास की…

समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले

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महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल, 1827 को पुणे (महाराष्ट्र) में हुआ था। इनके पिता श्री गोविन्दराव फूलों की खेती से जीवनयापन करते थे। इस कारण इनका परिवार फुले कहलाता था। महाराष्ट्र में उन दिनों छुआछूत की बीमारी चरम पर थी। अछूत जाति के लोगों को अपने चलने से अपवित्र हुई…

‘मोगली पाठशाला’ से संवरती बच्चों की जिंदगी

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ब्रिटिश लेखक रुडयार्ड किपलिंग के उपन्यास ‘द जंगल बुक’ का पात्र ‘मोगली’ 1990 के दशक में लोगों में खूब मशहूर हुआ था। उत्तर प्रदेश के कतर्नियाघाट वन्य जीव अभयारण्य में वन विभाग और सामाजिक संगठनों के सहयोग से चलाई जा रही ‘मोगली पाठशाला’ जंगल से सटे क्षेत्रों में रहने वाले…

पाठ्यक्रम संशोधन का विरोध क्यों ?

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वास्तविक इतिहासबोध राष्ट्र की विशेष शक्ति होता है। सच्चा इतिहास बोध राष्ट्र बोध जगाता है। राष्ट्रबोध जन गण मन की संजीवनी है। बच्चों को वास्तविक इतिहासबोध की शिक्षा देना राष्ट्रराज्य का कर्तव्य है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद (एन.सी.ई.आर.टी.) ने सम्यक विचार के बाद दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा के लिए…

डिग्रियों पर विवाद और ज्ञान की महिमा

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अकसर तर्क अंहकार को जन्म देता है, जो अपरिपक्व ज्ञान पर आधारित होता है। हमारे देश में प्रमाण-पत्र और उपाधि (डिग्री) आधारित शिक्षा यही कर रही है। भारत में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन शालेय शिक्षा कुशल-अकुशल की परिभाषाओं से ज्ञान को रेखांकित किए जाने के कारण महज कागजी…

मूल्य आधारित शिक्षा है सुख की अनुभूति का आधार

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हमारी प्राचीन गौरवशाली भारतीय संस्कृति समस्त विश्व के सुख, समृद्धि एवं शान्ति की कामना करती है। भारतीय चिन्तन में व्यष्टि से समष्टि तक का विचार किया गया है। भारतीय पर्व इस बात का प्रतीक हैं। यहां पर प्राय: प्रतिदिन कोई न कोई लोकपर्व, व्रत, पूजा एवं अनुष्ठान का दिवस होता…

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