बीजों के प्रमाणीकरण के लिए ‘साथी’ पोर्टल, मोबाइल ऐप

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कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को नकली बीजों की बिक्री पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से उसके बारे में पता लगाने और प्रमाणीकरण के लिए पोर्टल तथा मोबाइल ऐप का उद्घाटन किया। इसे एनआईसी ने कृषि मंत्रालय के सहयोग से ‘उत्तम बीज-समृद्ध किसान’ विषय पर विकसित किया है।…

किसानों के लिए वरदान है मोटा अनाज – पीएम मोदी

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प्रधानमंत्री  मोदी ने ‘वैश्विक श्री अन्न सम्मेलन’ के उद्घाटन के बाद कहा कि देश के लिए यह बड़े सम्मान की बात है कि भारत के प्रस्ताव और प्रयासों के बाद संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को ‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ घोषित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत मोटे अनाज या…

सुरक्षित जीवन: जरूरी है ‘मोटा-अनाज’

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गेहूं और चावल जैसे अनाजों की बहुतायत के बीच एक ओर हमारे परम्परागत अनाज हाशिए पर चले गए, दूसरी ओर बहुत सारी ऐसी बीमारियों ने घर बनाना शुरू कर दिया जिनके विषय में हमारे पूर्वजों ने कभी सोचा भी न था। प्र्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र…

पतायत साहू जी को मिला पद्मश्री पुरस्कार

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लुंगी और गमछा में जिस व्यक्ति को आप देख रहे हैं उनका नाम पतायत साहू है। पतायत जी को इस बार पद्मश्री पुरस्कार मिला है। पतायत जी ओडिशा के कालाहांडी जिले के रहने वाले हैं। इनके गांव का नाम नान्दोल है। पतायत जी अपने घर के पीछे 1.5 एकड़ ज़मीन…

अब पूरी दुनिया में बजेगा मोटे अनाज का डंका

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एक जनवरी 2023 से अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष आरम्भ हो गया है इसके फलस्वरूप सभी घरों की थालियों से गायब हो चुके मोटे अनाज के दिन फिर से बहुरने वाले हैं। मोटा अनाज और उनकी कृषि को प्रोत्साहन देने के लिए स्वयं प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने…

सुपर फ़ूड मोटे अनाज की प्राकृतिक कृषि

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Indian farmer plowing rice fields with a pair of oxen using traditional plough at sunrise.
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23 दिसंबर: राष्ट्रीय किसान दिवस पर विशेष सुपर कृषक बनने का मार्ग: सुपर फ़ूड मोटे अनाज की प्राकृतिक कृषि देश में मोटे अनाजों की कृषि, उत्पादन व उपभोग को पर केंद्रित इस लेख के पूर्व यह कविता पढ़िए - यह रागी हुई अभागी क्यों? चावल की किस्मत जागी क्यों? जो…

ग्रामीण विकास के सहारे ही बनेगी ५ ट्रिलियन इकोनॉमी

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आज विश्व के लगभग सभी विकसित एवं विकासशील देश आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं। इन समस्त अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर एक चमकते सितारे के रूप में देखा जा रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार तेज गति से हो रहे सुधार के चलते आज भारत का नाम पूरे विश्व में बड़े ही आदर और विश्वास के साथ लिया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक फण्ड एवं विश्व बैंक जैसी वित्तीय संस्थाएं भी भारतीय अर्थव्यवस्था में अपनी अपार श्रद्धा जता चुकी हैं। इन वित्तीय संस्थानों का कहना है कि भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास बहुत ही मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है।

मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता है भोजन

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मनुष्य के जीवित रहने के लिए भोजन मूलभूत आवशयकता है। भोजन से ही हमारा शरीर बनता है। भोजन के प्रति हमें सदैव कृतज्ञ होना चाहिए। भारतीय संस्कृति में भोजन को देवता माना गया है। भोजन के कई सारे प्रकार हैं। यह हर जगह अलग-अलग प्रकार से बनता है। जैसी जहाँ की संस्कृति है, वहाँ उस संस्कृति के अनुसार ही भोजन के प्रकार बनते हैं। पूरे जीव सृष्टि को भोजन प्रदान करने का कार्य प्रकृति करती है। फिर चाहे वह कोई सब्जी हो या कोई फल या फिर चावल, गेहूँ आदि की फसल हो। यह सब कुछ हमें पृथ्वी की प्रकृति की वजह से प्राप्त होता है।

जनजाति समाज के लिए आर्थिक विकास की योजनाएं

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केंद्र सरकार द्वारा जनजाति समाज को केंद्र में रखकर उनके लाभार्थ चलाई जा रही विभिन योजनाओं की विस्तृत जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से एक विशेष पोर्टल का निर्माण किया है। जिसकी लिंक है - भारत सरकार का राष्ट्रीय पोर्टल https://www.इंडिया.सरकार.भारत/ - इस लिंक को क्लिक करने के बाद “खोजें” के बॉक्स में जनजाति समाज को दी जाने वाली सुविधाएं टाइप करने से, भारत सरकार द्वारा प्रदान की जा रही विभिन्न सुविधाओं की सूची निकल आएगी एवं इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए उपयोग किए जाने वाले प्रपत्रों की सूची भी डाउनलोड की जा सकती है।

भारत की कृषि का भविष्य

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भारत की पहचान हमेशा से एक कृषि प्रधान राष्ट्र की रही है लेकिन अंग्रेजी राज में किसानों को लाभ उत्पादों की ओर जबरदस्ती धकेला गया। स्वतंत्रता के पश्चात उनकी उन्नति के लिए सार्थक प्रयत्न किए गए। जैन इरिगेशन ने भी टपक सिंचाई के माध्यम से देश में जल संरक्षण और सिंचन के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किया है।

मुद्रा स्फीति के मोर्चे पर आई अच्छी खबर

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माह जुलाई 2022 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति की दर भारत में पिछले 5 माह के सबसे निचले स्तर 6.71 प्रतिशत तक नीचे आ गई है, यह जून 2022 माह में 7.01 प्रतिशत थी। इसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की महंगाई दर में आई कमी है। हालांकि मूलभूत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर तो पिछले 10 माह के सबसे निचले स्तर  अर्थात 5.79 प्रतिशत पर आ गई है। माह जून 2022 की तुलना में माह जुलाई 2022 में ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में मुद्रा स्फीति की दर में सुधार हुआ है। यह हम सभी भारतीयों के लिए हर्ष का विषय हो सकता है कि भारत में मुद्रा स्फीति की दर में सुधार दरअसल वस्तुओं की आपूर्ति में हुए सुधार के चलते सम्भव हुआ है। अर्थात, पहिले देश में लगातार बढ़ रही महंगाई के कारणों में 65 प्रतिशत कारण आपूर्ति पक्ष के कारक जिम्मेदार थे जो अब घटकर 58 प्रतिशत पर आ गए हैं। भारत में वस्तुओं की आपूर्ति में बहुत सुधार हुआ है और अब चूंकि समय पर वस्तुओं की उपलब्धता बढ़ी है जिसके चलते मुद्रा स्फूर्ति की दर में भी कमी दृष्टिगोचर हुई है। साथ ही, वैश्विक स्तर पर आपूर्ति सम्बंधी विघ्न भी कुछ कम हुए हैं। इसके कारण मुद्रा स्फीति के बढ़ने में मांग सम्बंधी कारकों का प्रभाव 40 प्रतिशत हो गया है।

भारतीय कृषि सब्सिडी विकसित देश नाराज

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जेनेवा में सम्पन्न डब्ल्यूटीओ की बैठक में एक बार फिर अमेरिका समेत विकसित देशों ने भारत जैसे देशों द्वारा किसानों को दी जा रही सब्सिडी का विरोध किया लेकिन भारत अपने रुख पर अड़ा रहा और लगभग 80 देशों ने भारत की नीति का समर्थन किया। 

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