चम्बल के संत ‘भाई जी’ सुब्बाराव

Continue Readingचम्बल के संत ‘भाई जी’ सुब्बाराव

कोई समय था, जब चम्बल की पहाड़ियों और घाटियों में डाकुओं का आतंक चरम पर था। ये डाकू स्वयं को बागी कहते थे। हर दिन वहाँ बन्दूकें गरजती रहती थीं। ऐसे में गांधी, विनोबा और जयप्रकाश नारायण से प्रभावित सालिम नंजदुइयाह सुब्बाराव ने स्वयं को इस क्षेत्र में समर्पित कर…

ब्राह्मण ऋषियों की खोज और अविष्कार

Continue Readingब्राह्मण ऋषियों की खोज और अविष्कार

5000 साल पहले ब्राह्मणों ने हमारा बहुत शोषण किया ब्राह्मणों ने हमें पढ़ने से रोका। यह बात बताने वाले महान इतिहासकार यह नहीं बताते कि 500 साल पहले मुगलों ने हमारे साथ क्या किया। 100 साल पहले अंग्रेजो ने हमारे साथ क्या किया।हमारे देश में शिक्षा नहीं थी लेकिन 1897…

सनातन और विदेशी विचारों के बीच संघर्ष

Continue Readingसनातन और विदेशी विचारों के बीच संघर्ष

विदेशी भूमि पर उपजे ईस्लामिक, ईसाई, मार्क्सवादी संस्कृति- सभ्यता, एवं विचारधारा में सहअस्तित्व की कल्पना नहीं है, मान्यता नहीं है। सर्वसमावेशक, विविधतापूर्ण समाज वह चाहते ही नहीं है इसलिए वे सदैव असहिष्णु रहते हैं और अपने विरोधियों से संघर्ष करते रहते हैं जबकि भारत की सनातन विचारधारा सहिष्णुता, विविधता, सर्वसमावेशकता एवं समरसता में विश्वास रखती है।

ईसाई बहुल राज्यों में बढ़ रहा भाजपा का प्रभाव

Continue Readingईसाई बहुल राज्यों में बढ़ रहा भाजपा का प्रभाव

पूर्वोत्तर के राज्यों में किसी समय भाजपा का जनाधार न के बराबर था पर नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने तथा उनकी सरकार द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों के कारण वहां भाजपा बहुत तेजी से अपने पांव मजबूत कर रही है। उम्मीद है कि मार्च में होने जा रहे चुनावों में भाजपा और मजबूत पकड़ बनाएगी।

वामपंथी हताशा का प्रतीक जेएनयू

Continue Readingवामपंथी हताशा का प्रतीक जेएनयू

देशभर में वामपंथी विचारधारा के पतन की वजह से जेएनयू का वामपंथी गैंग बौखला गया है। उनमें निराशा का भाव जाग गया है इसलिए एक बार फिर जातिवादी नारों के माध्यम से वे समाज को बांटने का प्रयास कर रहे हैं, परंतु अब समाज उनकी चालाकियां समझ चुका है।

चीन में कोरोना की सुनामी

Continue Readingचीन में कोरोना की सुनामी

तीन साल के प्रतिबंधों में ढिलाई के बाद चीन में कोविड के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। इसका तात्पर्य है कि वहां सारे मामलों में केवल लीपापोती हुई परंतु समूचे विश्व को एक बार फिर सचेत हो जाने की आवश्यकता है, ताकि एक बार फिर उस कहर से बचा सके। भारत को उस पर खास ध्यान देने की आवश्यकता है। सरकार ने अपने स्तर पर प्रयास शुरू कर दिया है। जनता को भी सावधानी बरतनी चाहिए।

चालाक चीन की नई चाल

Continue Readingचालाक चीन की नई चाल

हमेशा की ही भांति चीन ने एक बार फिर सीमा पर अपनी कुटिल नीतियों का जाल बिछाने का प्रयत्न किया है। तवांग घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ झड़प के माध्यम से चीन ने एक तीर से दो शिकार करने की कोशिश की। एक ओर अपने देश में कोरोना की नई लहर के बीच विरोध का मुंह अलग दिशा में मोड़ने का प्रयत्न किया, दूसरी ओर अपनी विस्तारवादी नीति का पोषण करने की कोशिश की।

9 चीजें जिनका आविष्कार गलती से हो गया

Continue Reading9 चीजें जिनका आविष्कार गलती से हो गया

कई बार हम करना कुछ और चाहते हैं और परिणाम कुछ और होता है। ऐसे में हम परेशान हो जाते हैं, लेकिन कई बार गलती से भी कोई अच्छा काम हो जाता है। आइए जानते हैं ऐसी ही 10 चीजों के बारे में जिनका आविष्कार गलती से हो गया। हालांकि…

अवैध मतांतरण राष्ट्रीय चुनौती है

Continue Readingअवैध मतांतरण राष्ट्रीय चुनौती है

ईसाई, इस्लामी समूह काफी लम्बे समय से अवैध मतांतरण में संलग्न हैं। वे सारी दुनिया को अपने पंथ मजहब में मतांतरित करने के लिए तमाम अवैध साधनों का इस्तमाल कर रहे हैं। अपनी आस्था विवेक और अनुभूति में जीना प्रत्येक मनुष्य का अधिकार है। लेकिन यहाँ अवैध मतांतरण के लिए…

भारतीय संविधान भारतीय संस्कृति का दर्पण

Continue Readingभारतीय संविधान भारतीय संस्कृति का दर्पण

“शासन-प्रशासन के किसी निर्णय पर या समाज में घटने वाली अच्छी बुरी घटनाओं पर अपनी प्रतिक्रिया देते समय अथवा अपना विरोध जताते समय, हम लोगों की कृति, राष्ट्रीय एकात्मता का ध्यान व सम्मान रखकर, समाज में विद्यमान सभी पंथ, प्रांत, जाति, भाषा आदि विविधताओं का सम्मान रखते हुए व संविधान कानून की मर्यादा के अंदर ही अभिव्यक्त हो यह आवश्यक है। दुर्भाग्य से अपने देश में इन बातों पर प्रामाणिक निष्ठा न रखने वाले अथवा इन मूल्यों का विरोध करने वाले लोग भी, अपने आप को प्रजातंत्र, संविधान, कानून, पंथनिरपेक्षता आदि मूल्यों के सबसे बड़े रखवाले बताकर, समाज को भ्रमित करने का कार्य करते चले आ रहे हैं। 25 नवम्बर, 1949 के संविधान सभा में दिये अपने भाषण में श्रद्धेय डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने उनके ऐसे तरीकों को अराजकता का व्याकरण कहा था। ऐसे छद्मवेषी उपद्रव करने वालों को पहचानना व उनके षड्यंत्रों को नाकाम करना तथा भ्रमवश उनका साथ देने से बचना समाज को सीखना पड़ेगा।" (श्री मोहन भागवत, विजयादशमी उत्सव, नागपुर, 25 अक्तूबर 2020)

प्रकाश पर्व, सिक्ख पन्थ और अयोध्या 

Continue Readingप्रकाश पर्व, सिक्ख पन्थ और अयोध्या 

ईश्वरोपासना का मूल स्रोत सनातन धर्म ही है। उपासना और भक्ति के मौलिक सूत्रों का प्रणयन सनातन-समुद्र के तट पर ही हुआ है। भक्ति के इन्हीं मौलिक सूत्रों के भाष्य से उपासना की अनेक पद्धतियों का जन्म हुआ है, जिन्हें कालान्तर में एक विशेष मत अथवा पन्थ कहा जाने लगा। वस्तुतः जैन, बौद्ध एवं सिक्ख इन्हीं उपासना-पद्धतियों के ही पृथक् पृथक् नाम हैं। जिस तरह जैन एवं बौद्ध मत का अयोध्या से घनिष्ठ सम्बन्ध है, उसी तरह सिक्ख पन्थ का भी अयोध्या से घनिष्ठ एवं भावनात्मक सम्बन्ध है। सिक्ख पन्थ के प्रवर्तक गुरु नानकदेव (1469-1539 ई.) का जन्म अयोध्या के उसी इक्ष्वाकुवंश में हुआ है, जिसके गौरव मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् श्रीराम हैं। सिक्ख इतिहास के अनुसार वेदी और सोढ़ीवंश का उद्भव रघुवंश से ही हुआ है।

इतिहासकार,बौद्धिक योद्धा डॉ. स्वराज्य प्रकाश गुप्त

Continue Readingइतिहासकार,बौद्धिक योद्धा डॉ. स्वराज्य प्रकाश गुप्त

डा. गुप्त की प्रतिभा श्री रामजन्मभूमि आन्दोलन के दौरान खूब प्रकट हुई। जहाँ एक ओर वामपन्थी श्रीराम को कल्पना बता रहे थे, वहाँ कांग्रेस मन्दिर के अस्तित्व को ही नकार रही थी। ऐसे में जब हिन्दू तथा मुस्लिम पक्ष में वार्ताओं का दौर चला, तो डा0 गुप्त हिन्दू पक्ष की कमान सँभालते थे। उनके तर्कों के आगे दूसरा पक्ष भाग खड़ा होता था। छह दिसम्बर को बाबरी ध्वंस से जो अवशेष मिले, उन्होंने बड़े साहसपूर्वक उनके चित्र लिये और बाबरी राग गाने वालों को केवल देश ही नहीं, तो विदेश में भी बेनकाब किया।

End of content

No more pages to load