रक्त पिपासू जिहादी फरिश्ते

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नारेबाजी इसलिए हो रही है क्योंकि मुनव्वर फारुखी नामक एक मलेच्छ ने माता सीता, प्रभु राम और 14 साल के वनवास का झूठ बोलकर मजाक उड़ाया इसके जवाब में टाइगर राजा सिंह ने ये कहा कि निकाह का सच बयां कर दिया था । अब इसी बात से जिहादी समुदाय नाराज और आहत हो गया और सिर तन से जुदा की नारेबाजी करने लगा ।  सिर तन से जुदा की नारेबाजी करते हुए लोगों और उनके समर्थकों की भीड़ का वीडियो वायरल हो गया । देश के गली गली मे लोगों के मोबाइल तक पहुंच गया । उम्मीद है कि हैदराबाद के संबंधित थाने पर भी पुलिस अधिकारियों के मोबाइल पर ये वीडियो गया होगा और वो जल्द ही अपने पुरुष होने का परिचय देते हुए अपने कर्तव्य का पालन करके शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए सारे नारेबाजी करने वालों को गिरफ्तार अवश्य करेंगे ।

कितना बदला जम्मू-कश्मीर?

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राष्ट्रीय निवेशकों के साथ अंतरराष्ट्रीय निवेशक भी जम्मू-कश्मीर में निवेश हेतु उत्साहित हैं। इस संबंध में संयुक्त अरब अमीरात के 36 सदस्यीय उच्च स्तरीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल ने 21-22 मार्च 2022 को श्रीनगर का दौरा भी किया था। दुनिया की बड़ी आर्थिक शक्तियों के समूह जी-20 की बैठकें वर्ष 2023 में शेष भारत की भांति कश्मीर में भी आयोजित की जाएगी। धारा 370-35ए के प्रभावी रहते में बीते सात दशकों में यहां 17 हजार करोड़ रुपये का निवेश हुआ था, जबकि पिछले दो वर्षों में 38 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आ चुका हैं और अब इसके लक्ष्य को 50,000 करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया है। इससे प्रदेश में लाखों रोजगार सृजन होने की आशा है। एकल विंडो प्रणाली से भी उद्योग को बढ़ावा देने में प्रदेश के लिए लाभदायक सिद्ध हो रहा है। इस समय सरकारी विभाग की 130 सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध हैं। स्पष्ट है कि धारा 370 के क्षरण पश्चात यहां निवेश-विकास के मार्ग से कई अवरोधक हट रहे है।

कई क्षेत्रों में भारत ने बनाया नया मुकाम

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स्वतंत्रता के बाद से ही औद्योगिक और रक्षा क्षेत्र में भारत ने अपने पंख फैलाने शुरू कर दिए थे परंतु पिछले एक दशक में अभूतपूर्व तेजी देखने को मिली है। पूरे विश्व की दृष्टि अब भारत पर लगी है। प्रगति की गति यूं ही रही तो भारत को दोबारा विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता।

वैदिक प्राचीन ऋषियों की कुछ वैज्ञानिक खोजें

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ध्वनि विज्ञान- वेद ज्ञान को आधार मान कर न्यूलैंड के एक वैज्ञानिक स्टेन क्रो ने एक डिवाइस विकसित कर लिया। ध्वनि पर आधारित इस डिवाइस से मोबाइल की बैटरी चार्ज हो जाती है। इस बिजली की आवश्यकता नहीं होती है। भारत के वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक ओमप्रकाश पांडे के मुताबिक इस डिवाइस का नाम भी ‘ओम’ डिवाइस रखा गया है। उन्होंने कहा कि संस्कृत को अपौरुष भाषा इसलिए कहा जाता है कि इसकी रचना ब्रह्मांड की ध्वनियों से हुई है। उन्होंने बताया कि गति सर्वत्र है। चाहे वस्तु स्थिर हो या गतिमान। गति होगी तो ध्वनि निकलेगी। ध्वनि होगी तो शब्द निकलेगा। सौर परिवार के प्रमुख सूर्य के एक ओर से नौ रश्मियां निकलती हैं और ये चारों और से अलग-अलग निकलती है। इस तरह कुल 36 रश्मियां हो गई। इन 36 रश्मियों के ध्वनियों पर संस्कृत के 36 स्वर बने। इस तरह सूर्य की जब नौ रश्मियां पृथ्वी पर आती है तो उनका पृथ्वी के आठ बसुओं से टक्कर होती है। सूर्य की नौ रश्मियां और पृथ्वी के आठ बसुओं की आपस में टकराने से जो 72 प्रकार की ध्वनियां उत्पन्न हुई वे संस्कृत के 72 व्यंजन बन गई। इस प्रकार ब्रह्मांड में निकलने वाली कुल 108 ध्वनियां पर संस्कृत की वर्णमाला आधारित है। उन्होंने बताया कि ब्रह्मांड की ध्वनियों के रहस्य के बारे में वेदों से ही जानकारी मिलती है। इन ध्वनियों को नासा ने भी माना है। इसलिए यह बात साबित होती है कि वैदिक काल में ब्रह्मांड में होने वाली ध्वनियों का ज्ञान ऋषियों को था।

सरेंडर होते पड़ोसियों के बीच मजबूत भारत

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सुकून की बात यह है की जहां भारत के पडोसी बुरी तरह से परेशान हैं वहां भारत की स्थिति उनसे बेहतर है. भारत का रुपया भी अन्य देशों की तुलना में कम दर से गिरा है डॉलर के मुकाबले. भारत के सनातन और माइक्रो इकॉनमी का जाल इस तरह बुना है की यह बड़े से से बड़े झटके को भी बर्दाश्त करने की क्षमता अभी भी बनाये हुआ है. 70 फीसदी इकॉनमी एग्रो होने के कारण और एग्रो में आत्मनिर्भर होने के कारण भारत के पास यह आत्मविश्वास है कि वह भूखा नहीं सोयेगा और यही आत्मविश्वास और इससे उपजा हौसला इसे लड़ाई में आगे रखे हुए है. भारत की कैपेसिटी बिल्डिंग के तहत जो भी योजनाएं चलाई गईं खासकर के आधारभूत ढांचे का, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत इन सब ने इस लड़ाई में मजबूती से भारत का साथ दिया है, यही कारण है की इस वैश्विक मंदी में भी भारत अभी भी मजबूती से लड़ रहा है जबकि आसपास के देश सरेंडर कर रहें हैं. 

यज्ञकर्म विज्ञान है कर्मकांड नहीं ।

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'यज्ञ' का अर्थ आग में घी डालकर मंत्र पढ़ना नहीं होता। यज्ञ का अर्थ है- शुभ कर्म। श्रेष्ठ कर्म। सतकर्म। वेदसम्मत कर्म। सकारात्मक भाव से ईश्वर-प्रकृति तत्वों से किए गए आह्वान से जीवनकी प्रत्येक इच्छा पूरी होती है। माँगो, विश्वास करो और फिर पा लो। यही है यज्ञ का रहस्य।

द्रविड़ समुदाय में अनार्यत्व एवं हिन्दी-विरोध भ्रान्तियाँ

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भारतीय शिक्षा-पद्धति में सुधार, परिष्कार और समयानुकूल परिवर्तन हेतु नीति-निर्धारण के लिए भारत सरकार ने विगत समय में प्रसिद्ध वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था। उस समिति ने अपने सुझावों का प्रारूप ३१ मई २०१९ को मानव संसाधन मन्त्रालय को सौंप दिया।

द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने का कारण

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कल राष्ट्रपति चुनाव का रिजल्ट आने के बाद मेरे एक मित्र ने मुझसे पूछा : द्रौपदी जी को महामहिम बनाने का कारण समझ में नहीं आया. तो, मैंने उसे बताया : इसमें कारण क्या समझना है ?? कारण वही है जो... भगवान के निषादराज को गले लगाने का था. हनुमान…

मॉस्को में शतरंज टूर्नामेंट रोबोट ने लड़के की उंगली तोडी

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रोबोट ने लड़के के बोर्ड की चाल चल कर हटा , लेकिन क्रिस्टोफर ने थोड़ी जल्दी की और पहले से ही चली चाल  को वापस करने की कोशिश किया । रोबोट को यह पसंद नहीं आया - उसने लड़के की तर्जनी को पकड़ लिया और जोर से दबा दिया। आसपास के लोग मदद के लिए दौड़े और युवा खिलाड़ी की अंगुली को बाहर निकाला, लेकिन फ्रैक्चर से बचाया नहीं जा सका।

अपनों से कैसी होड़?

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जैसे वैदिक परंपरा हमारी है, उसी तरह गुरमत परंपरा और श्रमण परंपरा भी हमारी है। शरीर का कोई भी अंग सजता- संवरता है, सुंदरता के किसी प्रतीक को धारण करता है तो वह पूरे शरीर को ही सुंदर बनाता है। इसी तरह वृक्ष पर जब कोई फूल खिलता है या उसकी कोई शाख विकसित होती है तो संपूर्ण वृक्ष सुंदर लगने लगता है और मजबूत होता है, यही दृष्टि एक हिन्दू के नाते मेरी है और संभवतः सारे हिंदुओं की है।

भारतीय सभ्यता की कई विशेषताओं को जानना चाहिए 

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भारत के अतिरिक्त संपूर्ण संसार में हर 13000 वर्ष के बाद हिम  युग आता है और  लगभग 10000 वर्षों  बाद हिम पिघल कर समाप्त हो जाता है और एक चक्र चलता है।

मोदी का मिशन 2024

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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी समय समय पर चौंकाते हैं। लंबी योजनाओं पर गहन परीक्षण के बाद ही वह उन्हें सार्वजनिक करते हैं। मुख्यमंत्रियों से लेकर राष्ट्रपति और उपराष्ट्र पति के प्रत्याशियों के नाम इसी ढंग से वह उजागर करते हैं। उनकी यह तरकीब ऐसी है जिसकी भनक तक किसी को नहीं लग पाती। अब इसी कड़ी में प्रधानमंत्री ने 25 जुलाई को कानपुर में चौधरी हरमोहन सिंह की 10वी पुण्यतिथि समारोह को संबोधित करने की घोषणा कर सभी को चौंकाया है। अभी 16 तारीख को ही मोदी कानपुर होते हुए जालौन गए थे और बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे का उद्घाटन किया था।

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