युगद्रष्टा संघ संस्थापक -डॉ. हेडगेवार
युगद्रष्टा संघ संस्थापक -डॉ. हेडगेवार
युगद्रष्टा संघ संस्थापक -डॉ. हेडगेवार
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के बाद से ही सेवा कार्यों के प्रति विशेष जोर दिया गया। डॉ. हेडगेवारजी के जन्मशती वर्ष १९९० में सेवा क्षेत्र को एक कार्य विभाग के रूप में नया आयाम दिया गया। आगे चलकर ‘सेवाभारती’ ने मानव सेवा के नए मूल्य स्थापित किए। संस्था के अब तक के प्रवास एवं उतार-चढ़ाव को लेकर संघ के पूर्व अखिल भारतीय सेवा प्रमुख सुहासराव हिरेमठ ने अमोल पेडणेकर के साथ लम्बी बातचीत की। प्रस्तुत हैं उसी लम्बी बातचीत के संपादित अंश:
वैसे तो ‘संघ’ शब्द के कई पर्याय हैं; मसलन वृंद, समुदाय, समूह, गण, झुंड इत्यादि। पर इस शब्द का प्रयोग करने पर सबसे पहली जो तस्वीर हम सबकी आंखों में आती है, वह है भगवा ध्वज तले सफेद व खाकी पहिरावे में ‘नमस्ते सदा वत्सले...’ की मधुरिमा से आलोकित स्वयंसेवकों का समूह जो निःस्वार्थ भाव से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपने आपको समर्पित करते हुए राष्ट्र भावना को सार्थकता प्रदान करते हैं। अपने प्रवास के ९ दशकों में तमाम कठिनाइयों, दबावों तथा प्रतिबंधों को परे करते हुए विश्व का सबसे बड़ा स्वयंस
केरल में कम्युनिस्टों की राजनीतिक हिंसा से पीड़ित परिवारों को संबल प्रदान करने के लिए अ.भा.विद्यार्थी परिषद की ओर से आगामी ११ नवम्बर को ‘चलो केरल!’ अभियान का आयोजन किया जा रहा है। इसमें देशभर से छात्र शामिल होंगे। यह अभूतपूर्व व ऐतिहासिक होगा। प्रस्तुत है इस अभियान का विवरण और संघ स्वयंसेवकों पर माकपा के हमलों की कारण मीमांसा... हाल ही में ३ सितम्बर को जब १०.३० बजे टी.वी. पर केन्द्र में बनने वाले मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह देख रहा था, सब के परिचय में उनके जीवन की किसी बड़ी उपलब्धि का उल्ल
संघ दो स्तंभों पर खड़ा है, सिद्धांत और स्वयंसेवक। इसमें स्वयंसेवक का मह़त्व बहुत अधिक है, इसलिए अधिक है कि वह संघ अपने जीवन में जीता है। संघ जीने वाले ऐसे लाखों स्वयंसेवक सारे देशभर में हैं। उनके संपर्क में आने वाले लोग उनके व्यवहार से संघ को समझते हैं। राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ की कथा एक बीज का वटवृक्ष कैसे बना इसकी कथा है। बीज डॉ. हेडगेवार जी का जीवन है और वृक्ष है पूरे देशभर में और विश्व में फैला संघकार्य। अपने-आप में यह एक अचंभे में डालने वाली घटना है। विश्व का सब से बड़ा एनजीओ है आरएसएस। डॉ. केशव बली
‘जो शास्त्र सम्मत है वही टिकाऊ है| गैलीलियो के सिद्धांत शास्त्र सम्मत थे, इसीलिए टिके| उनके विरोधी नहीं बचे| संघ विरोधियों की समझ में नहीं आया इसलिए हीन भावना पालने की कोई आवयकता नहीं है| ...जिन सिद्धांतों पर संघ आजतक चला, बढ़ा; वह शास्त्रीय स्वरूप संघ कार्यकर्ताओं व शुभचिंतकों की समझ में आ जाए तो उसका अधिक परिणामकारक उपयोग हो सकता है|’’
संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार द्वारा महाराष्ट्र के बाहर भेजे गए तीन प्रचारकों में से मोरुभाऊ मुंजे एक थे। उन्होंने संघ में विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया। उनका कार्य आज भी स्वयंसेवकों के लिए एक मिसाल है। मोरेश्वर राघव उपाख्य मोरुभाऊ मुंजे को पूजनीय डॉ.
गत कई वर्षों से केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं राष्ट्रवादी विचारधारा के कार्यकर्ताओं की हत्या की जा रही है। इन घटनाओं की पार्श्वभूमि, वैचारिक संघर्ष, राज्य सरकार एवं पुलिस की भूमिका तथा संघ का इन सब घटनाओं की ओर देखने का दृष्टिकोण, ये सारी बातें नागरिकों को ज्ञात हो इसलिए प्रस्तुत है ‘मुंबई तरुण भारत’ के प्रतिनिधि महेश पुराणिक द्वारा संघ की राष्ट्रीय मीडिया टीम के सह-समन्वयक श्री जे. नंदकुमार से किए गए विशेष साक्षात्कार के महत्वपूर्ण अंश-
नेपाल में अप्रैल में आए विनाशकारी महाभूकम्प से पूरा देश तो दहल ही गया, राहत और निर्माण कार्य का विशाल कार्य अब मुंह बाए खड़ा है। इस त्रासदी से उबरने और पुनर्निर्माण में प्रदीर्घ समय लगने वाला है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार का निधन होने के पश्चात् भी, अनेक उतार-चढ़ाव संघ के जीवन में आने के बाद भी, राष्ट्र जीवन में अनेक उथल-पुथल होने के बावजूद संघ कार्य अपनी नियत दिशा में, निश्चित गति से लगातार बढ़ता हुआ अपने प्रभाव से सम्पूर्ण समाज को स्पर्श और आलोकित करता हुआ आगे ही बढ़ रहा है। संघ की इस यशोगाथा में ही डॉक्टर जी के समर्पित, युगदृष्टा, सफल संगठक और सार्थक जीवन की यशोगाथा है।
...मोदीजी की प्रतिमा बहुत ऊंची है। इस सत्य को सामने रखते समय एक और सत्य सामने लाना आवश्यक हो जाता है कि इन सभी के पीछे संघ की, विचारों की, विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करनेवाले संगठनों की, जनसंघ के रूप में राजनीतिक दल की और पिछले पच्चीस-तीस वर्षों में भारतीय जनता पार्टी की यात्रा की ताकत है।
पूरी सेक्युलर जमात आजकल नरेन्द्र मोदी के विरोध में महात्मा गांधी नामक अस्त्र लेकर खड़ी है। उसका कारण यह है कि नरेन्द्र मोदी ने 2 अक्टूबर अर्थात गांधी जयंती के अवसर पर ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की शुरुआत की। ...गांधी विचाररूपी महासागर से उन्होंने केवल एक कण उठाया। इन सेक्युलर भूत-पिशाचों को इतना भी सहन नहीं हुआ और उन्होंने तुरंत चीखना-चिल्लाना शुरु कर दिया।