जातिवाद पे  सब बलिहारी

Continue Readingजातिवाद पे  सब बलिहारी

लीजिए साहब, राष्ट्रपति चुनाव फिर आ गए| हमारे प्रिय शर्मा जी राष्ट्रपति को भारतीय लोकतंत्र की आन, बान और शान मानते हैं| इसलिए वे बड़ी उत्सुकता से इसकी प्रतीक्षा करते हैं|

विश्‍व के अद्वितीय संगठन का सरल परिचय

Continue Readingविश्‍व के अद्वितीय संगठन का सरल परिचय

हमारा भारत देश अपने आप में एक अद्वितीय देश है| विश्‍व के किसी भी देश को, अर्थात् उस देश के समाज के मन में अपनी राष्ट्रीयता के बारे में कोई संदेह नहीं होता है|

 लक्ष्मी आई मेरे द्वार

Continue Reading लक्ष्मी आई मेरे द्वार

 ‘‘लक्ष्मी जी मेरी बात सुन कर अपने उल्लू पर सवार होकर अन्तर्धान हो गई और मेरे अंधेरे कमरे में गृहलक्ष्मी दरवाजा खोल कर बोली-‘‘क्या उल्लुओं की तरह पड़े हुए हो? सवेरा हो गया है, अब उठो भी?’’ मैंने कहा-‘‘जब भी मैं सुनहरे सपने देखता हूं तब तुम पता नहीं बीच में क्यों आ धमकती हो? वह बोली- ‘‘निखट्टुओं को तो सपने ही आएंगे ना?’’

चित्र फलक पर गांव

Continue Readingचित्र फलक पर गांव

गांवों ने न केवल हमारे राजनीतिज्ञों, कवियों, लेखकों को आलोकित किया है, चित्रकार भी इससे अछूते नहीं रहे हैं। यह कथन सही है कि भारत की आत्मा गांवों में ही बसती है।

बात कुछ भी नहीं थी मगर …..!

Continue Readingबात कुछ भी नहीं थी मगर …..!

मैं बेबात कुछ नहीं बात होते हुए भी ज्ञानी जी से उलझ गया। ऐसे ज्ञानी आपके इर्द-गिर्द भी होंगे, आप संभलोगे? कृपया ज्ञानी जी की तरह बेबात मुझसे सवाल नहीं उठाएं, मैंने सारे उत्तर इसमें दे दिए हैं।

सांप्रदायिक राजनीति की विभीषिका

Continue Readingसांप्रदायिक राजनीति की विभीषिका

सांप्रदायिक राजनीति की विभीषिका पर शोधोपरांत प्रोफेसर डॉ. अलकेश चतुर्वेदी द्वारा लिखित एवं इतिहास संकलन समिति महाकौशल प्रांत द्वारा प्रकाशित पुस्तक “सांप्रदायिक राजनीति का इतिहास”, वर्तमान बदलते परिद़ृश्य में जनमानस के लिए अमूल्य निधि के रूप में उपलब्ध है।

      कार्यदक्ष जीवन की प्रेरणास्पद यादें

Continue Reading      कार्यदक्ष जीवन की प्रेरणास्पद यादें

ऐसी एक धारणा है कि प्राचीन भारतीय विचारसंपदा याने संसार से दूर भागना, सक्रिय जीवन की अपेक्षा निवृत्त जीवन बिताना, मृत्यु का- मोक्ष का विचार करना, निष्क्रियता को प्रधानता देने वाला तत्त्वज्ञान है| वास्तव में यह गलत धारणा है| सक्रियता, उद्यमशीलता,दीर्घोद्योग, पुरुषार्थ एवं पराक्रम इन गुणों का समर्थन तो प्राचीन भारतीय विचारकों ने न केवल किया ही वरन वैसा जीवन प्रत्यक्ष में जी कर दिखाया|

नास्तिकता से धार्मिकता की ओर कविश्रेष्ठ आलोक भट्टाचार्य की जीवन यात्रा

Continue Readingनास्तिकता से धार्मिकता की ओर कविश्रेष्ठ आलोक भट्टाचार्य की जीवन यात्रा

हास्य, विनोद, लेखन, काव्य, शेरोशायरी में मन से रम जाने वाले आलोक जी दिल के बहुत खुले थे। वे केवल पोथीनिष्ठ विचारक नहीं थे। इसीलिए प्रत्यक्ष अनुभव के कारण अपनी विचारधारा में होने वाला बदलाव उन्होंने विचारपूर्वक स्वीकार किया।

कांग्रेस मुक्त भारत दल

Continue Readingकांग्रेस मुक्त भारत दल

‘कांग्रेस मुक्त भारत दल’ की संचालन समिति वाले कई बार वहां गए, पर राहुल बाबा से भेंट नहीं हुई। इससे उनका निश्चय और द़ृढ़ हो गया कि जब बाबा देश को ‘कांग्रेस से मुक्त’ कराने में इतनी रुचि ले रहे हैं, तो चाहे एक महीना लगे या एक साल, पर अध्यक्ष हम उन्हें ही बनाएंगे, किसी और को नहीं।

विश्वसनीय दस्तावेज

Continue Readingविश्वसनीय दस्तावेज

देश की त्रासदी तो यह है कि शोएबुल्लाह खान तो देशवासियों के मानस पटल से भुला दिए गए; परंतु दूसरी ओर देशद्रोही निजाम, उनके सर्वोच्च प्रशासक अलीयावर जंग या निज़ाम की तरफ से इंग्लैण्ड और राष्ट्रसंघ में भारत के विरुद्ध आवाज उठाने वाले पाक-परस्त रज़ाकारों को नेहरूवादी राजसत्ता में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुए।

नकली बारिश में असली मनोरंजन

Continue Readingनकली बारिश में असली मनोरंजन

पर्दे पर होने वाली झमाझम बारिश दर्शकों को खूब सुहाती है और दर्शकों को जो पसंद है वही दिखाकर उनका मनोरंजन करना फिल्मवालों को सुहाता है। चाहे जो भी हो दर्शकों के मनोरंजन के लिए ही सही फिल्मों में झूठी बारिश हमेशा होती रहे।

अमृत रस है बारिश

Continue Readingअमृत रस है बारिश

जीवन रस को पोषण देने वाला, बल देने वाला अमृत रस है बारिश। यह चारों तरफ से मानव का जीवन समृद्ध सम्पन्न करती है। इसमें हास्य, करुण, दुःख, आनंद सब कुछ शामिल होता है। शायद इसीलिए बारिश हमारे जीवन का अविभाज्य हिस्सा बन जाती है। मराठी काव्यविश्व में बारिश के इन सभी रूपों को प्रस्तुत किया गया है।

End of content

No more pages to load